टिड्डियों के दल ने कई राज्यों की फसलों को तबाह कर दिया है. इसका हमला लगातार बढ़ता जा रहा है, जिससे किसानों की चिंता भी लगातार बढ़ती जा रही है. टिड्डियों का दल पेड़, पौधों और सब्ज़ियों को नुक़सान पहुंचाते हुए एक से दूसरे राज्य पहुंच रहा है. अभी तक टिड्डियों के दल ने गुजरात, झारखंड, पंजाब, हरियाणा, मध्य प्रदेश, राजस्थान, उत्तर प्रदेश और महाराष्ट्र में आतंक फैला रखा है. इसके आतंक से सबसे ज्यादा सब्जियों की फसलों को नुकसान हुआ है, क्योंकि किसान रबी की फसल की कटाई कर रहे थे. कृषि वैज्ञानिक, विशेषज्ञ और सरकार लगातार इससे निपटने का तरीका खोज रहे हैं. इसी कड़ी में महाराष्ट्र एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी (Marathwada Agricultural University) ने एक सुझाव दिया है कि जिससे टिड्डियों के दल से फसलों का बचाव हो सकता है.
अंडे नष्ट करके होगा टिड्डियों से बचाव
यूनिवर्सिटी के कृषि कीट विज्ञान विभाग का मानना है कि मादा टिड्डियां नम जमीन में 50 से 100 अंडे देती हैं. इनकी प्रजनन की अवधि पर्यावरण पर निर्भर होती है, जो कि 2 से 4 सप्ताह तक चलती है. यूनिवर्सिटी का कहना है कि अंडे से लार्वा एकदम नहीं उड़ सकता है, इसलिए खड़ी फसलों में अंडों को नष्ट करना एक बेहतर उपाय है.
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नीम का तेल छिड़कने से होगा टिड्डियों से बचाव
इसके लिए किसान को सबसे पहले 60 सेंटीमीटर चौड़ा गहरा गड्ढा खोदना होगा, जिसकी गहरी 75 सेंटीमीटर की हो. इसके द्वारा छोटे टिड्डों को पकड़ सकते हैं. विशेषज्ञों का मानना है कि जब लार्वा बड़े होते हैं, तब वह समूह में उड़ जाते हैं. इसके बाद पत्तियां, शाखाएं, फूल और बीजों को नष्ट करते हैं. ऐसे में फसलों के बचाव के लिए रात के समय धुएं द्वारा टिड्डियों के बच्चों को नष्ट किया जा सकता है. किसान प्रति हेक्टेयर खेत में लगभग 2.5 लीटर नीम का तेल छिड़क सकते हैं. इससे टिड्डियों के दल पर काफी हद तक नियंत्रण पाया जा सकता है.
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