PM Kisan Update: 4 राज्यों के किसानों को मिली 21वीं किस्त, जानें बाकी किसानों को कब तक मिलेगा लाभ? Weather Update: यूपी, पंजाब, हरियाणा और उत्तराखंड समेत इन राज्यों में होगी बारिश, जानिए अपने यहां का पूरा मौसम अपडेट Sankalp Retail: देशभर में कृषि-इनपुट खुदरा व्यापार को बदलना और ग्रामीण उद्यमिता को बढ़ावा देना किसानों को बड़ी राहत! अब ड्रिप और मिनी स्प्रिंकलर सिस्टम पर मिलेगी 80% सब्सिडी, ऐसे उठाएं योजना का लाभ जायटॉनिक नीम: फसलों में कीट नियंत्रण का एक प्राकृतिक और टिकाऊ समाधान Student Credit Card Yojana 2025: इन छात्रों को मिलेगा 4 लाख रुपये तक का एजुकेशन लोन, ऐसे करें आवेदन Pusa Corn Varieties: कम समय में तैयार हो जाती हैं मक्का की ये पांच किस्में, मिलती है प्रति हेक्टेयर 126.6 क्विंटल तक पैदावार! Watermelon: तरबूज खरीदते समय अपनाएं ये देसी ट्रिक, तुरंत जान जाएंगे फल अंदर से मीठा और लाल है या नहीं
Updated on: 22 August, 2019 1:47 PM IST

देश में केरल के पान, तमिलनाडु राज्य के पालनी शहर के पलानी पंचामिर्थम, उत्तर पूर्वी राज्य मिजोरम के तल्लोहपुआन और मिजोपुआनचेई और के तिरूर के पान के पत्ते को जीआई टैग प्रदान करके उनको पंजीकृत कर लिया गया है. उद्योग और आंतरिक व्यापार संवर्धन विभाग के अनुसार उसने हाल ही में चार तरह के नए भौगोलिक संकेतकों को पंजीकृत किया है. दरअसल जीआई टैग की पहचान उन उत्पादों को दी जाती है जो कि किसी विशिष्ट भौगोलिक क्षेत्र में ही पाए जाते है और उनमें वहां की स्थानीय खूबियां मौजूद होती है.

विशेष पहचान वाले उत्पादों को जीआई टैग:

दरअसल जीआई टैग के लग जाने के बाद उस उत्पाद की विशेष पहचान बन जाती है. जीआई टैग के किसी भी उत्पाद को खरीदने के समय ग्राहक उसकी विशिष्टता एवं गुणवत्ता को लेकर काफी ज्यादा आश्वस्त रहते है. जीआई टैग वाले उत्पादों से दूरदराज के क्षेत्रों में ग्रामीण अर्थव्यवस्था लाभान्वित होती है. क्योंकि इससे कारीगरों, किसानों, शिल्पकारों और बुनकरों की आमदनी में बेहतर इजाफा होता है.

यह है उत्पादों की अलग-अलग खासियत:

तमिलनाडु के डिंडीगुले जिले के पलानी शहर की पलानी पहाडियों में स्थित अरूमिलुग धान्यथुपानी स्वामी मंदिर के पीठासीन देवता भागवानधान्दयुथापनी स्वामी के अभिषेक से जुड़े प्रसाद पालानीपंचामिर्थम कहा जाता है.इस पवित्र प्रसाद को एक निश्चित अनुपात में पांच प्राकृतिक पदार्थ ( केला, गुड़, चीनी, गाय के घी, शहद और इलायची) को मिलाकर बनाया जाता है. बता दें कि पहली बार तमिलनाडु के किसी मंदिर के प्रसाद को जीआई टैग प्रदान किया गया है.

मिजोरम का आकर्षक वस्त्र:

तवलोहपुहान मिजोरम राज्य में एक भारी, मजबूत और उत्कृष्ट वस्त्र है जो कि तने हुए धागे, बुनाई और जटिल डिजाइन के लिए माना जाता है. इसको हाथ के सहारे बुना जाता है. मिजो भाषा में तवतोह का मतलब होता है एक ऐसी मजबूत चीज जिसको पीछे नहीं खींचा जा सकता है. मिजो समाज में तवलोहपुआन का विशेष महत्व होता है और इसको पूरे मिजोरम राज्य में तैयार किया जाता है. यहां की राजधानी आईजोल और थेनजोल शहर इसके उत्पादन के मुख्य केंद्र है. वही मिजोरम का ही मिजोपुआनचेई एक तरह की रंगीन वस्त्र माना जाता है. मिजोरम की प्रत्येक महिला का यह एक अनिवार्य वस्त्र है. यह राज्य में शादी समारोह में पहना जाने वाला महत्वपूर्ण वस्त्र है.

English Summary: Now these four products got GI tag in the country
Published on: 22 August 2019, 01:55 PM IST

कृषि पत्रकारिता के लिए अपना समर्थन दिखाएं..!!

प्रिय पाठक, हमसे जुड़ने के लिए आपका धन्यवाद। कृषि पत्रकारिता को आगे बढ़ाने के लिए आप जैसे पाठक हमारे लिए एक प्रेरणा हैं। हमें कृषि पत्रकारिता को और सशक्त बनाने और ग्रामीण भारत के हर कोने में किसानों और लोगों तक पहुंचने के लिए आपके समर्थन या सहयोग की आवश्यकता है। हमारे भविष्य के लिए आपका हर सहयोग मूल्यवान है।

Donate now