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Updated on: 28 May, 2025 11:44 AM IST
‘‘नारी गुंजन’’ की महिलाओं द्वारा निर्मित उत्पादों को मिला प्रोत्साहन

सामाजिक बदलाव और महिला सशक्तिकरण की दिशा में कार्य कर रही संस्था "नारी गुंजन" एक बार फिर चर्चा में है. हाल ही में पटना में भ्रमण के दौरान पटना उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति राजीव रंजन प्रसाद ने पद्मश्री से सम्मानित सामाजिक कार्यकर्ता सुधा वर्गीस द्वारा संचालित संस्था "नारी गुंजन" का दौरा किया और वहां महिलाओं द्वारा बनाए जा रहे उत्पादों की प्रशंसा की.

इस अवसर पर न्यायमूर्ति ने विशेष रूप से संस्था द्वारा तैयार किए जा रहे "सोना मोती गेहूं के आटे" की जानकारी ली. यह गेहूं अन्य पारंपरिक किस्मों की तुलना में पोषक तत्वों से भरपूर और स्वास्थ्यवर्धक माना जाता है. खास बात यह है कि इस गेहूं में ग्लूटिन की मात्रा कम होती है, जिससे यह बुजुर्गों एवं स्वास्थ्य के प्रति जागरूक उपभोक्ताओं के लिए अत्यंत लाभकारी सिद्ध हो रहा है.

“नारी गुंजन” संस्था

संस्था की महिलाएं इस गेहूं को पारंपरिक तरीके से पीसकर उसका आटा तैयार करती हैं और स्थानीय बाजार में इसे ₹100 प्रति किलो की दर से बेचा जाता है. इस आटे की बढ़ती मांग यह दर्शाती है कि लोग अब स्वास्थ्यवर्धक और प्राकृतिक उत्पादों की ओर तेजी से आकर्षित हो रहे हैं.

न्यायमूर्ति राजीव रंजन प्रसाद ने महिलाओं की मेहनत और आत्मनिर्भरता के लिए किए जा रहे इस प्रयास की भूरि-भूरि प्रशंसा की. उन्होंने कहा, "नारी गुंजन जैसी संस्थाएं समाज में सकारात्मक बदलाव लाने में अग्रणी भूमिका निभा रही हैं. महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में यह एक सराहनीय कदम है."

महिलाओं को मिल रहा नया आत्मबल

"नारी गुंजन" संस्था वर्षों से समाज के वंचित वर्ग, विशेषकर दलित और पिछड़ी जातियों की महिलाओं को स्वरोजगार के माध्यम से आत्मनिर्भर बनाने के लिए काम कर रही है. संस्था के तहत महिलाओं को सिलाई, बुनाई, खाद्य उत्पाद निर्माण, और कृषि संबंधी प्रशिक्षण दिया जाता है. सोना मोती गेहूं का आटा इसी मुहिम का हिस्सा है.

संस्था की संस्थापक सुधा वर्गीस, जिन्हें महिला सशक्तिकरण के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान के लिए पद्मश्री सम्मान से नवाजा गया है, ने बताया, "हमारी कोशिश यही है कि महिलाएं खुद अपनी मेहनत से न सिर्फ आत्मनिर्भर बनें बल्कि समाज में अपने लिए एक मजबूत पहचान भी बना सकें."

सोना मोती गेहूं क्यों है खास?

  • इसमें ग्लूटिन की मात्रा बेहद कम होती है.
  • फाइबर, प्रोटीन और अन्य पोषक तत्वों से भरपूर.
  • पाचन में आसान, विशेष रूप से बुजुर्गों के लिए उपयुक्त.
  • शुगर और मोटापे से पीड़ित लोगों के लिए लाभकारी.
  • केमिकल मुक्त जैविक तरीके से उगाया गया.

स्थानीय बाजार में हो रही अच्छी बिक्री

"नारी गुंजन" की महिलाएं न सिर्फ इस आटे का उत्पादन कर रही हैं, बल्कि इसकी पैकेजिंग और विपणन का कार्य भी स्वयं ही कर रही हैं. इससे उन्हें न केवल आर्थिक संबल मिल रहा है बल्कि बाजार की मांग के अनुरूप उत्पादों को तैयार करने की प्रशिक्षण और समझ भी प्राप्त हो रही है.

आगे की योजना

संस्था की योजना है कि भविष्य में सोना मोती गेहूं के आटे को ऑनलाइन प्लेटफॉर्म के माध्यम से भी बेचा जाए ताकि अधिक से अधिक लोगों तक यह स्वास्थ्यवर्धक उत्पाद पहुंच सके. इसके साथ ही महिलाओं को डिजिटल मार्केटिंग और ई-कॉमर्स का भी प्रशिक्षण देने की योजना है.

English Summary: Nari gunjan women succeed with low gluten sona moti wheat flour justice Rajeev ranjan praises efforts
Published on: 28 May 2025, 11:50 AM IST

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