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Updated on: 20 February, 2023 4:16 PM IST
बिहार राज्य बीज एवं जैविक प्रमाणन एजेंसी

केंद्र से लेकर राज्य सरकारें तक जैविक और पारंपरिक खेती को बढ़ावा दे रही हैं. इसी कड़ी में बिहार सरकार जैविक खेती से संबंधित फसलों के प्रमाणन के लिए बसोका (बिहार राज्य बीज और जैविक प्रमाणीकरण एजेंसी) के तहत ऑनलाइन आवेदन लेती है.

इसको लेकर बिहार के कृषि विभाग ने जानकारी दी है कि अब सिर्फ बिहार ही नहीं उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश के किसान भी बिहार राज्य बीज एवं जैविक प्रमाणन एजेंसीबसोका (Bihar State Seed & Organic Certification Agency, BSSOCA) से जैविक खेती का प्रमाणीकरण करा रहे हैं. इसकी जानकारी बिहार कृषि विभाग ने अपने आधिकारिक ट्विटर अकाउंट से ट्वीट कर दी है.  

बिहार कृषि विभाग द्वारा जारी ट्वीट में दी गई जानकारी निम्न है-

बिहार राज्य बीज एवं जैविक प्रमाणन एजेंसी (बसोका) बिहार समेत 8 राज्यों में जैविक खेती का प्रमाणीकरण कर रही है. इससे किसानों के जैविक उत्पादों की गुणवत्ता को लेकर न केवल ब्रांडिंग हो रही हैबल्कि बढ़िया कीमत भी मिल रही है. उत्तर प्रदेशराजस्थानमध्य प्रदेशगुजरातमहाराष्ट्रत्रिपुरा और पं. बंगाल के किसान बसोका से जैविक खेती प्रमाणीकरण करा रहे हैं.

केंद्र सरकार से मार्च में मिली मान्यता

बसोका को केंद्र सरकार से मार्च 2020 में मान्यता मिली और अगस्त 2020 से ये काम करने लगी. वर्तमान में पौने दो लाख एकड़ में जैविक खेती करने वाले 45 हजार से अधिक किसान बसोका से निबंधित हैं. इसमें कुछ एफपीओ (फार्मर प्रोड्यूसर आर्गेनाइजेशन) भी शामिल है. बिहार समेत आठ राज्यों के पौने दो लाख एकड़ में होने वाली जैविक खेती की बसोका में जांच होती है.

बसोका के निदेशक सुनील कुमार पंकज ने कहा कि केंद्र सरकार की ओर से जैविक उत्पादों के लिए राष्ट्रीय कार्यक्रम (एनपीओपी) के तहत बसोका को उत्तर प्रदेशमध्य प्रदेश और राजस्थान या अन्य राज्यों में प्रमाणीकरण की जिम्मेदारी मिली है. इसके पीछे वजह यह है कि वहां की जांच एजेंसियां बड़े पैमाने पर खेती होने के कारण जांच पूरी नहीं कर पा रही है. दूसरा प्रयोगशाला की क्षमता कम है. ऐसे में बसोका में निबंधन कराकर किसान अपने खेतों की जांच करा रहे हैं.

21 हजार किसानों ने दी सी- 3 प्रमाण पत्र की अर्जी

वर्तमान में 21 हजार से अधिक किसानों ने बसोका में सी-3 जैविक प्रमाणीकरण के लिए अर्जी दी है. सभी ऐसे किसान हैं जिन्होंने सी-1 और सी- 2 प्रमाणीकरण प्राप्त कर लिया है. इसके तहत किसान बासोका में जैविक खेती वाले भूखंड का निबंधन कराते हैं. समय- समय पर एजेंसी के निरीक्षक खेतों की जांच करते हैं. तीन वर्ष तक हर फसल की निगरानी के बाद खेतों को प्रमाण पत्र दिया जाता है.

बिहार राज्य जैविक मिशन कर रहा प्रोत्साहित

किसानों को प्रशिक्षित करने एवं प्रमाणीकरण संबंधी कार्यों के लिए राज्य सरकार द्वारा बिहार राज्य जैविक मिशन का गठन किया गया है. जैविक मिशन के तकनीकी विशेषज्ञ किसानों को प्रशिक्षित करते हैं. बिहार में सी-1 और सी -2 प्रमाणित जैविक उत्पाद के बाद सी-3 भी मिल रहे हैं. बसोका एवं कुछ एफपीओ द्वारा उत्पादित सब्जियां बाजार में बेची जा रही है.

कैसे होती है जांच

मीठापुर स्थित कृषि निदेशालय परिसर में प्रमाणन एजेंसी का कार्यक्षेत्र बिहार के साथ बंगाल, महाराष्ट्र, मध्यप्रदेश, उत्तर प्रदेश, त्रिपुराअसमराजस्थान है. जैविक खेती करने वाले किसानों के अलावा एफपीओ और सामूहिक खेती कराने वाली फार्म और कंपनियों की ओर से तय शुल्क ऑनलाइन जमा करने के बाद एजेंसी के विज्ञानी संपर्क स्थापित कर जांच के लिए नमूना संग्रह करने खेत में पहुंचते हैं.

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जैविक प्रमाणीकरण कैसे प्राप्त करें?

जैविक या पारंपरिक खेती से संबंधित फसलों के प्रमाणीकरण के लिए बसोका ऑनलाइन आवेदन लेता है. सिर्फ बिहार ही नहींदूसरे राज्य के किसान भी बसोंका के आधिकारिक वेबसाइट  पर आधार संख्या और बाकि की जानकारी देकर आवेदन कर सकते हैं. पहले बिहार के किसानों को भी जैविक प्रमाणन सिक्किम से कराना पड़ता था. अब बिहार के साथ अन्य राज्यों के किसानों को ऑनलाइन यह सुविधा मिल रही है.

English Summary: Organic Farming: Farmers of UP-MP are getting certification of organic farming from Basoka
Published on: 20 February 2023, 04:25 PM IST

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