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Updated on: 6 March, 2019 2:35 PM IST

उत्तर भारत में कपास की फसल में गुलाबी रंग की सुंडी की समस्या देखने को मिली है। इसको रोकने के लिए विभाग ने विशेष प्लान तैयार किया है। इसके लिए सभी कृषि वैज्ञानिक गुलाबी सुंडी को रोकने के लिए निगरानी रखनें का कार्य करेंगे और फसल को बचाने के लिए जागरूक करने का कार्य किया जाएगा। इसकी चर्चा हेतु उत्तरी भागों के प्रदेशों को दक्षिण भारत के प्रदेशों से जोड़ने का कार्य किया गया है। वैज्ञानिकों ने इस पर चिंता व्यक्त की और लंबी बैंठके की है। अगर अत्तरी भारत में इसकी बात करें तो पिछले सीजन में हरियाणा के जींद जिलें व बठिंडा में कपास के फसल में गुलाबी सुंडी देखने को मिला था। अगर कपास की खेती करने वाले राज्यों की बात करें तो हरियाणा, पंजाब, राजस्थान में कपास की तकरीबन 11 से 12 लाख हेक्टेयर पर खेती होती है।

गुलाबी सूंडी रोकने पर विचार

कपास में लगने वाली गुलाबी सुंडी को रोकने के लिए कृषि वैज्ञानिकों ने मंथन करना शुरू कर दिया है। इसको रोकने के लिए दक्षिण भारत में कपास उत्पादन वाले राज्य तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश, कर्नाटक के अलावा हरियाणा, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, तेलंगाना ,राजस्थान, पंजाब आदि राज्यों को भी इस समस्या के मंथन को समझने हेतु जोड़ा गया है। अगर गुलाबी सुंडी के कहर का आंकलन करें तो 2017 के सीजन में गुजरात और वर्ष 2018 में कपास की फस,ल को गुलाबी सुंडी से सबसे ज्यादा नुकसान पहुंचा है। इसका सीधा असर किसानों पर पड़ा और उनको आर्थिक तौर पर सीधा नुकसान हुआ है। नये सीजन में गुलाबी सुंडी को रोकने के लिए शोध कार्य किया जाएगा।

जानें क्या होती है गुलाबी सुंडी

गुलाबी सूंडी एक कीट होता है। इसका एक वैज्ञानिक नाम पैक्टीनीफोरा गोंसीपीला है। ये अपने जीवनकाल के दौरान अलग-अलग प्रकार के चार अवस्थाओं से गुजरता है। सामान्य रूप से फल में कलियां व फूल आने के बाद ही इस कीट का उपद्रव शुरू होता है। कई बार कीटग्रस्त फूलों की पखुड़ियां आपस में मिल जाती है। यह दूर से देखने पर गुलाब की पखुड़ी की तरह ही दिखाई देती है। अंडे में निकली छोटी- छोटी सुंडियां फूल व छोटे बोल्स में सूक्ष्म छिद्र बनाकर उनके अंदर आसानी से प्रवेश कर जाती है। इससे फूल व गोल्स गिर जाते है। इससे फसलों को सीधा नुकसान भी होता है।

English Summary: Preparation to stop the pink trunk in cotton
Published on: 06 March 2019, 02:37 PM IST

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