किसानों की आय दोगुनी करने की चुनौती लेने के लिए भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR) ने राज्य के लिए विशिष्ट योजनाएं तैयार की हैं और केवीके को गांवों की चुनौती का सामना करने के लिए जिम्मेदारी सौंपी गई, ताकि किसानों की आय दोगुनी की जा सके. साथ ही इनकी आय को निर्देशित करने के लिए एक प्रौद्योगिकी केंद्रित दृष्टिकोण के साथ काम भी किया गया. इस रिपोर्ट में यह दावा किया गया है कि 75000 सफल किसानों की आय में वृद्धि देखी गई है, अब वो कैसे आइए जानते हैं इस रिपोर्ट में.
दरअसल, केवीके (KVK) ने गांवों को गोद लिया और एक तकनीकी नवीन तकनीकी विकल्पों और अच्छी कृषि पद्धतियों के साथ काम किया. किसानों ने नवोन्मेषी तकनीकी विकल्पों को अपनाने और प्रभाव में सैकड़ों किसानों और किसान परिवारों की आजीविका का गठन किया. वहीं देश के प्लेटिनम जुबली समारोह के हिस्से के रूप में, प्रत्येक केवीके के अधिकार क्षेत्र में सैकड़ों केवीके की आजीविका को बदल दिया है. बागवानी, पशुधन, मत्स्य पालन और कृषि/गैर-कृषि उद्यम में आय सहित कृषि के सभी क्षेत्रों में उन्नति हुई है.
कुल आय में वृद्धि
लद्दाख में 125.44% व अंडमान और निकोबार द्वीप समूह में 271.69% तक की वृद्धि देखी गई. उत्तराखंड, पश्चिम बंगाल, छत्तीसगढ़ और पुडुचेरी में किसानों की आय में 200 प्रतिशत से अधिक की वृद्धि दर्ज की गई. अधिकांश अन्य राज्यों ने कुल आय में 150 से 200 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की. 2016-17 के साथ-साथ 2020-21 के दौरान जम्मू और कश्मीर, हिमाचल प्रदेश, लद्दाख, झारखंड, सिक्किम, मेघालय, मिजोरम, त्रिपुरा, गोवा, गुजरात, महाराष्ट्र, तमिलनाडु कर्नाटक और केरल जैसे 14 राज्यों में कुल आय में बागवानी का प्रमुख हिस्सा था.
कुल आय में 60 प्रतिशत से अधिक की हिस्सेदारी के साथ हिमाचल प्रदेश, केरल और गोवा शीर्ष तीन राज्य हैं. हालांकि कुल आय में हिस्सेदारी 2016-17 से 2020-21 तक घट रही है लेकिन 11 राज्यों जैसे पंजाब, उत्तराखंड, हरियाणा, राजस्थान, उत्तर प्रदेश, बिहार, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश, आंध्र प्रदेश, पुडुचेरी और तेलंगाना में आय का प्रमुख स्रोत बना हुआ है. मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और हरियाणा इस श्रेणी में शीर्ष तीन राज्य हैं.
पशुधन नार्थईस्ट राज्यों में कुल आय का प्रमुख स्रोत बना रहा है. वहीं, 2016-17 के साथ-साथ 2020-21 के दौरान अरुणाचल प्रदेश, मणिपुर और नागालैंड, ओडिशा और अंडमान एंड निकोबार द्वीप समूह में मत्स्य पालन किसानों के लिए आय का प्रमुख स्रोत बना रहा है.
इसके अलावा, पश्चिम बंगाल में कृषि और गैर-कृषि उद्यम किसानों के लिए कुल आय और अतिरिक्त आय दोनों में आय का प्रमुख स्रोत थे. साथ ही, तीन उत्तर-पूर्वी राज्यों सिक्किम, मेघालय और मिजोरम सहित 17 राज्यों में बागवानी में महिला किसानों का अधिक योगदान रहा.
दिल्ली में 60.15%, केरल में 59.15%, कर्नाटक में 58.06% गोवा में 57-33%, गुजरात में 55.89%, पंजाब (30.13%), उत्तर प्रदेश (36.92%), हरियाणा (39.35%), बिहार (40.39%), राजस्थान (42.06%), मध्य प्रदेश (48.46%) और छत्तीसगढ़ (49.01) में अतिरिक्त आय का प्रमुख स्रोत खेत की फसलें हैं. %). असम (27.17%), उत्तराखंड (29.97%), अरुणाचल प्रदेश (36.55%), नागालैंड (42.37%), त्रिपुरा (44.49%) और मणिपुर (49.01%) राज्यों में पशुधन अतिरिक्त आय का प्रमुख स्रोत है.
यह दावा किया गया है कि केवीके की सहायता के चलते सभी भूमि वर्ग किसानों को लाभ मिला है. वहीं, लद्दाख (390.6%), झारखंड (366.59%), आंध्र प्रदेश (342.97%) और गोवा (303.02%) जैसे हिस्सों में भूमिहीन श्रेणी की आय में सबसे अधिक वृद्धि हुई है. हरियाणा में सीमांत किसानों की आय में 298.10% तक की वृद्धि हुई. उत्तराखंड, छत्तीसगढ़, राजस्थान और असम में सीमांत किसानों की आय में भी 200 प्रतिशत से अधिक की वृद्धि हुई है.
अंडमान और निकोबार द्वीप समूह, पुडुचेरी, उत्तराखंड, असम और हिमाचल प्रदेश राज्यों में छोटे किसानों ने आय में अधिकतम वृद्धि प्राप्त की है. आपकी जानकारी के लिए बता दें कि अंडमान और निकोबार द्वीप समूह में 273.86%, पुडुचेरी में 405.26% और पश्चिम बंगाल में 377.39% में छोटे और बड़े किसानों की आय में सबसे अधिक वृद्धि दर्ज की गई है.
साथ ही, अरुणाचल प्रदेश में 274.95%, महाराष्ट्र में 234.38%, जम्मू और कश्मीर में 218.75% और झारखंड में 216.00% में बड़े किसानों द्वारा आय में बहुत उच्च स्तर की वृद्धि दर्ज की गई है.
ICAR के यह परिणाम इस तथ्य को दोहराते हैं कि कृषि क्षेत्रों में, देशभर में और भूमि वर्गों में किसानों की आय दोगुनी करना संभव है. आय में विज्ञान और प्रौद्योगिकी संचालित वृद्धि एक वास्तविकता है और इसे प्रशासनिक और नीतिगत समर्थन से आवश्यक समर्थन के साथ देश भर में आगे बढ़ाया जा सकता है.