सफल किसान (Success Story) में आज बात करेंगे 40 वर्षीय गृहणी व महिला किसान (Women Farmer) सीनत कोक्कुर की जिन्होंने पूरे गांव की खेती को एक नया रूप दिया. शुरुआत टमाटर की खेती (Tomato Farming) से हुई थी लेकिन कुछ कर दिखाने के जुनून के बल पर पूरे गांव को जैविक का पाठ पढ़ा डाला. सीनत ऑल विमेन्स फॉर्मिंग ग्रुप की संस्थापक हैं जिसे ‘पेनमित्र’ के नाम से जाना जाता है. यह समूह पूरे गांव में ऑर्गेनिक खेती (Organic Farming) के लिए जाना जाता है.
एक बड़े वेब पोर्टल को दिये गए साक्षात्कार में सीनत बताती हैं कि उनको ऐसा लगता था कि उन्होंने सिर्फ 10वीं तक पढ़ाई की है और वे कभी किसी नौकरी के लिए आवेदन नहीं कर सकेंगी इसलिए वे एक गृहिणी बनकर रह जाएंगी. वहीं किसान परिवार से होने के कारण उन्हें कृषि में संभावना दिखाई देती थी इसलिए उन्होंने खेती करने का फैसला किया और यह सोचा कि जो कुछ क्षेत्र के अनुकुल उगाया जा सकता है उसकी खेती की जाए.
भिंडी, हरी मिर्च और फूलगोभी लागने का मिला हौसला
शुरुआत में सीनत ने टमाटर कि खेती करने का मन बनाया और पौधे, बीज व 20 ग्रो बैग का इंतज़ाम कृषि भवन और मन्नुथी कृषि विश्वविद्यालय से किया. कुछ ही हफ्तों में इसका परिणाम आना शुरू हुआ और पौधों से फल निकलना शुरू हो गया. उन्होंने अपने बगीचे में भिंडी, हरी मिर्च और फूलगोभी लगाने का भी फैसला किया. खेती में उनके सफल प्रयोग को आसपास कि महिलाएं भी सराहने लगीं और उनसे खेती सीखने के लिए उनसे संपर्क बनाना शुरू कर दिया.
यहीं से सीनत को लगा कि खेती को अब और आगे ले जाना चाहिए जिसपर विचार करते हुए उन्होंने ‘पेनमित्र’ (महिलाओं की सहेली) नाम से ऑल विमेन्स फॉर्मिग ग्रुप की शुरुआत कर दी. शुरुआत में इस समूह में केवल 10 महिला सदस्य ही थी लेकिन अब यह संख्या बढ़कर 50 हो चुकी है. यह सभी महिलाएं सब्जियों, फलों और धान की खेती करती हैं. पेनमित्र द्वारा कृषि वर्कशॉप और अन्य कृषि गतिविधियों में भाग लेने के कारण उनकी लोकप्रियता बढ़ने लगी.
सीनत कहती हैं, “पेनमित्र की शुरुआत 2015 में हुई थी,और हमने कभी नहीं सोचा था कि यह सिर्फ पाँच वर्षों में इतना विस्तार करेगा, लेकिन अब कोक्कुर में एक भी घर ऐसा नहीं है जिसमें जैविक खेती न होती हो। मुझे गर्व महसूस होता है कि हम एक पूरे गाँव को अपनी सब्जियाँ उगाने के लिए प्रेरित करने में सफल साबित हुए.”
धान की खेती करने का भी फैसला किया
सीनत और उनकी टीम सब्जीयों की खेती में सफलता हासिल कर चुकी थी लेकिन, उनको चावल बाज़ार से ही खरीद कर खाना पड़ रहा था इसलिए सदस्यों ने धान की खेती करने का भी फैसला किया. लेकिन धान की खेती में ज्यादा मेहनत होने के कारण टीम में कुछ युवा सदस्यों को भी जोड़ा गया और पांच एकड़ जमीन लीज पर लेकर उसकी मिट्टी तैयार की गई. सीनत बताती हैं कि सभी लोग जो इसमें जुड़े सभी का स्वागत करते हुए एक टीम वर्क के अनुसार काम को अंजाम दिया गया और व्हाट्सएप ग्रुप के जरिए शिफ्टों में काम किया गया और क्षेत्र में पानी कि समस्या होने के बावजूद पेनमित्र एक अच्छी फसल पैदा करने में सफल हुआ.
वहीं अब यह संस्था कई अन्य कार्यों में भी सक्रीय हो चुकी हैं जैसे नारियल के गोले और भूसी जैसे प्राकृतिक अपशिष्ट पदार्थों से कलाकृतियां और एसेसरीज बनाना और साथ ही अपने उत्पादों का प्रदर्शन करना. बता दें कि खेती के साथ-साथ सीनत अब पढ़ाई में भी इतिहास में बीए कर चुकी हैं और कराटे विशेषज्ञ भी हैं. भविष्य में पेनमित्र द्वारा मुर्गी पालन और डेयरी पर भी काम करने का विचार बनाया जा रहा है.