भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी समय-समय पर अपने मन की बात को जनता तक पहुंचाने के लिए मन की बात करते हैं. इस बार मन की बात में प्रधानमंत्री ने उत्तरप्रदेश के संभल जिले के बारे में विशेष जानकारी दी. प्रधानमंत्री ने इस जानकारी में ‘सोत नदी’ का भी जिक्र किया. उन्होंने अपने मन की बात में ‘सोत नदी’ को कैसे लोगों ने एक संकल्प और लगन और कर्तव्य से विलुप्त हुई नदी को पुनर्जीवित कर दिया.
कैसे विलुप्त हुई ‘सोत नदी’
प्रधानमंत्री ने बताया कि कैसे लोगों ने मेहनत और लगन से मिलकर एक बार फिर से वर्षों पहले विलुप्त हो चुकी नदी को पुनर्जीवित किया. दरअसल यह नदी उत्तर प्रदेश के संभल जिले में बहती थी, जो धीरे-धीरे अतिक्रमण के चलते सूख गई थी.
लोगों की लगन और मेहनत ने किया चमत्कार
भारत में चमत्कार करने वाले लोगों की कोई कमी नहीं है. कहीं जीतनराम मांझी जैसे लोग पहाड़ को खोद कर रास्ता बना रहे हैं तो कहीं एक जुट हो कर लोग विलुप्त हुई नदी को फिर से जीवित कर रहे हैं. लेकिन यह चमत्कार इनकी मेहनत और लगन से ही सफल हो सका है. प्रधान मंत्री ने इस नदी का जिक्र करते हुए बताया कि उत्तर प्रदेश के संभल जिले में वर्षों पहले एक ‘सोत नदी’ बहती थी जो अतिक्रमण के चलते सूख गई थी. लेकिन जब लोगों ने इस ओर ध्यान दिया तो एक बार फिर से एकजुटता और कुछ सरकारी सहायता के साथ इस ‘सोत नदी’ की खुदाई कर डाली.
100 किलोमीटर तक हो चुकी खुदाई
नदी की इतनी खुदाई में लोगों ने कई तरह के बदलाव भी किए साथ ही आज फिर से इसे खोद कर 100 किलोमीटर लम्बी नदी को तैयार कर दिया. लोगों के नदी खोदने के बाद विश्वास को नई दिशा तब मिली जब बरसात में इस नदी ने एक बार फिर अपना पुराना रूप ले लिया. प्रधानमंत्री मोदी ने संभल के लोगों की तारीफ करते हुए बताया की आज इस नदी के किनारों पर 70 से ज्यादा गांव बसे हुए हैं साथ ही यहाँ हजारों की संख्या में लोग रह रहे हैं.
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लोगों ने नदी के इस पुनरोद्धार में केवल नदी के लिए रास्ता ही नहीं बल्कि 10000 से ज्यादा बांस के पौधों को भी लगाया है. इसके साथ ही इस नदी में 30000 से ज्यादा गम्बूसिया मछलियों को छोड़ा गया है. यह मछलियाँ नदी में मगरमच्छों को पनपने से रोकती हैं.