कोरोना संकट के चलते एक बार फिर लॉकडाउन की अवधि बढ़ने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) की अगुवाई में एक बैठक हुई. इसमें कृषि क्षेत्र में रिफॉर्म (Agriculture Reforms) को लेकर चर्चा की गई, जिसमें एग्रीकल्चर मार्केटिंग, किसानों को संस्थागत कर्ज और कानूनी प्रावधानों के सहारे अन्य प्रतिबंधों को हटाने पर चर्चा की गई. बता दें कि देश की जीडीपी में कृषि क्षेत्र की 15 प्रतिशत हिस्सेदारी है, क्योंकि यहां की आधी आबादी की जीविका कृषि है. ऐसे में सरकार ने कोरोना और लॉकडाउन के बीच जोर दिया है कि फार्म सेक्टर चलता रहे. कई सेक्टर्स पर कोरोना का असर दिखा है, लेकिन चालू वित्त वर्ष में फार्म सेक्टर पर इसका अधिक प्रभाव नहीं पड़ा है.
फसलों की मार्केटिंग का बदल सकता है तरीका
एक आधिकारिक बयान में बताया गया है कि इस बैठक में फसलों की मार्केटिंग में रणनीति बदलने पर चर्चा की गई है. बता दें कि फसलों में बायो-टेक्नोलॉजी के फायदे और नुकसान, उत्पादकता बढ़ाने समेत इनपुट कॉस्ट को कम करने पर विचार किया जा रहा है.
कई अन्य रणनीतियों पर हुआ विचार
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किसानों की आय दोगुनी करने के लिए एग्रीकल्चर इन्फ्रास्ट्रक्चर को मजबूत करने पर विचार किया गया है.
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सरकार द्वारा चलाई जा रही पीएम किसान सम्मान निधि योजना (PM-Kisan Samman Nidhi Yojna) के अंतर्गत विशेष किसान क्रेडिट कार्ड (Kisan Credit Card) को बेहतर बनाया जाएगा.
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इसके साथ ही कृषि उत्पादों के अंर्तराज्यीय आवाजाही को बेहतर बनाया जाएगा.
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नेशनल एग्रीकल्चर मार्केट (E-NAM) को 'प्लेटफॉर्म ऑफ प्लेटफॉर्म्स' में बदला जा सकता है.
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यूनिफॉर्म स्टैट्यूटरी फ्रेमवर्क (Uniform Statutory Framework) तैयार किया जाएगा, ताकि किसानी की नई तकनीक विकसित हो पाएं.
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इसके अलावा मॉडल एग्रीकल्चर लैंड लीजिंग एक्ट पर चर्चा की गई. इससे छोटे किसानों के हित की रक्षा होगी.
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फसल उत्पादन के बाद इन्फ्रास्ट्रक्चर के लिए प्राइवेट इन्वेस्टमेंट को बड़े स्तर पर लाया जा सकता है.
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कृषि क्षेत्र की तकनीक पर जोर दिया गया है, क्योंकि किसानों के लिए नई तकनीक का इस्तेमाल करना जरूरी है.
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एफपीओ को और मजबूत किया जा सकता है, जिससे कृषि अर्थव्यवस्था को रफ्तार मिल पाए.
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एग्रीकल्चर ट्रेड पर पारदर्शिता लाई जा सकती है, ताकि किसानों को ज्यादा लाभ मिल पाए.
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