अधिक रासायनिक खाद के इस्तेमाल की वजह से खेत की मिटटी की गुणवत्ता को नुकसान पहुँच रहा है. मिटटी की उपजाऊ क्षमता दिन पर दिन कम होती जा रही है. ऐसे में अब आर्गेनिक खाद (Organic Manure) के इस्तेमाल को बढ़ावा दिया जा रहा है.
देश के सभी राज्यों में आर्गेनिक खाद का इस्तेमाल करने पर जोर दिया जा रहा है, लेकिन अब खाद में गौमूत्र (Cow Urine In Compost) का इस्तेमाल किया जाएगा.
दरअसल, छत्तीसगढ़ के रायपुर में 27 कृषि विज्ञान केंद्रों में फसलों का प्रदर्शनी लगायी जा रही है, जिसमें सभी प्रकार की फसलों की प्रदर्शनी लगेगी. गौमूत्र से बनी आर्गेनिक खाद की गुणवत्ता जांचने के लिए प्रदर्शनी में शामिल सभी फसलों में गौमूत्र खाद का इस्तेमाल किया जाएगा.
विभाग की तरफ से मिली जानकरी में बताया गया है कि गौमूत्र से बनी आर्गेनिक खाद का ट्रायल कर हम गौमूत्र के गुण और उपलब्ध तत्वों (Properties And Available Elements Of Cow Urine) की मात्रा के बारे में जानकारी प्राप्त कर सकेंगे. इस बात की जानकारी रायपुर के इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय, कामधेनु विश्वविद्यालय के साथ कृषि, पशुपालन व सहकारिता विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों ने एक की बैठक के दौरान दी.
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गौमूत्र से मिटटी होगी उपजाऊ (Soil will be Fertile With Cow Urine)
अधिकारियों का कहना है कि गौमूत्र में नाइट्रोजन की मात्रा अधिक पायी जाती है, एवं गौमूत्र में रोग प्रतिरोधक क्षमता भी अच्छी होती है, इसलिए इसके उपयोग से फसलों की उपज भी स्वास्थ्यवर्धक होगी.
सेहत भी सभी लोगों की अच्छी रहेगी, साथ ही मिटटी की उपजाऊ क्षमता भी अच्छी होगी. यूरिया के इस्तेमाल से कई तरह की बीमारियों का भी प्रकोप बढ़ जात है. उन्होंने राज्य के कृषि वैज्ञानिकों से यूरिया के स्थान पर गौमूत्र के उपयोग की वैज्ञानिक तकनीक विकसित करने का भी जानकारी दी है.