भारत ने 23 अगस्त के दिन चंद्रमा पर परचम लहराकर एक नया इतिहास रच दिया है. जैसा कि आप सब लोग जानते हैं कि चांद पर चंद्रयान-3 की लैंडिंग सफलतापूर्वक की. बता दें कि यह लैंडिंग 23 अगस्त के दिन 6:04PM पर हुई थी. तब से लेकर अब तक विक्रम लैंडर का रोवर ‘प्रज्ञान’ लगातार ISRO को अपडेट देता जा रहा है.
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि विक्रम लैंडर को चांद पर पहुंचे 5 दिन हो चुके हैं और वह अब चंद्रमा पर मौजूद मिट्टी की जानकारी भारतीय वैज्ञानिकों को देना शुरू भी कर दिया है.
विक्रम लैंडर पर चाएसटीई पेलोड (ChaSTE Payload on Vikram Lander)
बता दें कि विक्रम लैंडर पर लगे ChaSTE साउथ पोल की मदद से चांद की मिट्टी के तापमान को मापने में मदद मिल रही है. इसकी मदद से चंद्रमा की हर एक हिस्से की मिट्टी के तापमान व अन्य जरूरी जानकारी के बारे में बताया जा सकता है. वैज्ञानिकों के अनुसार, यहां विक्रम लैंडर पर चाएसटीई पेलोड का पहला अवलोकन हैं. चंद्रमा की सतह के थर्मल व्यवहार को समझने के लिए चाएसटीई (चंद्रा का सतह थर्मल फिजिकल एक्सपेरिमेंट) ध्रुव के चारों ओर चंद्रमा की ऊपरी मिट्टी के तापमान प्रोफाइल को मापता है. इसमें एक नियंत्रित प्रवेश तंत्र से सुसज्जित तापमान जांच है, जो सतह के नीचे 10 सेमी की गहराई तक पहुंचने में सक्षम है. दरअसल, इस जांच में 10 व्यक्तिगत तापमान सेंसर लगे हैं.
प्रस्तुत ग्राफ विभिन्न गहराई पर चंद्र सतह के तापमान में भिन्नता को दर्शाता है, जैसा कि जांच के दौरान दर्ज किया गया था. चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव के लिए यह पहली ऐसी प्रोफाइल है. इसके अलावा इसरो के वैज्ञानिकों ने बताया की आगे का कार्य यानी विस्तृत अवलोकन चल रहा है. इस बात की जानकारी ISRO ने अपने आधिकारिक ट्विटर अकाउंट के जरिए दी है जिसमें उन्होंने Chandrayaan-3 Mission से जुड़ी अपडेट साझा की है.
चांद की मिट्टी (Moon Soil)
जारी किए गए ग्राफ के मुताबिक, चांद की मिट्टी का तापमान करीब -10 डिग्री सेल्सियस से लेकर 60 डिग्री सेल्सियस तक है.
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साथ ही इसकी सतह का तापमान 50 डिग्री सेल्सियस, नीचे 8 सेमी तापमान 0 से 10 डिग्री सेल्सियस तक बताया गया है.