देश के छोटे औऱ सीमांत किसानों को ध्यान में रखते हुए सरकार द्वारा प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना (PM Kisan) की शुरुआत की गई थी. इस योजना में किसानों को सरकार की तरफ से 6000 रुपए सालाना की मदद की जाती है. हर 4 महीने पर किसानों के खाते में 2000 रुपए डाली जाती है. इस योजना में अब तक किसानों के खाते में 5 किस्त के पैसे भेजे जा चुके हैं.
कोराना महामारी की वजह से जारी लॉकडाउन में भी किसानों को इसके द्वारा काफी मदद पहुंचाया गया है. आंकड़ों के अनुसार योजना के द्वारा 24 मार्च से अब तक 19,350.84 करोड़ रुपए की मदद किसानों को दी जा चुकी है और इसमें करीब 9.67 करोड़ किसानों को लाभ मिला है.इसमें सरकार की तरफ से सभी किसानों को मदद नहीं दी जाती है. देश के सभी किसान इसमें मदद के पात्र नहीं बनाए गये हैं. इसमें कुछ शर्तें लगाई गई हैं जिसकी वजह से कुछ किसानों को इसका लाभ नहीं मिलता है.
इन शर्तों में नहीं मिलता लाभ (Benefits are not available in these condition)
खेती करने वाले किसान के नाम पर जमीन होनी चाहिए,किसान की जगह अगर उसके पिता या दादा के नाम पर खेत है तो उसे 6000 रुपए सालाना का लाभ नहीं मिलेगा.खेती करने वाले किसान ने अगर जमीन किराए पर लेकर खेती करता है तो किसान को 6000 रुपए सालाना सालाना का लाभ नहीं मिलेगा.इस योजना के दायरे से सभी संस्थागत भूमि धारक को भी बाहर रखा गया है. खेती करने वाला किसान या परिवार में अगर कोई संवैधानिक पद पर हैं तो भी उसे इस योजना का लाभ नहीं मिलेगा.
इस योजना के दायरे में राज्य/केंद्र सरकार के साथ-साथ पीएसयू और सरकारी स्वायत्त निकायों के सेवारत या सेवानिवृत्त अधिकारी और कर्मचारी भी नहीं आएंगे. अगर खेती करने वाला किसान डॉक्टर,इंजीनियर, सीए,आर्किटेक्ट्स, और वकील जैसे प्रोफेशन में है तो भी वह इस योजना के लाभ में नहीं आएगा. इसका लाभ ऐसे सेवानिवृत पेंशनभोगियों को भी नहीं मिलेगा जिसका मासिक पेंशन 10,000 रुपए है. अंतिम मूल्यांकन वर्ष में इनकम टैक्स का भुगतान करने वाले पेशेवरों को भी योजना के दायरे से बाहर रखा गया है. खेती करने वाले किसान के परिवार में अगर कोई म्यूनिसिपल कॉरपोरेशंस, जिला पंचायत में है तो भी उसे योजना का लाभ नहीं मिलेगा.
कैसे करना होगा लाभ पाने वालों की पहचान ? (How to identify the beneficiaries?)
केंद्र द्वारा राज्यों/UT सरकारों को “मौजूदा भूमि स्वामित्व प्रणाली” का उपयोग करने का निर्देश दिया गया है. इससे लाभार्थियों की पहचान करने में आसानी हो सके और पीएम-किसान पोर्टल पर परिवार के विवरण अपलोड होने के बाद उनके खाते में पैसे भेजें जा सके. वहीं इसमें सभी पात्र-लाभ किसानों कि पहचान करने और उनके विवरण को पूरी तरह से पीएम-किसान पोर्टल पर अपलोड करने की जिम्मेदारी राज्य सरकारों की है. वहीं इसमें राज्य/UT सरकारों के पास आवेदन आने के बाद जांच करने का भी अधिकार है. सब कुछ सही पाए जाने पर ही इस योजना के तहत लाभ का हकदार माना जाता है.
आवेदन में होगी गलती तो रुक जाएगी किस्त (If there is a mistake in the application, the installment will stop)
किसानों द्वारा दी गई जानकारी में कई बार कुछ गलती हो जाती है. ज्यादातर यह गलती आधार नंबर, बैंक खाता संख्या से लेकर नाम और पता में ही होता है. अगर आप ऐसी गलती करेंगे तो आपकी किस्त रुक जाती है.
इस तरह की गलतीयों को सुधारने का मौका भी किसानों को मिलता है और वो इसे पीएम किसान की वेबसाइट pmkisan.gov.in की मदद से सुधार सकते हैं. इससे आपकी रूकी हुई किस्त की भरपाई भी हो जाती है.