Ratan Tata No More: टाटा समूह के चेयरमैन और वरिष्ठ उद्योगपति रतन टाटा ने 9 अक्टूबर की रात इस दुनिया को अलविदा कर दिया है. 86 साल की उम्र में उन्होंने मुंबई के ब्रीच कैंडी हॉस्पिटल में अंतिम सांस ली. खराब स्वास्थ्य के चलते रतन टाटा को अस्पताल में भर्ती करवाया गया था. रतन टाटा देश के करोड़ों लोगों के लिए उम्मीद रहे हैं. टाटा ग्रुप को बुलंदियों तक पहुंचाने के पीछे उनका सबसे बड़ा योगदान रहा है. रतन टाटा हमेशा अपने कर्मचारियों के साथ खड़े रहा करते थें, कोरोना काल में भी जब देशभर में कंपनियां कर्मचारियों की छंटनी कर रही थीं, तब रतन टाटा ही थे जिन्होंने इसका विरोध किया था.
आइये कृषि जागरण के इस आर्टिकल में रतन टाटा के जीवन के सफर के बारे में जानें.
रतन टाटा का जन्म, परिवार और शिक्षा
रतन टाटा का जन्म 8 दिसम्बर 1937 को मुंबई में हुआ था, वह नवल टाटा और सूनी कमिसारिएट के बेटे थे. 10 वर्ष की उम्र में वह अपने माता पिता से अलग हो गये थे. इसके बाद उनकी दादी नवाजबाई टाटा ने उन्हें JN पेटिट पारसी अनाथालय से गोद लिया. रतन टाटा का पालन-पोषण उनके सौतेले भाई नोएल टाटा के साथ हुआ था. रतन टाटा ने अपनी 8वीं कक्षा तक की पढ़ाई मुंबई के कैंपियन स्कूल से पूरी की. इसके बाद मुंबई के कैथेड्रल और जॉन कॉनन स्कूल और शिमला के बिशप कॉटन स्कूल में पढ़ाई की. बाद में रतन टाटा अपनी पढ़ाई पूरी करने के लिए हार्वर्ड बिजनेस स्कूल गए. इसके बाद उन्होंने आर्किटेक्चर एंड स्ट्रक्चरल इंजीनियरिंग की डिग्री 1959 में कॉर्नेल यूनिवर्सिटी से हासिल की थी. रतन टाटा अमेरिका में ही नौकरी करना चाहते थे, लेकिन उनकी दादी की तबीयत खराब रहने के चलते उन्हें भारत में वापस आना पड़ा था.
रतन टाटा की पहली नौकरी
भारत लौटने के बाद उन्होंने आईबीएम ज्वाइन कर लिया था. उनकी इस नौकरी की जानकारी परिवार के किसी भी सदस्य को नहीं थी. लेकिन बाद में उस वक्त के टाटा ग्रुप के चेयरमैन जेआरडी टाटा को जब रतन टाटा की नौकरी के बारे पता चला तो वह इससे काफी नाराज हुए. इसके बाद जेआरडी टाटा ने रतन टाटा को फोन करके उनका बायोडाटा शेयर करने के लिए कहा, लेकिन उस समय उनके पास खुद का बायोडाटा नहीं था और उन्होंने आईबीएम में ही रखें टाइपराइटर पर अपना बायोडाटा बनाया. जेआरडी टाटा को बायोडाटा भेजने के बाद, उन्होंने सामान्य कर्मचारी के रूप में टाटा ग्रुप की एक यूनिट में काम करते हुए काफी कुछ सीखा. इसके अलावा, रतन टाटा ने टाटा स्टील के प्लांट में चूना और पत्थर को भट्ठियों में डालने का काम भी किया था.
कब संभाली टाटा ग्रुप की कमान?
वर्ष 1991 में रतन टाटा ने टाटा संस और टाटा ग्रुप के अध्यक्ष का कार्यभार संभाला और 21 वर्षों तक कंपनी का नेतृत्व किया. बता दें, उनके टाटा ग्रुप के अध्यक्ष पद पर कार्यरत रहते हुए ही टेटली टी, जगुआर लैंड रोवर और कोरस को टेकओवर किया गया था. रतन टाटा के नेतृत्व में टाटा ग्रुप ने नमक से लेकर एयर इंडिया तक के कारोबार का विस्तार किया था. नमक-मसाले, पानी-चाय-कॉफी, घड़ी-ज्वैलरी, लग्जरी कार, बस, ट्रक और हवाई जहाज तक में टाटा ग्रुप का कारोबार हर क्षेत्र में फैला है. बता दें, वर्ष 2012 में रतन टाटा ने टाटा ग्रुप के चेयरमैन पद से हटने के बाद से अपनी ही कंपनी के लिए सबसे बड़े मार्गदर्शक के तौर पर काम किया करते थे. रतन टाटा एनजीओ के कामों में भी काफी एक्टिव रहा करते थें.
भारत में पहली बार पूर्ण रूप से बनी कार
रतन टाटा के नेतृत्व में ही भारत में पहली बार पूर्ण रूप से बनी कार का उत्पादन हुआ था. इस कार का नाम टाटा इंडिका रखा गया था. वर्ष 1998 में ऑटो एक्सपो और जेनेवा इंटरनेशनल मोटर शो में भारत में सौ फिसदी रूप से पहली बनी इस कार को प्रदर्शित किया गया था. आपको बता दें, टाटा इंडिका को पेट्रोल और डीजल दोनों इंजनों में उपलब्ध करवाया गया था. इसके अलावा, दुनिया की सबसे सस्ती कार टाटा नैनो बनाने की उपलब्धि भी रतन टाटा के नाम रही है.
पद्म विभूषण और पद्म भूषण से सम्मानित
राष्ट्र निर्माण में उनके अतुलनीय योगदान के लिए रतन टाटा को भारत के दो सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार पद्म विभूषण (2008) और पद्म भूषण (2000) से सम्मानित किया जा चुका है. बता दें, आईआईटी बॉम्बे में रिसर्च को बढ़ावा देने के लिए रतन टाटा ने 95 करोड़ रुपए दान दिए थे. इसके अलावा, कोरेल यूनिवर्सिटी को 28 मिलियन डॉलर का दान दिया था.
F16 फैल्कन उड़ाने वाले पहले शख्स
आपको बता दें, रतन टाटा एक पायलेट भी थे. वह भारत के पहसे शख्स बने थे जिसने F16 फैल्कन को उड़ाया था. रतन टाटा को कारों का भी काफी शौक था. उनके कार क्लेक्शन में मर्सिडीज बेंज एस-क्लास, मर्सिडीज बेंज 500 एसएल, मासेराती क्वाट्रोपोर्टे और जगुआर एफ-टाइप जैसी कई कारें शामिल हैं.
प्यार होने के बाद भी नहीं की शादी
रतन टाटा को किसी से प्यार होने के बाद भी वह पूरी उम्र अविवाहित रहे. वह चार बार शादी करने वाले खे, लेकिन हर बार कुछ ना कुछ कारणों के चलते शादी नहीं कर सके. जब वह लॉस एंजिल्स में काम करते थे, तो उन्हें वहां किसी से प्यार हो गया था. लेकिन 1962 के भारत-चीन युद्ध की वजह से लड़की के माता-पिता ने उसे भारत भेजने से मना कर दिया था, जिसके बाद रतन टाटा ने कभी शादी नहीं की.