केंद्र के तीन नए कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों का प्रदर्शन लगातार जारी है, लेकिन अभी तक इसमें असमंजस की स्थिती बनी हुई है. एक तरफ किसान अपना आंदोलन लगातार तेज कर रहे हैं, वहीं दूसरी तरफ सरकार के तेवर भी सख्त है. किसानों द्वारा 23 से 27 फरवरी के बीच कई कार्यक्रम आयोजित करने की घोषणा के बाद केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने बड़ा बयान दिया है. मीडिया से बात करते हुए कृषि मंत्री ने कहा कि भीड़ जमा कर लेने से कोई कानून खराब नहीं हो जाता, भीड़ लगाकर कानून नहीं बदल सकता कोई भी, इसलिए किसान यूनियन बताएं कि इन कानूनों में कहां संशोधन की जरूरत है, हम उनकी बात पर गौर करेंगें.
कानूनों में संशोधन के लिए तैयार है सरकार
मीडिया से बात करते हुए तोमर ने कहा कि हमारी सरकार ने किसान संगठनों के साथ 12 दौर की बातचीत की, लेकिन उनके अड़ियल रवैये के कारण किसी तरह की सहमती नहीं बन पा रही है. हम कानूनों में बदलाव करने के लिए तैयार हैं, लेकिन वो आपत्ति नहीं बता रहे केवल कानूनों को रद्द करने की मांग कर रहे हैं.
नहीं रद्द होंगे कृषि कानून
आंदोलन कर रहे किसान नेताओं को आड़े हाथों लेते हुए कृषि मंत्री ने कहा कि ‘‘कृपया वो बताएं कि नए कानून किस तरह किसानों के खिलाफ है और उससे किसानों को क्या नुकसान होगा. हम जानना चाहते हैं कि कानूनों में कौन से ऐसे प्रावधान हैं जो किसानों के खिलाफ हैं और जिससे उनको भय लग रहा है?
23 और 24 फरवरी को तेज होगा आंदोलन
वहीं दूसरी तरफ कृषि मंत्री के इस बयान पर किसान नेताओं ने कहा है कि इससे पता लगता है कि सरकार हमारी मांगों को लेकर बिलकुल भी गंभीर नहीं है. किसान नेताओं ने 23 फरवरी को विरोध स्वरूप पगड़ी संभाल दिवस और 24 फरवरी को दमन विरोधी दिवस मनाने का फैसला किया है.