प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) 16 दिसंबर को 'जीरो बजट खेती' (Zero Budgetl farming) पर एक सम्मेलन को संबोधित करेंगे, जिसमें राज्य सरकारें भी भाग लेने वाली हैं. इस सम्मलेन का उद्देश्य जीरो बजट फार्मिंग/जैविक खेती के प्रति लोगों को जागरूक करना और बढ़ावा देना है.यह परियोजना 9,800 करोड़ रुपये से अधिक की लागत से पूरी हुई है, जिसमें से पिछले चार वर्षों में 4,600 करोड़ रुपये से अधिक का प्रावधान किया गया था.
होगा लाइव प्रसारण (Will be broadcast live)
प्रधानमंत्री 16 दिसंबर को सुबह 11 बजे 'जैविक खेती' (Organic farming) पर हो रहे सम्मेलन में भाग लेंगे और इसे संबोधित करेंगे. केंद्रीय कृषि सचिव संजय अग्रवाल (Union Agriculture Secretary Sanjay Agarwal) ने लोगों को लाइव कार्यक्रम में शामिल होने का अनुरोध किया है.
क्या है जीरो बजट फार्मिंग? (What is Zero Budget Farming?)
यह एक तरह की प्राकर्तिक खेत (Natural farming) है. आपको बता दें इस खेती में रासायनिक खाद और कीटनाशकों जैसे जेहरीले प्रदार्थ से बचा जाता है. इस खेती में ज्यादातर गाय के गोबर और गौमूत्र (cow dung and urine) से खेती की जाती है.
क्या है लक्ष्य (What is the goal)
38.09 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में अब तक 43.38 लाख किसानों ने जैविक/प्राकृतिक खेती (Organic farming) को अपनाया है. वहीं केंद्र ने 2022-23 और 2025-26 के बीच विभिन्न योजनाओं के तहत 7.35 लाख अतिरिक्त क्षेत्र बढ़ाने का लक्ष्य रखा है.
मेगा इवेंट में शामिल होने का आमंत्रण (Invitation to attend mega event)
11 दिसंबर को उत्तर प्रदेश के बलरामपुर में सरयू नहर राष्ट्रीय परियोजना (Saryu Canal National Project) का उद्घाटन करते हुए, मोदी ने किसानों को प्राकृतिक खेती पर "मेगा इवेंट" में शामिल होने के लिए आमंत्रित किया था.
जीरो बजट खेती की तरफ बढ़ते कदम (Moving towards zero budget farming)
पीएम नरेंद्र मोदी ने कहा “हमारे पद्म पुरस्कार विजेता सुभाषजी (महाराष्ट्र) ने जीरो बजट खेती का एक विचार विकसित किया है. यह एक प्राकृतिक कृषि परियोजना है, जिससे हमारी धरती माता और पानी की भी बचत होती है, फसल भी अच्छी होती है और उपज मात्रा में बेहतर होती है. मैं देश भर के अपने सभी किसान मित्रों से आग्रह करता हूं कि 16 दिसंबर को टीवी या कृषि विज्ञान केंद्र के माध्यम से इस कार्यक्रम में शामिल हों. मुझे यकीन है कि आपको बहुत सी चीजें पता चल जाएंगी जिन्हें आप अपने खेतों में लागू कर सकते हैं और जो आपके लिए बहुत फायदेमंद होंगी."
कृषि क्षेत्र में बन रहे रिकार्ड्स (Records being made in agriculture sector)
उद्योग के आंकड़ों से पता चलता है कि पिछले साल देश में उर्वरक की 67 मिलियन टन (MT) के साथ रिकॉर्ड बिक्री हुई थी और साथ ही लगभग 21-22 मिलियन टन का अब तक का उच्च आयात हुआ है. 2020-21 फसल वर्ष (जुलाई-जून) के दौरान देश का खाद्यान्न उत्पादन भी रिकॉर्ड 308.65 मिलियन टन और बागवानी उत्पादन 331.05 मिलियन टन हो गया था.
किसानों को मिल रही मदद (Farmers getting help)
केंद्र परंपरागत कृषि विकास योजना (Kendra Paramparagat Krishi Vikas Yojana) और पूर्वोत्तर क्षेत्र में मिशन ऑर्गेनिक वैल्यू चेन डेवलपमेंट (Mission Organic Value Chain Development) के माध्यम से जैविक खेती को बढ़ावा दे रहा है.
लगातार तीन वर्षों तक किसानों को बीज, जैव-उर्वरक, जैव-कीटनाशक, जैविक खाद और खाद/वर्मी-कम्पोस्ट जैसे इनपुट लागतों को पूरा करने के लिए PKVY के तहत कुल ₹31,000/हेक्टेयर और MOVCDNER के तहत ₹32,500/हेक्टेयर मिलता है.
खेती को मिला बढ़ावा
भारतीय प्राकृतिक कृषि पद्धति (BPKP) गाय के गोबर-मूत्र के निर्माण और पौधों पर आधारित तैयारियों के उपयोग सहित पारंपरिक स्वदेशी प्रथाओं को बढ़ावा देती है. BPKP के तहत, किसानों को क्लस्टर निर्माण और क्षमता निर्माण के लिए 3 साल के लिए ₹12,200/हेक्टेयर मिलता है.