लोकसभा चुनाव 2019 के नतीजों से पहले एग्जिट पोल से आशंकित विपक्षी दलों को ईवीएम के मुद्दे पर तगड़ा झटका लगा है। दरअसल वीवीपैट के ईवीएम के 100 फीसदी मिलान की मांग वाली याचिका को सुप्रीम कोर्ट ने एक बार फिर से खारिज कर दिया है। इसी बीच चुनाव आयोग ने भी उत्तर प्रदेश के चार जिलों में ईवीएम की सुरक्षा को लेकर विपक्ष की ओर से उठाए गए सभी सवालों को पूरी तरह से खारिज कर दिया गया है। चुनाव आयोग ने विपक्ष से कहा है कि ईवीएम पूरी तरह से सुरक्षित है, साथ ही वह आयोग पर पूरी तरह से विश्वास बनाए ऱखे। साथ ही केंद्रीय स्तर पर एक स्ट्रांग रूम भी बना दिया गया है जहां से चुनाव आयोग ईवीएम और स्ट्रांगरूम से जुड़ी शिकायतों को जांच कर सकता है।
क्या है ईवीएम विवाद
दरअसल पिछले दो दिनों से उत्तर प्रदेश और बिहार के कुछ जिलों में भ्रामक वीडियो तेजी से फैली है जिसमें कथित रूप से दिखाया गया था कि ईवीएम को हटाया जा रहा है। इस बात को लेकर काफी विरोध- प्रदर्शन हुआ और केंद्रीय चुनाव आयोग ने भरोसा दिलाया कि ईवीएम सुरक्षित है।
आयोग ने कहा है कि विपक्ष जिन ईवीएम का जिक्र बार-बार करने में लगा हुआ है असल में वह अतिरिक्त मशीनें है जिनका स्ट्रांग रूम में रखी मशीनों से कोई लेना-देना नहीं होता है। आयोग के अनुसार यह वह मशीनें है जिन्हें अतिरिक्त तौर पर दूसरी जगह रखा जाता है. इनमें से कुछ मशीनें खराब होती है या फिर जांच परीक्षण के काम में आती है। चुनाव आयोग ने इस पूरे के पूरे विवाद में आयोग पर लगाए गए लापरवाही के हर तरह के सभी आरोपों को निराधार करार दिया है। आयोग ने कहा है कि सभी मामलों में ईवीएम और वीवीपैट की पर्चियों के उम्मीदवारों के सामने अच्छे से सील किया गया था इसीलिए सभी आरोप निराधार है।
सुप्रीम कोर्ट खारिज की याचिका
सुप्रीम कोर्ट ने सभी वीवीपैट पर्चियों की जांच किए जाने वाली मांग को लेकर लगाई गई याचिका पर सुनवाई करते हुए याचिका को बकवास बताते हुए कहा कि ऐसी अर्जियों को बार-बार नहीं सुना जा सकता है। सुप्रीम कोर्ट ने भी सभी ईवीएम और वीवीपैट से मिलान की याचिका को खारिज कर दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि इस मामले में पहले ही मुख्य न्यायधीश की बेंच फैसला दे चुकी है फिर आप इस मामले को अवकाशकालीन बेंच के सामने क्यों उठा रहे है। कोर्ट ने याचिकाकर्ता से कहा कि देश को सरकार चुनने दो।