फसल के बचे अवशेषों को लेकर कृषि विभाग ने जारी की एडवाइजरी, जानें क्या करें और क्या नहीं STIHL कंपनी ने हरियाणा में कृषि जागरण की 'एमएफओआई, वीवीआईएफ किसान भारत यात्रा' के साथ की साझेदारी कृषि लागत में कितनी बढ़ोतरी हुई है? सरल शब्दों में जानिए खेती के लिए 32 एचपी में सबसे पावरफुल ट्रैक्टर, जानिए फीचर्स और कीमत एक घंटे में 5 एकड़ खेत की सिंचाई करेगी यह मशीन, समय और लागत दोनों की होगी बचत Small Business Ideas: कम निवेश में शुरू करें ये 4 टॉप कृषि बिजनेस, हर महीने होगी अच्छी कमाई! ये हैं भारत के 5 सबसे सस्ते और मजबूत प्लाऊ (हल), जो एफिशिएंसी तरीके से मिट्टी बनाते हैं उपजाऊ Goat Farming: बकरी की टॉप 5 उन्नत नस्लें, जिनके पालन से होगा बंपर मुनाफा! Mushroom Farming: मशरूम की खेती में इन बातों का रखें ध्यान, 20 गुना तक बढ़ जाएगा प्रॉफिट! Guar Varieties: किसानों की पहली पसंद बनीं ग्वार की ये 3 किस्में, उपज जानकर आप हो जाएंगे हैरान!
Updated on: 10 December, 2022 12:08 PM IST
एक क्लिक पर अपडेट होगी खतौनी

उत्तरप्रदेश में अब जमीन बिक्री में किसानों के साथ धोखाधड़ी नहीं होगी. राजस्व परिषद के द्वारा एक नई पहल के तहत ऐसा सॉफ्टवेयर विकसित किया जा रहा है, जिससे जमीनों की खतौनी रियल टाइम में अपडेट हो सकेगी. अभी प्रदेश की पांच तहसीलों में इसके लिए प्रशिक्षण चल रहा है.

बता दें कि अभी खतौनी को प्रत्येक 6 वर्षों में अपडेट करने की जरुरत होती है. लेकिन नेशनल इन्फार्मेटिक्स सेंटर राजस्व परिषद खतौनी को रियल टाइम में अपडेट करने की प्रकिया में जुटा है. जमीनों के मालिकाना हक के लिए होने वाले विवाद, दबंगों द्वारा किसानों की जमीनें हड़पने, आदि इसी तरह की घटनाओं पर रोक लगाने के लिए सरकार ने यह फैसला लिया है. हालांकि अभी उत्तर प्रदेश के गाजीपुर सदर, सीतापुर की महोली, बाराबंकी की सिरौली, गौसपुर, लखनऊ की मोहनलालगंज और शामली की सदर तहसीलों में पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर इसे शुरू किया जा रहा है. उत्तरप्रदेश की पांच तहसीलों में चल रहा प्रशिक्षण सफल रहता है तो पूरे प्रदेश में यह व्यवस्था लागू होगी. 

क्या होती है खतौनी

बता दें कि खतौनी एक प्रकार का भूमि अभिलेख या क़ानूनी दस्तावेज माना जा सकता है, जिसमें किसी भी जमीन का विवरण होता है. अभी खतौनी में 12 कॉलम होते हैं. जब किसी को जमीन बेची जाती है, या जमीन के मालिक की मृत्यु होती है तो ये जमीन उसके खरीदार या वारिस को स्थानांतरण की जाती है. यह सभी विवरण खतौनी के 7 से 12वें कॉलम में दर्ज किए जाते हैं. अभी खतौनी में कॉलम 7 से 12 तक में दर्ज खातेदारों के नाम एक-एक नामांतरण आदेश पढ़कर ढूंढा जाता है. ऐसे में काफी परेशानी होती है. 

उत्तरप्रदेश के लगभग 1.08 राजस्व गांवों में प्रत्येक वर्ष 18 हजार गांवों में खतौनी पुनरीक्षण का काम होता है. इसके लिए अभियान चलाया जाता है. यानि हर गांव में प्रत्येक 6 वर्ष में पुनरीक्षण का काम होता है. अभी खतौनी के कॉलम में नामांतरण आदेशों में दर्ज खातेदारों के नाम वहां से हटाकर मूल खातेदार का नाम दर्शाने वाले कॉलम-2 में दर्ज किए जाते हैं. लेकिन नया सॉफ्टवेयर विकसित होने पर जमीन का बैनामा या विरासत दर्ज होने पर खतौनी में नामांतरण आदेश फीड होते ही नए खातेदार का नाम खुद ही कॉलम-2 में आ जाएगा. इससे नाम अपडेट करने में होने वाली परेशानी खत्म हो जाएगी. नए सॉफ्टवेयर से यह भी पता चल सकेगा कि किसी व्यक्ति की जमीन प्रदेश में कहां- कहां स्थित है. बता दें कि उत्तरप्रदेश में जमीनों के मालिकाना हक के लिए बड़े-बड़े विवाद सामने आते हैं, दबंगों के द्वारा किसानों की जमीन हड़पने के मामले भी आए दिन देखने को मिलते हैं. कई बार किसान हर साल में होने वाले खतौनी पुनरीक्षण में जानकारी नहीं दे पाता, ऐसे में उसकी जमीन पर कब्जा होने का खतरा रहता है. लेकिन अब किसान जब चाहे तब खतौनी अपडेट करा सकेंगे.

ये भी पढ़ें: पीएम किसान निधि के लाभार्थियों की होगी छंटनी, इन किसानों को करना होगा पैसा वापस

किसानों को क्या फायदा होगा

जमीनों की धोखाधड़ी में कमी आएगी.

जमीन खरीदने के इच्छुक किसान जान सकेंगे कि इसका असली मालिक कौन है.

इससे बेमतलब के विवाद नहीं होंगे.

English Summary: Now farmers will not be cheated, khatauni will be updated immediately
Published on: 10 December 2022, 01:57 PM IST

कृषि पत्रकारिता के लिए अपना समर्थन दिखाएं..!!

प्रिय पाठक, हमसे जुड़ने के लिए आपका धन्यवाद। कृषि पत्रकारिता को आगे बढ़ाने के लिए आप जैसे पाठक हमारे लिए एक प्रेरणा हैं। हमें कृषि पत्रकारिता को और सशक्त बनाने और ग्रामीण भारत के हर कोने में किसानों और लोगों तक पहुंचने के लिए आपके समर्थन या सहयोग की आवश्यकता है। हमारे भविष्य के लिए आपका हर सहयोग मूल्यवान है।

Donate now