किसानों को सशक्त और उनकी आय बढ़ाने के लिए सरकार कई तरह के बेहतरीन नीतियों को लागू करती रहती है. इसी क्रम में समस्तीपुर स्थित डॉ राजेंद्र प्रसाद केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय ने केले के अवशेष से जैविक खाद बनाने के गुण किसानों को सिखा रही है. इनका कहना है कि केले के तना से तरल और ठोस दोनों प्रकार से जैविक खाद तैयार की जा सकती हैं. इसका इस्तेमाल से किसानों की आय बढ़ेगी और साथ ही वह अपनी फसल में भी वृद्धि कर सकेंगे.
अक्सर देखा जाता हैं, कि केले के पौधों (Banana Plants) से फल लेने के बाद उसके तने को ऐसे ही बेकार समझ कर फेंक दिया जाता है, जिससे आम नागरिकों को कई परेशानियों का सामना करना पड़ता है. ये ही नहीं इससे होने वाली बदबू लोगों को बीमार भी कर देती है. इसी परेशानी को देखते हुए विश्वविद्यालय प्रशासन ने यह अहम कदम उठाया है जिससे केले के तने का इस्तेमाल भी होगा और किसी को परेशानी भी नहीं होगी.
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200 से अधिक किसानों को दिया प्रशिक्षण (Training given to more than 200 farmers)
इस विषय में कृषि वैज्ञानिक एस के सिंह का कहना है कि इस योजना में विश्वविद्यालय द्वारा 200 से अधिक किसानों को प्रशिक्षण दिया जा चुका है. इसके अलावा कृषि विवि में अनुसंधान के द्वारा केले के थंब से करीब 50 टन वर्मी कंपोस्ट को भी तैयार किया जा चुका है, जिसमें लगभग 35 प्रतिशत गोबर मौजूद है. बता दें कि इसका प्रशिक्षण सर्वप्रथम पपीते के पौधे (papaya plants) पर किया गया था. जिसका परिणाम लाभ कार्य रहा और फलस्वरूप पपीते के उत्पादन (production of papaya) में वृद्धि देखने को मिली.
रासायनिक उर्वरक से छूटकारा (exempted from chemical fertilizers)
आपको बता दें कि इस नई विधि के विषय में विवि के शोधकर्ता सिंह का कहना है कि केले के तने और अवशेष से बने जैविक ठोस और तरल खाद (organic solid and liquid fertilizers) में नाइट्रोजन, फास्फोरस, पोटाश व जिंक आदि भरपूर मात्रा में होता है. अगर किसान इसका इस्तेमाल खेती के प्रथम वर्ष में करते हैं. तो उन्हें अपनी फसल में 50 प्रतिशत तक कम रासायनिक उर्वरक का इस्तेमाल करना पड़ेगा. देखा जाए तो इसके उपयोग से किसानों को अपने खेत में अगले दो से तीन सालों तक रासायनिक उर्वरक से छुटकारा मिल जाएगा.
इसके अलावा उन्होंने यह भी दावा किया है, कि इस जैविक खाद (organic fertilizer) को फसल में डालने से कीटों का प्रकोप नहीं रहता है. आज के समय में कई किसान भाई केले के तने से जैविक खाद बनाकर लाभ कमा रहे हैं.