भारत में मूंग बहुप्रचलित एवं लोकप्रिय दालों में से एक है, इसलिए मूंग की खेती (Moong Cultivation) काफी बड़े स्तर पर होती है. यह एक मुख्य दलहनी फसल है, जो कम समय में पकने वाली फसल मानी जाती है. मूंग से नमकीन, पापड़ और मंगौड़ी जैसे स्वादिष्ट उत्पाद बनाए जाते हैं. इसके अलावा, किसान मूंग की हरी फलियों को सब्जी के रूप में बेचते हैं. इससे किसानों अतिरिक्त लाभ भी प्राप्त होता है.
सरकार भी किसानों से न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) पर मूंग की खरीद (Moong Procurement) करके अतिरिक्त लाभ पहुंचाती है. इसी के मद्देनजर हरियाणा सरकार (Haryana Government) ने अपने राज्य के किसानों के लिए एक अहम फैसला लिया है. दरअसल, राज्य सरकार द्वारा न्यूनतम समर्थन मूल्य पर मूंग खरीद (Moong Procurement) की तारीख को बढ़ा दिया गया है.
एमएसपी पर मूंग की खरीद (Purchase of Moong at MSP)
सबसे पहले बता दें कि मूंग का एमएसपी 7275 रुपए प्रति क्विंटल है. इसके चलते अब राज्य में 30 नवंबर तक एमएसपी पर मूंग की खरीदने का फैसला लिया गया है. बता दें कि पहले यह खरीद 15 नवंबर को बंद होनी थी, लेकिन अब 30 नवंबर तक चलेगी. इस बात की जानकारी कृषि विभाग के उच्चाधिकारियों ने दी है. राज्य सरकार ने दलहनी फसलों को बढ़ावा देने व एमएसपी (MSP) पर मूंग की खरीद को सुनिश्चित करने के लिए यह फैसला लिया है. इस महीने हैफेड व नैफेड द्वारा मूंग की खरीद राज्य की 38 अधिसूचित मंडियों में होती रहेगी.
डीएपी की कोई कमी नहीं (No Shortage of Dapps)
कृषि विभाग द्वारा दावा किया गया है कि राज्य में उर्वरकों (Fertilizer) की कोई कमी नहीं है. राज्य में गेहूं (Wheat) की बुवाई शुरू हो चुकी है, जिसमें डीएपी खाद की उपलब्धता बुवाई के समय किसानों के लिए जरूरी है. ऐसे में 16 नवंबर 2021 तक 2 लाख 15 हजार मीट्रिक टन डीएपी (DAP) उपलब्ध करवाई जा चुकी है. इसमें से 1 लाख 88 हजार मीट्रिक टन किसान खरीद चुके हैं. पिछले तीन दिनों में 8 रैक मंगवाए जा चुके हैं.
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बताया जा रहा है कि अगले तीन दिन में 9 रैक और मंगवाए जा रहे हैं. केंद्र सरकार द्वारा राज्य में हर रोज 7 से 8 हजार मीट्रिक टन डीएपी/एनपीके उपलब्ध करवा रही है. इसके चलते किसानों (Farmers) से अपील भी की जा रही है कि जिस भी जिले में खाद के रैक की उपलब्धता हो, वहां पर किसी प्रकार की अव्यवस्था न फैलने दें.
जानकारी के लिए बता दें कि हरियाणा डीएपी संकट का सामना करने वाले राज्यों में शामिल रहा है. यहां प्रमुख रूप से गेहूं और सरसों (Mustard) की खेती होती है.