Poultry Farming: बारिश के मौसम में ऐसे करें मुर्गियों की देखभाल, बढ़ेगा प्रोडक्शन और नहीं होगा नुकसान खुशखबरी! किसानों को सरकार हर महीने मिलेगी 3,000 रुपए की पेंशन, जानें पात्रता और रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया खुशखबरी! अब कृषि यंत्रों और बीजों पर मिलेगा 50% तक अनुदान, किसान खुद कर सकेंगे आवेदन किसानों को बड़ी राहत! अब ड्रिप और मिनी स्प्रिंकलर सिस्टम पर मिलेगी 80% सब्सिडी, ऐसे उठाएं योजना का लाभ GFBN Story: मधुमक्खी पालन से ‘शहदवाले’ कर रहे हैं सालाना 2.5 करोड़ रुपये का कारोबार, जानिए उनकी सफलता की कहानी फसलों की नींव मजबूत करती है ग्रीष्मकालीन जुताई , जानिए कैसे? Student Credit Card Yojana 2025: इन छात्रों को मिलेगा 4 लाख रुपये तक का एजुकेशन लोन, ऐसे करें आवेदन Pusa Corn Varieties: कम समय में तैयार हो जाती हैं मक्का की ये पांच किस्में, मिलती है प्रति हेक्टेयर 126.6 क्विंटल तक पैदावार! Watermelon: तरबूज खरीदते समय अपनाएं ये देसी ट्रिक, तुरंत जान जाएंगे फल अंदर से मीठा और लाल है या नहीं Paddy Variety: धान की इस उन्नत किस्म ने जीता किसानों का भरोसा, सिर्फ 110 दिन में हो जाती है तैयार, उपज क्षमता प्रति एकड़ 32 क्विंटल तक
Updated on: 8 May, 2019 5:47 PM IST

छत्तीसगढ़ के बस्तर में रहने वाले किसान अब अमरूद और पपीते की जगह पर आने वाले दिनों में जल्द ही मुजफ्फरपुर में उगने वाली लीची की वैरायटी की खेती करेंगे। इसके लिए लीची के पौधे बस्तर में ही मिलेंगे वह भी काफी कम दामों पर उपलब्ध होंगे। पांच सालों के अंदर तैयार होने वाले इस लीची के पौधे की खेती को विकसित करने की योजना के तहत किसानों को लीची के पौधों को शहर में स्थित डोंगाघाट की नर्सरी से 40 रूपए प्रति नग के हिसाब से दिए जाएंगे। जानकारी के मुताबिक राज्य का उद्यानिकी विभाग बीज के उत्पादन और अन्य वैरायटी के पौधों को तैयार करने के बाद उन्हें कम दाम पर पौधे बेचकर बागवानी फसलों की तरफ किसानों को आकर्षित करने में लगा हुआ है। विभाग ने नर्सरी में लीची के पौधे लगाने की तैयारी शुरू कर दी है।

कई तरह की फसलें मिल रही

यहां नर्सरी से किसानों को आम के बारहमासी और दशहरी, कटहल, सीताफल, अमरूद, चीकू, पापीता, नारियल, काजू और फूलों में गुलाब के साथ-साथ क्रोटना, ड्रेसिना और आरेलिया, फुटबाल लिली के साथ अन्य फूलों की प्रजातियां भी उपलब्ध करवाई जा रही है। उद्यानिकी विभाग ने कहा कि फिलहाल बस्तर में मौसम काफी बेहतर है और यह लीची उत्पादन के लिए उपयुक्त है। किसानों की आमदनी को बढ़ाने की योजना बनाई जा रही है। जैसे ही नर्सरी में पौधे तैयार करके किसानों को दिए जाएंगे।

कम लागत पर सही पौधे उपलब्ध करवाना लक्ष्य

नर्सरी के प्रभारी ने कहा कि वह इस तरह की कोशिश कर रहे है कि किसानों को कम दाम पर अच्छे और सस्ते फल और फूल उपलब्ध हो, इसके लिए कई सालों से लगातार कोशिश की जा रही है, जो कि अब जाकर सफल हुई है। यहां के किसान पारंपरिक फसलों के साथ फल और फूलदार खेती करके आर्थिक रूप से सक्षम हो रहे है। उन्होंने बताया कि किसानों को दिए जाने वाले लीची के पौधे नर्सरी मे मुजफ्फरनगर से लाकर लगाए गए 5 पेड़ों से ही तैयार किए जाएंगे। इस तरह की सरकारी नर्सरी में हर साल किसान 5 से सात हजार रूपये कमा लेगा। लीची की खेती का बड़ा फायदा यहां के स्थानीय किसानों को मिलेगा। जो भी लीची बाहर से आती है वह 80-150 किलो के रेट पर बिकती है जो कि सबसे ज्यादा उपयोगी होती है। आने वाले समय में किसानों को इससे काफी बढ़िया आमदनी हो सकती है।

English Summary: Litchi will now grow in Bastar, farmers will get bumper
Published on: 08 May 2019, 05:49 PM IST

कृषि पत्रकारिता के लिए अपना समर्थन दिखाएं..!!

प्रिय पाठक, हमसे जुड़ने के लिए आपका धन्यवाद। कृषि पत्रकारिता को आगे बढ़ाने के लिए आप जैसे पाठक हमारे लिए एक प्रेरणा हैं। हमें कृषि पत्रकारिता को और सशक्त बनाने और ग्रामीण भारत के हर कोने में किसानों और लोगों तक पहुंचने के लिए आपके समर्थन या सहयोग की आवश्यकता है। हमारे भविष्य के लिए आपका हर सहयोग मूल्यवान है।

Donate now