बिहार में इतने दिनों से चल रही राजनीतिक सरगर्मी के बीच आज नीतीश कुमार ने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया है. आपको बता दें कि नीतीश कुमार ने बिहार के राज्यपाल फागू चौहान को अपना इस्तीफा सौंपा है. इससे पहले महाराष्ट्र से भी ऐसी तस्वीरें सामने आई थी.
नीतीश कुमार ने इस्तीफा देने के बाद कहा कि "मैंने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया है. JDU के सभी सांसद और विधायक इस बात पर सहमत हैं कि हमें एनडीए छोड़ देना चाहिए."
बिहार में जेडीयू ने भाजपा से अपना नाता तोड़ लिया है. जेडीयू की बैठक में इस पर मुहर लगी. बैठक में नीतीश कुमार ने जेडीयू के सांसदों और विधायकों को बताया कि कैसे भाजपा उनके दल को तोड़ने की कोशिश कर रही है. इसीलिए नीतीश कुमार अब ऐसे दल के साथ नाता नहीं रखना चाहते हैं जो उनके दल को तोड़े. बैठक में मौजूद नेताओं ने नीतीश कुमार को निर्णय लेने की स्वतंत्रता दी जिसके बाद उन्होंने भाजपा से नाता तोड़ने की ऐलान किया.
RJD ने की तरफ से कहा गया है कि नई सरकार की "पहली प्राथमिकता" बेरोजगार युवाओं को नौकरी देना होगी. नौकरियों की कमी, विशेष रूप से, 2020 के विधानसभा चुनावों में यादव द्वारा इस्तेमाल किया जाने वाला प्रमुख चुनावी मुद्दा था.
बता दें कि 243 सदस्यीय विधानसभा में RJD वर्तमान में 79 विधायकों के साथ सबसे बड़ी पार्टी है. जेडीयू के 45 विधायक हैं, कांग्रेस के 19 और सीपीआई के नेतृत्व वाले वाम मोर्चा के 17 विधायक हैं.
जेडीयू आरजेडी आए साथ
7 साल के भीतर यह दूसरी बार है जब बिहार की राजनीति में कट्टर प्रतिद्वंद्वी माने जाने वाले जेडीयू और आरजेडी ने सरकार ने हाथ मिलाया है. दोनों पार्टियों ने कांग्रेस के साथ मिलकर 2015 का विधानसभा चुनाव लड़ा था और गठबंधन सरकार बनाई थी. हालांकि, 2017 में, कुमार महागठबंधन से बाहर हो गए थे और भाजपा के साथ फिर से जुड़ गए थे. तो वहीं जेडीयू के महागठबंधन में शामिल होने के बाद नीतीश कुमार को महागठबंधन का नेता बनाया गया.
इसके पहले नालंदा से सांसद कौशलेन्द्र ने भी दावा किया है कि जेडीयू के विधायकों को भाजपा की ओर से तोड़ने के लिए प्रलोभन दिया गया था. विधायकों को भाजपा की ओर से 6-6 करोड़ रुपए का ऑफर देने की बात कही गई. यहां तक कि रविवार को जेडीयू अध्यक्ष ललन सिंह ने भी कहा था कि वर्ष 2020 के विधानसभा चुनाव में नीतीश कुमर को कमजोर करने के लिए चिराग मॉडल अपनाया गया. बाद में आरसीपी के रूप में फिर से चिराग मॉडल 2 लाया जा रहा था. लेकिन समय रहते जेडीयू ने इसे पहचान लिया. उन्होंने कहा था कि हम सब जानते हैं कि चिराग मॉडल किसका था. कहा गया कि उनका इशारा भाजपा की ओर था.
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दरअसल, 2020 में चिराग मॉडल के कारण जेडीयू ने जिन विधानसभा क्षेत्रों में चुनाव लड़ा वहां लोजपा ने अपने उम्मीदवार उतारे. इससे जेडीयू को बड़ा झटका लगा और उसके सीटों की संख्या घटकर 43 रह गई. यानी जेडीयू का कद छोटा करने की कोशिश 2020 में शुरू हुई. अब भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा का छोटे दलों को खत्म करने की ओर इशारा वाली टिप्पणी से नीतीश कुमार नाराज बताए जाते हैं. कहा जा रहा है कि इन्हीं कारणों से नीतीश कुमार अब भाजपा को सबक सिखाना चाहते हैं. अब वे राजद नेता तेजस्वी यादव को सरकार में प्रमुख जिम्मेदारी देकर खुद सीएम पद पर रहते हुए भाजपा को सबक सिखाएंगे. इसके लिए आने वाले विधानसभा और लोकसभा चुनाव में नीतीश कुमार रणनीति बनाएंगे.