15 अगस्त को जम्मू-कश्मीर के प्रत्येक गांव में तिरंगा फहराने के कार्यक्रम के मद्देनजर केंद्र सरकार ने अभी से कावायद शुरू कर दिया है. राज्य में स्वतंत्रता दिवस (15 अगस्त) समारोह के हिस्से के रूप में जम्मू कश्मीर में अनुच्छेद-370 (Article 370) हटने के बाद राज्य के मौजूदा हालात के बीच जहां देश-विदेश के पर्यटक और अमरनाथ श्रद्धालु वापस जा चुके हैं, वही
लेफ्टिनेंट कर्नल महेंद्र सिंह धोनी इस बार 15 अगस्त को जम्मू कश्मीर से अलग बने केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख में तिरंगा फहरा सकते हैं. भारतीय सेना में मानद लेफ्टिनेंट कर्नल धोनी वर्तमान में जम्मू कश्मीर के पुलवामा जिले के खूरे में तैनात हैं. एमएस धोनी इस समय प्रादेशिक सेना (टेरिटोरियल आर्मी) के साथ हैं.
महेंद्र सिंह धोनी सेना की 106 टीए बटालियन पैरा के मानद लेफ्टिनेंट कर्नल हैं. उन्हें यह रैंक 2011 में प्रदान किया गया था. उन्होंने कुछ समय पहले कश्मीर में स्थित अपनी रेजीमेंट के साथ सेवाएं देने की इच्छा जताई थी. रक्षा मंत्रालय ने उनकी इसे स्वीकारते हुए उन्हें दक्षिण कश्मीर में तैनात 106 टीए बटालियन में ड्यूटी पर रिपोर्ट करने की अनुमति दी थी. उन्होंने गत शुक्रवार को औपचारिक रूप से अपनी ड्यूटी संभाली थी.
दक्षिण कश्मीर में आतंकरोधी अभियानों का संचालन कर रही सेना की विक्टर फोर्स के अवंतीपोर स्थित मुख्यालय में ही 106 टीए बटालियन तैनात है. विक्टर फोर्स मुख्यालय की सुरक्षा की जिम्मेदारी इसके पास ही है. संबंधित सैन्य अधिकारियों के अनुसार, धौनी को आतंकरोधी अभियानों की ड्यूटी नहीं दी गई है. एक लेफ्टिनेंट कर्नल के तौर पर जो भी काम हैं, उन्हें आवंटित किए गए हैं. वह 15 अगस्त तक जम्मू कश्मीर में रहेंगे.
प्रादेशिक सेना (टेरिटोरियल आर्मी) दक्षिण कश्मीर क्षेत्र में तैनात है जहां 30 जुलाई को महेंद्र सिंह धोनी इसमें शामिल हुए थे. रक्षा सूत्रों ने गुरुवार को बताया कि धोनी 10 अगस्त को अपनी रेजिमेंट के साथ लेह की यात्रा करने वाले हैं. सेना के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, 'धोनी भारतीय सेना के एक ब्रांड एंबेसडर हैं. वह अपनी इकाई के सदस्यों को प्रेरित करने में लगे हुए हैं और अक्सर सैनिकों के साथ फुटबॉल और बालीबॉल खेल रहे हैं. वह कोर के साथ युद्ध प्रशिक्षण अभ्यास भी कर रहे हैं. वह 15 अगस्त तक घाटी में रहेंगे.
दक्षिण कश्मीर में तैनात धौनी जवानों का हौसला बढ़ाते भी नजर आ जाते हैं. कभी मेस में तो कभी गश्त के दौरान गाना गुनगुनाकर और अपने जूते खुद पालिश कर वह पूरे मजे से एक सामान्य सैन्य अधिकारी की जिदगी जी रहे हैं. सोने के लिए उनके पास कोई बड़ा कमरा नहीं है, महज दस फुट का कमरा है, जिसमें किगसाइज बेड नहीं बल्कि एक तख्त पर बिछा बिस्तर है. वह निर्धारित समय पर सुबह-शाम मैदान में पीटी के अलावा बालीवॉल खेलते भी नजर आ रहे हैं.