दिल्ली-हरियाणा और बिहार समेत इन 11 राज्यों में आंधी-बारिश की संभावना, पढ़ें IMD की लेटेस्ट रिपोर्ट! GFBN Story: छत्तीसगढ़ के 'हर्बल किंग' हैं डॉ. राजाराम त्रिपाठी, सालाना टर्नओवर 70 करोड़ रुपये! PM Kisan Update: जून में आ सकती है 20वीं किस्त, लाभार्थी तुरंत निपटाएं ये जरूरी काम किसानों को बड़ी राहत! अब ड्रिप और मिनी स्प्रिंकलर सिस्टम पर मिलेगी 80% सब्सिडी, ऐसे उठाएं योजना का लाभ Diggi Subsidy Scheme: किसानों को डिग्गी निर्माण पर मिलेगा 3,40,000 रुपये का अनुदान, जानें कैसे करें आवेदन फसलों की नींव मजबूत करती है ग्रीष्मकालीन जुताई , जानिए कैसे? Student Credit Card Yojana 2025: इन छात्रों को मिलेगा 4 लाख रुपये तक का एजुकेशन लोन, ऐसे करें आवेदन Pusa Corn Varieties: कम समय में तैयार हो जाती हैं मक्का की ये पांच किस्में, मिलती है प्रति हेक्टेयर 126.6 क्विंटल तक पैदावार! Tarbandi Yojana: अब 2 बीघा जमीन वाले किसानों को भी मिलेगा तारबंदी योजना का लाभ, जानें कैसे उठाएं लाभ? Watermelon: तरबूज खरीदते समय अपनाएं ये देसी ट्रिक, तुरंत जान जाएंगे फल अंदर से मीठा और लाल है या नहीं
Updated on: 28 August, 2023 5:19 PM IST
Chandrayaan-3 Mission 2023

भारत ने 23 अगस्त के दिन चंद्रमा पर परचम लहराकर एक नया इतिहास रच दिया है. जैसा कि आप सब लोग जानते हैं कि चांद पर चंद्रयान-3 की लैंडिंग सफलतापूर्वक की. बता दें कि यह लैंडिंग 23 अगस्त के दिन 6:04PM पर हुई थी. तब से लेकर अब तक विक्रम लैंडर का रोवर ‘प्रज्ञान’ लगातार ISRO को अपडेट देता जा रहा है.

आपकी जानकारी के लिए बता दें कि विक्रम लैंडर को चांद पर पहुंचे 5 दिन हो चुके हैं और वह अब चंद्रमा पर मौजूद मिट्टी की जानकारी भारतीय वैज्ञानिकों को देना शुरू भी कर दिया है.

विक्रम लैंडर पर चाएसटीई पेलोड (ChaSTE Payload on Vikram Lander)

बता दें कि विक्रम लैंडर पर लगे ChaSTE साउथ पोल की मदद से चांद की मिट्टी के तापमान को मापने में मदद मिल रही है. इसकी मदद से चंद्रमा की हर एक हिस्से की मिट्टी के तापमान व अन्य जरूरी जानकारी के बारे में बताया जा सकता है. वैज्ञानिकों के अनुसार, यहां विक्रम लैंडर पर चाएसटीई पेलोड का पहला अवलोकन हैं. चंद्रमा की सतह के थर्मल व्यवहार को समझने के लिए चाएसटीई (चंद्रा का सतह थर्मल फिजिकल एक्सपेरिमेंट) ध्रुव के चारों ओर चंद्रमा की ऊपरी मिट्टी के तापमान प्रोफाइल को मापता है. इसमें एक नियंत्रित प्रवेश तंत्र से सुसज्जित तापमान जांच है, जो सतह के नीचे 10 सेमी की गहराई तक पहुंचने में सक्षम है. दरअसल, इस जांच में 10 व्यक्तिगत तापमान सेंसर लगे हैं.

प्रस्तुत ग्राफ विभिन्न गहराई पर चंद्र सतह के तापमान में भिन्नता को दर्शाता है, जैसा कि जांच के दौरान दर्ज किया गया था. चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव के लिए यह पहली ऐसी प्रोफाइल है. इसके अलावा इसरो के वैज्ञानिकों ने बताया की आगे का कार्य यानी विस्तृत अवलोकन चल रहा है. इस बात की जानकारी ISRO ने अपने आधिकारिक ट्विटर अकाउंट के जरिए दी है जिसमें उन्होंने Chandrayaan-3 Mission से जुड़ी अपडेट साझा की है.

चांद की मिट्टी (Moon Soil)

जारी किए गए ग्राफ के मुताबिक, चांद की मिट्टी का तापमान करीब -10 डिग्री सेल्सियस से लेकर 60 डिग्री सेल्सियस तक है.

ये भी पढ़ें: भारत की चंद्र यात्रा हुई सफल, दक्षिणी पोल पर लहरा तिरंगा

साथ ही इसकी सतह का तापमान 50 डिग्री सेल्सियस, नीचे 8 सेमी तापमान 0 से 10 डिग्री सेल्सियस तक बताया गया है.

English Summary: Moon's soil temperature very different from Earth's, Vikram Lander sent information
Published on: 28 August 2023, 05:28 PM IST

कृषि पत्रकारिता के लिए अपना समर्थन दिखाएं..!!

प्रिय पाठक, हमसे जुड़ने के लिए आपका धन्यवाद। कृषि पत्रकारिता को आगे बढ़ाने के लिए आप जैसे पाठक हमारे लिए एक प्रेरणा हैं। हमें कृषि पत्रकारिता को और सशक्त बनाने और ग्रामीण भारत के हर कोने में किसानों और लोगों तक पहुंचने के लिए आपके समर्थन या सहयोग की आवश्यकता है। हमारे भविष्य के लिए आपका हर सहयोग मूल्यवान है।

Donate now