दिल्ली बॉर्डर पर पिछले कई दिनों से कृषि कानून के खिलाफ किसान डटे हुए हैं, लेकिन धीरे-धीरे उनके मुद्दे पीछे छूटते जा रहे हैं और राजनीति हावी होती जा रही है. हाल के दिनों में दिए गए नेताओं के बयान इसी ओर इशारा कर रहे हैं. किसी नेता को इसमें पाकिस्तान, खालिस्तान और विपक्ष के हाथ होने का शक है, तो कोई किसान के आसरे अपनी राजनीतिक रोटियां सेंकने पर आमादा है. हालांकि मुद्दा वहीं है कि कैसे किसानों की खोई हुई साख फिर से वापस आए और किसी भी किसान की मौत कर्ज की वजह से ना हो.
इस तरह पीएम मोदी ने मौके पर लगाया चौका
प्रधानमंत्री मोदी शुक्रवार को जब किसानों को संबोधित करने जा रहे थे, तभी यह स्पष्ट हो गया था कि वह उन्हें रिझाने का खूब प्रयास करेंगे. मौके का फायदा उठाते हुए वे ममता सरकार पर भी वार कर गए. उन्होंने कहा कि ममता बनर्जी की विचारधारा ने बंगाल को बर्बाद कर दिया. बंगाल ही ऐसा राज्य है, जहां के किसानों को केंद्र की योजनाओं का लाभ नहीं पहुंच रहा है. उन्होंने कहा कि जो दल पश्चिम बंगाल में किसानों के अहित पर कुछ नहीं बोलते, वो यहां किसान के नाम पर देश की अर्थनीति को बर्बाद करने में लगे हुए हैं.
बिहार के किसानों का खस्ताहाल
पीएम मोदी का बंगाल और बंगाल के किसानों को लेकर इतना प्रेम आना जायज है. हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि आने वाले समय में बंगाल में विधानसभा के चुनाव होने वाले हैं, तो दावे और वादे घूम फिर कर बंगाल पर ही खत्म होंगे. भले ही किसान ठंड में अपनी जान ही क्यों न गंवाते रहे. अगर सही में हम किसानों का हाल जानना चाहते हैं, तो हमें वहां के किसानों को देखना चाहिए, जहां एपीएमसी यानी मंडी प्रणाली समाप्त हो चुकी है. बिहार तो किसानों के खस्ताहाल के लिए एक उदाहरण है. यहां पहले ही मंडी सिस्टम समाप्त हो चुका है. अब किसान अपनी फसल औने-पौने दाम पर बेचने को मजबूर हैं.
'मोहन भावगत को भी आतंकवादी बोलेंगे'
कांग्रेस किसानों के आसरे ही सत्ता में फिर से आने की राह देख रही है. कांग्रेस पहले तीन लाख किसानों के हस्ताक्षर लेकर आई. कहां से लेकर आई, किसने हस्ताक्षर किए यह जांच का विषय. इससे पहले भी कइयों को कई मौकों पर बड़े-बड़े पन्ने लहराते हुए देखा गया. अब वह पन्ने कहां हैं किस हाल में हैं किसी को नहीं पता. इधर, गुरुवार को कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी अन्य नेताओं के साथ राष्ट्रपति भवन पहुंचे. उन्होंने राष्ट्रपति को किसान के मुद्दे को लेकर ज्ञापन सौंपा. इसके बाद मीडिया से मुखातिब होते हुए मोदी सरकार पर जमकर निशाना साधा. उन्होंने यहां तक कहा कि अगर मोहन भागवत किसानों से साथ खड़े हो गए, तो उनको भी ये लोग आतंकवादी कहेंगे. बहरहाल, राजनीति में आरोप-प्रत्यारोप कोई नई बात नहीं है. अगर यह बंद हो जाए, तो राजनीति की दुकान भी बंद करनी पड़ जाएगी.