मछली पर्यावरण पर आश्रित जलीय जीव (Fish Is Aquatic Animal)है, इसकी मुख्य भूमिका जलीय पर्यावरण को संतुलित रखने की होती है. अगर पानी में मछली न हो, तो निश्चित ही उस पानी की जल जैविक स्थिति सामान्य नहीं रहती है. वैज्ञानिकों द्वारा मछली को जीवन सूचक (बायोइंडीकेटर) माना गया है. अगर जलस्रोतों जैसे, तीव्र या मन्द गति से प्रवाहित होने वाली नदियां, प्राकृतिक झीलें, तालाब, मानव-निर्मित बड़े या मध्यम आकार के जलाशय आदि सभी के पर्यावरण का सूक्ष्म अध्ययन किया जाए , तो निष्कर्ष यही निकलता है कि मछली और पानी, दोनों का एक- दूसरे से काफी जुड़ाव है.
भारत में मछली पालन (Fisheries) का व्यापार खूब तेजी से आगे बढ़ रहा है. किसान और मछलीपालक मछली की कई प्रजातियों का पालन करते हैं. इससे शहरी और ग्रामीण, दोनों क्षेत्र के लोगों को रोजगार मिल रहा है. केंद्र और राज्य सरकार द्वारा मछली पालन (Fisheries) के क्षेत्र को बढ़ावा देने के लिए कई योजनाएं चलाई जा रही है. जैसे - 'प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना' (पीएमएमएसवाई). मछलीपालकों को प्रोत्साहित करने के लिए प्रतिवर्ष 10 जुलाई को राष्ट्रीय मत्स्य किसान दिवस (National Fish Farmer's Day) मनाया जाता है. इस दिवस को मनाने का मुख्य उद्देश्य यही है कि देश में मछली पालन (Fisheries) को बढ़ावा मिल सके, साथ ही इससे किसान और पशुपालकों को अच्छा मुनाफा मिल सके.
क्यों मनाया जाता है राष्ट्रीय मत्स्य किसान दिवस
वैज्ञानिक डॉ. केएच एलिकुन्ही और डॉ. एचएल चौधरी की याद में हर साल 10 जुलाई को राष्ट्रीय मत्स्य किसान दिवस मनाया जाता है. इन वैज्ञानिकों ने 10 जुलाई, 1957 को ओडिशा के कटक में सीआईएफआरआई के पूर्ववर्ती 'पोंड कल्चर डिविजन' (वर्तमान में सेंट्रल इंस्टीट्यूट ऑफ फ्रेश वाटर एक्वाकल्चर, सीआईएफए, भुवनेश्वर) में, इंडियन मेजर कार्प में प्रेरित प्रजनन तकनीक (हाइपोफिजेशन) का सफलतापूर्वक प्रदर्शन किया था. इस कार्यक्रम का उद्देश्य मत्स्य के सतत स्टॉक एवं स्वस्थ परिवेश को सुनिश्चित करने के लिए, देश के मत्स्यपालन संसाधनों को प्रबंधित करने के तरीके को बदलने पर ध्यान आकर्षित करना है.
प्रतिवर्ष यह दिन मछलीपालन के क्षेत्र में उत्कृष्ट किसानों, एक्वाप्रेनर्स और मछुआरों की उपलब्धियों के लिए उनका अभिनंदन करने और देश में मत्स्यपालन क्षेत्र के विकास में उनके योगदान को मान्यता देने के लिए मनाया जाता है. इस दिन आयोजित कार्यक्रमों में अधिकारियों, वैज्ञानिकों, पेशेवरों, उद्यमियों और विभिन्न हितधारकों के अलावा देश भर के मछुआरे और मत्स्यपालक किसान भाग लेते हैं. मत्स्यपालन, पशुपालन और डेयरी मंत्रालय के अंतरर्गत मत्स्यपालन विभाग द्वारा राष्ट्रीय मत्स्यपालन दिवस के अवसर पर राष्ट्रीय मत्स्यपालन विकास बोर्ड (एनएफडीबी) के सहयोग से विविध कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है . आज के दिन, मछुआरों को प्रोत्साहित करने के लिए विभाग की ओर से जाल, नाव, मोटरसाइकिल, आटो, नाव समेत अन्य जरुरी सामान भी दिए जाते हैं.
राष्ट्रीय मत्स्य किसान दिवस का उद्देश्य (Objective of National Fish Farmers Day)
मछली पालकों की आय में बढ़ोत्तरी की जा सके.
अधिकतम मछली पालन को प्रोत्साहित करके , मछली निर्यात को बढ़ावा देना.
जलीय पर्यावरण को संतुलित रखना
मत्स्य उत्पादन एवं उत्पादकता की बेहतर गुणवत्ता, तकनीकी समाधान, बुनियादी ढांचे व प्रबंधन संबंधी समस्याओं का समाधान करना है.
मत्स्य पालन के लिए नई तकनीक (New Technology For Fishing)
मछली पालकों को लाभ पहुंचाने के लिए मत्स्य सेतु ऐप (Matsya Setu App) पेश किया गया है. इस ऐप के जरिए आधुनिक जानकारी मिलेगी कि किस तरह स्वच्छ जल में मछली पालन कर सकते हैं. इस मोबाइल ऐप को भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (Indian Council of Agricultural Research) और केंद्रीय मीठाजल जीवपालन अनुसंधान संस्थान (भाकृअनुप-सीफा) (Central Institute of Freshwater Aquaculture) भुवनेश्वर द्वारा विकसित किया गया है.
'प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना' (पीएमएमएसवाई)
नीली क्रांति की उपलब्धियों को मजबूत करने और नीली क्रांति से अर्थ क्रांति का मार्ग प्रशस्त करने के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में 'प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना' (पीएमएमएसवाई) को 20,050 करोड़ रुपये के साथ पांच वर्षों के लिए शुरू किया गया. योजना की यह रकम अब तक की सर्वाधिक है. इससे किसान की आय को दोगुना करने संबधी सोच को साकार करने में मदद मिलेगी.
इस योजना के द्वारा मत्स्य उत्पादन एवं उत्पादकता को बढ़ाने, बेहतर गुणवत्ता, तकनीक समाधान, हार्वेस्टिंग के बाद के बुनियादी ढांचे एवं प्रबंधन संबंधी समस्याओं के समाधान की संभावनाएं बन रही है. साथ ही यह मूल्य श्रृंखला के आधुनिकीकरण एवं सुदृढ़ीकरण करने, पता लगाने की क्षमता को बेहतर करने और एक मजबूत मत्स्य प्रबंधन ढांचे की स्थापना में भी मददगार साबित हो रही है इसके अतिरिक्त इस योजना द्वारा मछुआरों के कल्याण से संबंधित समस्याएं भी दूर करने की कोशिशे जारी हैं .
उम्मीद की जानी चाहिए कि भारत में मछली पालक अधिकतम मछली उत्पादन करके तो लाभ कमाएंगे ही, साथ ही मछलियों के निर्यात को भी बढावा मिलने से दुगुनी आय अर्जित कर पाएंगे.
किसान भाइयों कृषि ,मछली पालन संबंधित हर लेटेस्ट जानकारी पाने के लिए कृषि जागरण के हिंदी पोर्टल के लेखों को जरुर पढ़िए .