देश की आबादी का एक बड़ा हिस्सा गांवों पर निर्भर रहता है और आधी आबादी वहीं पर निवास करके अजीविका को कमाती है. लेकिन देश के किसान इस समय बेमौसम बारिश, ओलावृष्टि, पाला आदि जैसी प्राकृतिक समस्याओं से जूझ रहा है. आज रोजमर्रा की जरूरतों ने लोगों को मजबूर कर दिया है कि वह गांव को छोड़कर शहर की ओर पलायन करने लगे है. कई बार गांव से शहर गए युवाओं को ठीक से रोजगार नहीं मिल पाता है इसीलिए वह दोबारा वापस आकर खेती के कार्य में लग जाते है. ऐसा ही नजारा मध्यप्रदेश के कटनी क्षेत्र के बहोरीबंद तहसील क्षेत्र में देखने को मिल रहा है जहां पर दो दोस्तों ने साथ में मिलकर परंपरागत खेती से हटकर अलग कार्य किया है और आमदनी को बढ़ाने की पूरी कोशिश की है.
इसकी खेती कर रहे हैं किसान
दरअसल मनीष दुबे और धीरज तिवारी ने परंपरागत खेती से हटकर कुछ नया किया है. दरअसल किसानं ने सिकमी में जमीन लेकर लेमनग्रास, पामारोजा, मेंथाचारा से सुंगधित ऑयल को तैयार करने का कार्य किया है. इसमें उनको 20 एकड़ में लगभग 10 लाख रूपये का सलाना लाभ मिलना शुरू हो गया है. किसान ने बताया कि खडरा में उन्होंने 20 एकड़ जमीन ले ली है. उन्होंने कुल 6 लाख रूपये की लागत को लगाकर अपनी बंजर भूमि को उपजाऊ बानने का कार्य किया है. कुल 4 हजार रूपये प्रति एकड़ की लागत आई है. अब वह कुल पांच साल तक इसके जरिए 10 से 12 लाख रूपए प्रति सलाना मुनाफा कमाएंगे. किसानों ने दो साल से ऑयल तैयार होने वाली चारे की खेती के कार्य को शुरू कर दिया है. किसानों ने मिलकर मेंथा, पामारोजा आदि की फसल को लगाने का कार्य किया है. साथ ही जो जमीन बच गई है वहां पर दोनों किसानों ने मिलकर गेहूं की खेती के कार्य को किया है.
मिल रहा है लाभ
इस तेल की सप्लाई महाराष्ट्र और पुणे के अलावा गाजियाबाद, नई दिल्ली, लखनऊ आदि के समीप क्षेत्रों तक हो रही है. इस तेल के जरिए सुंगधित तेल, साबुन, पिपरमेंट आदि के निर्माण का कार्य तेजी से हो रहा है. किसानों के मुताबिक लेमन ग्रास और सिट्रोनेला का भी तेजी से उत्पादन बढ़ता ही जा रहा है. सिट्रोनेला भी लगभग 1500 रूपये किलो के भाव में बिक रही है, जबकि मेंथा कुल 1800 रूपये किलो के भाव में बिक रहा है.
फसलों के लिए उपयोग
किसानों के मुताबिक जो लेमन ग्रास ऑयल तैयार हो रहा है उससे खुशबू वाले साबुन, सिट्करोट, विटामिन-ए की कंपनी में सप्लाई हो रहा है. इसी तरह से सिट्रोनेला से टॉयलेट क्लीनर और मच्छर नियंत्रण के लिए उपयोग किया जा रहा है. पामा रोजा का उपयोग गुलाब जैसी खुशबू वाले साबुन के लिए किया जा रहा है. इसके अलावा इत्र, क्रीम और अन्य सौंदर्य प्रसाधान की साम्रगी निर्माण में इसका प्रयोग हो रहा है.