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Updated on: 2 November, 2019 5:52 PM IST

छत्तीसगढ़ के दस हजार स्कूलों में पोषण वाटिका मॉडल पूरे ही देशभर में लागू होगा. यहां पर मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने सभी राज्यों के मुख्य सचिवों और शिक्षा सचिवों को पत्र लिखकर सभी स्कूलों में पोषण वाटिका स्थापित करने के भी निर्देश दिए है. यहां पर इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय के कृषि विज्ञान केंद्र कांकेर द्वारा स्कूली बच्चे को अनावश्यक पोषक तत्व उपलब्ध कराने के लिए स्कूलों में पोषण वाटिका स्थापित करने की नवाचारी पहल अब देशभर के 11 लाख से अधिक स्कूलों में लागू होगी.मानव संसाधन विभाग ने पत्र में पोषण वाटिकाओं की स्थापना हेतु आवश्यक दिशा निर्देश जारी किए गए है. यहां पर पोषण वाटिकाओं की स्थापना हेतु कृषि विज्ञान केंद्रों, कृषि, उद्यानिकी और वन्य विभागों, कृषि विश्वविद्यालयों से आवश्यक तकनीकी सहयोग एवं मार्गदर्शन प्राप्त करने के लिए कहा है,

शुरू में 10 स्कूलों से शुरूआत हुई

इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय के कृषि विज्ञान केंद्र कांकेर के द्वारा स्कूलों में पोषण वाटिका योजना की शुरूआत वर्ष 2015-16 में कांकेर जिले के दस स्कूलों से की गई है. इन 10 स्कूलों में विकसित पोषण वाटिका की सफलता से वाटिकाएं प्रभावित होकर छ्ततीसगढ़ के कई जिलों जैसे कि दंतेवाड़ा, बलरामपुर, बिलासपुर, मुंगेली, महासमुंद और रायपुर जिलों में भी पोषण वाटिकाओं को विकसित करने की शुरूआत की गई है. वर्तमान में छत्तीसगढ के लगभग 10 हजार स्कूलों में पोषण वाटिकाएं भी विकसित की जा रही है,

सब्जियों और फलों के मध्याहन भोजन में उपयोग

यहां पर जो भी पोषण वाटिका विकसित हो रही है. यहां पर पत्तेदार सब्जियों जैसे कि पालक, मैथी, चौलाई, लाल भाजी के साथ गाजर, मूली, गोभी, टमाटर, भिंडी, बरबट्टी, बैंगन आदि की खेती की जा रही है. यहां तक की विद्यार्थियों के मध्यहान भोजन के लिए ताजी और पौष्टिक सब्जियां स्कूल में ही उत्पादित की जा सके. बता दें कि पोषण वाटिका के लिए केवल 300 से 500 वर्गमीटर जमीन की आवश्यकता होती है, इन पोषण वटिकाओं में मौसमी सब्जियों के साथ ही फलदार पौधे भी उगाए जाते है.

English Summary: Nutrition model of schools in Chhattisgarh will be implemented to eliminate malnutrition
Published on: 02 November 2019, 05:54 PM IST

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