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Updated on: 1 June, 2020 5:07 PM IST

वैसे तो कोरोना के कहर ने सभी क्षेत्रों को प्रभावित किया है, लेकिन खाद्य जगत में सबसे अधिक नुकसान नॉनवेज और विशेषकर पोल्ट्री उद्द्योग को हुआ है. तरह-तरह की अफवाहों और लॉकडाउन के सख्त नियमों के कारण इसकी बिक्री पर लगा प्रतिबंध, अब मुर्गी पालकों एवं पोल्ट्री जगत से जुड़ें लोगों को कर्ज की बोझ की तरफ लेकर जा रहा है. इस समय मुर्गियों के लिए दाना-पानी जुटाना भी मुश्किल हो गया है, बिक्री लगभग बंद है और जहां हो भी रही है, वहां लोग अफवाहों के कारण इसे खरदीने से बच रहे हैं. सभी तरह के बड़े दावत, समारोह आदि प्रतिबंधित हैं, जिस कारण चिकन की मांग न के बराबर है. इसी तरह अंडों का व्यापार भी घाटा ही सह रहा है.उत्तर प्रदेश में तो चिकन के दुकानदारों की परेशानी कुछ अधिक गंभीर है. यहां के चिकन दुकानदारों के मुताबिक लाइसेंस के लिए रखी शर्तों को स्लॉटर हाउस से संबंधित रखा गया है, जबकि चिकन का उत्पादन स्लॉटर हाउस में नहीं होता है. यही कारण है कि प्राय किसी भी दुकानदार के पास लाइसेंस नहीं है.

चिकन की खपत लगभग न के बराबर है

दुकानदारों ने बताया कि मार्च में अचानक लॉकडाउन लगने के कारण ट्रांसपोर्ट पूरी तरह से बंद हो गए, जिस कारण पोल्ट्री संचालकों को ब्रैलर के लिए फीड नहीं मिल पाया. अभी जिस तरह के हालात हैं, पोल्ट्री उद्द्योग को पटरी पर आने में सितंबर तक का वक्त लग सकता है.

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English Summary: poultry industry in india facing heavy loss due to lockdown
Published on: 01 June 2020, 05:10 PM IST

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