हरे-भरे पौधे घर हों या ऑफिस, कहीं भी हों वहां सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है. इनसे वातावरण शुद्ध होता है, जिससे स्वास्थ्य भी अच्छा रहता है. यही वजह है कि विगत कुछ वर्षों में ऑफिस में पेड़-पौधों का लगाने का चलन तेजी से बढ़ा है. कृषि जागरण में भी हर जगह पेड़-पौधों को लगाया है. वहीं, कृषि जागरण में कोई भी आता है, तो उसका सबसे पहले ध्यान ऑफिस में लगे हरे-भरे पौधों पर जाता है. कुछ ऐसा ही आज भी देखने को मिला. पश्चिम बंगाल के मत्स्य पालन राज्य मंत्री बिप्लब रॉय चौधरी जब कृषि जागरण ऑफिस में पहुंचे, तो सबसे ज्यादा उनका ध्यान ऑफिस परिसर में लगे हरे-भरे पौधों ने अपनी ओर आकर्षित किया. हरा-भरा ऑफिस देखकर वह ऊर्जावान हो गए और इसके लिए कृषि जागरण के संस्थापक और सीईओ एम.सी. डोमिनिक के प्रयासों की सराहना की.
इसके अलावा, वह मिलियनेयर फार्मर ऑफ इंडिया अवार्ड्स (एमएफओआई) के विचार से भी प्रभावित हुए. मालूम हो कि एमएफओआई एक ऐसी पहल है जो भारतीय किसानों की कड़ी मेहनत को मान्यता देती है, जो लाखों कमा रहे हैं. लेकिन अपने व्यवसाय से जुड़े धारणा के कारण उन्हें वह सम्मान नहीं मिल रहा है जोकि उन्हें मिलनी चाहिए.
कृषि जागरण के प्रयास की सराहना
दरअसल, बिप्लब रॉय चौधरी ऑफिस में प्रवेश करते ही परिसर में लगे हुए हरे-भरे पौधों को देखकर काफी प्रसन्न हुए. इसके बाद उन्होंने पूछा, 'ऑफिस में कितनी तरह के पौधे रखे हुए हैं?' कृषि जागरण के संस्थापक और सीईओ, एम.सी. डोमिनिक ने बताया कि "ऑफिस के अंदर लगभग 64 किस्मों के पौधे रखे हुए हैं." जिसके बाद चौधरी ने एम.सी. डोमिनिक से प्रत्येक पौधे का नाम बताने का भी अनुरोध किया. उन्होंने कहा, "मैं आप सभी को बधाई देता हूं कि आपने ऑफिस परिसर के अंदर इतने सारे पौधे लगाए हैं और यह एक बहुत अच्छा प्रयास है."
उन्होंने आगे तुलसी के पौधे की प्रासंगिकता के बारे में बताया जो एक इनडोर पौधा भी है. चौधरी ने कहा, "तुलसी स्वास्थ्य के लिए बहुत महत्वपूर्ण है और इसकी पूजा भी होती है. यह अन्य पौधों की तुलना में अधिक ऑक्सीजन उत्पन्न करती है."
ग्लोबल वार्मिंग और जलवायु परिवर्तन के दुष्परिणाम
केजे चौपाल में चर्चा के दौरान, चौधरी ने कहा, "इन दिनों पेड़-पौधों की संख्या कम होने और उच्च तापमान के कारण ए.सी. के बिना सोना मुश्किल है. जबकि दुनिया भर में जनसंख्या तेजी से बढ़ रही है, वहीं पेड़ों की संख्या इसकी बराबरी नहीं कर सकती है. इसलिए, ग्लोबल वार्मिंग हमें प्रभावित कर रही है."
बिप्लब रॉय, मत्स्य पालन मंत्री, पश्चिम बंगाल
मालूम हो कि बिप्लब रॉय चौधरी मत्स्य पालन मंत्री होने के बावजूद मछली नहीं खाते हैं. उन्होंने कहा, "मैं पिछले 30 सालों से शाकाहारी हूं." इसके अलावा, उन्होंने कहा कि वह फसलों और मछली की गुणवत्ता की पहचान आसानी से कर सकते हैं. उन्होंने कहा कि किसानों को खेती के सही तरीके जानने और उन्हें लागू करने की जरूरत है.
चौपाल का समापन एक ग्रुप फोटो के साथ हुआ.