बिहार में 2008 में पहला कृषि रोडमैप लागू किया गया था. उसके बाद बिहार में दूसरा कृषि रोडमैप 2012 में लागू किया गया और 2017 में तीसरा. आज बिहार का चौथा कृषि रोड मैप लागू होने जा रहा है. राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू आज बापू सभागार में चौथे कृषि रोड मैप 2023- 2028 का उद्घाटन करेंगी.
कृषि जानकारों का मानना है कि चौथे कृषि रोड मैप में कई नई चीजें जुड़ने वाली हैं और ये अभी तक का सबसे ज्यादा चुनौतिपूर्ण होगा तो आइये जानते हैं कृषि रोज मैप के बारे में...
2008 में बना था पहला कृषि रोडमैप
बिहार सरकार ने किसानों की आय को बढ़ाने के लिए कृषि रोड मैप तैयार कर के एक सकरात्मक कदम उठाया है. किसानों को खेती के प्रति जागरुक करने करने के बिहार सरकार ने 2008 में पहला कृषि मैप तैयार किया था. इस रोड मैप का किसानों पर इतना सकरात्मक प्रभाव पड़ा कि कुछ ही सालों में रिकॉर्ड तोड़ चावल की खेती में बिहार से उत्पादन हुआ. दूसरा रोड मैप 2011 में लागू किया गया जिसमें बिहार सरकार ने 18 विभाग को शामिल कर कृषि कैबिनेट का गठन किया था.
2017 में तीसरे कृषि रोडमैप का लागू किया गया. तीसरे कृषि रोड मैप में ऑर्गेनिक खाद पर जोर दिया गया. साथ ही किसानों के खेतों तक बिजली पहुंचाने का लक्ष्य रखा गया.
कृषि रोड मैप से बिहार को मिला कृषि कर्मण पुरस्कार
कृषि रोडमैप की वजह से बिहार को 2012 में चावल, 2013 में गेहूं तथा 2016 में मक्का उत्पादन में उत्कृष्ट प्रदर्शन के लिए केंद्र सरकार द्वारा कृषि कर्मण पुरस्कार से नवाजा गया. 2012 में बिहार ने धान की 224 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तथा आलू के 729 क्विंटल प्रति हेक्टेयर का विश्व रिकॉर्ड बनाया.
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चौथे रोड़मैप के सामने बड़ी चुनौती
अभी तक बिहार में तीन कृषि रोडमैप लागू किया जा चुका है फिर भी सरकार बिहार के सुखाग्रस्त इलाकों में कृषि की उत्तम व्यवस्था नहीं कर पाई है. आज भी बिहार कृषि के मामले में आधुनिकता से काफी पिछे है. किसानों के प्रशिक्षण पर भी कई अटकलें लगती रहीं है. मंडी भाव सबसे बड़ी समस्या रही है बिहार के किसानों के पास. आज भी बिहार मौसम की वजह की वजह से कई फसल नहीं उगा पाते. जिसकी वजह से दलहन, तेलहन और मिलेट्स की खेती काफी चुनौतिपूर्ण है.