देश में चौदहवां कृषि विज्ञान कांग्रेस सम्मेलन आज से राष्ट्रीय कृषि विज्ञान परिसर में शुरू हो चुका है. यह तीन दिवसीय कृषि विज्ञान कांग्रेस सम्मेलन 23 फरवरी तक चलेगा जिसका मुख्य विषय 'कृषि में क्रांति के लिए नवाचार' है. इस विज्ञान कांग्रेस सम्मेलन का आयोजन भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान और राष्ट्रीय कृषि विज्ञान अकादमी (नास) ने संयुक्त रूप से आयोजित किया है. जिस विषय पर यह सम्मेलन आयोजित हो रहा है, वह बेहद ही प्रांसगिक है. इस सम्मेलन में सरकार कृषि संकट को कम करने और किसानों की आय बढ़ाने के बारे चर्चा कर रही है. यह सम्मेलन हर दो साल में आयोजित होता है. इस सम्मेलन के बारे में नास अध्यक्ष डॉ पंजाब सिंह और आईसीएआर अध्यक्ष त्रिलोचन माहापात्रा ने पूरी जानकारी दी है.
देश हो रहा है खाद्य पदार्थों में आत्मनिर्भर
इस सम्मेलन में करीब 2 हजार वैज्ञानिक शामिल हो रहे हैं जिनमें कुल 17 देशों जैसे अमेरिका, ब्रिटेन, ऑस्ट्रेलिया, बेल्जियम, कनाडा, कोलंबिया, डेन्मार्क, ईथोपिया, फ्रांस, इंडोनेशिया, इटली, मेक्सिको, न्यूजीलैंड, फिलीपींस, सिंगापुर, थाईलैंड और केन्या से आये 40 से अधिक वैज्ञानिक इसमें शामिल है. उन्होंने कहा कि कृषि में जो भी क्रांति आ रही है उससे देश न केवल खाद्य सुरक्षा में आत्म निर्भर हो गया है बल्कि कईं खाद्य पदार्थों का निर्यातक बनकर आजीविका सुरक्षा और समाजिक स्थिरता प्रदान करने में काफी सक्षम हुआ है.
इन विषयों पर होगी चर्चा
तीन दिवसीय इस कृषि विज्ञान कांग्रेस सम्मेलन को विभिन्न विषयगत क्षेत्रों में विभाजित किया गया है. जिसमें बागवानी फसल, पौध संरक्षण, आनुवांशिक सुधार, प्रकृतिक संसाधन, मूल्य संवर्धन, पशु विज्ञान, मत्स्य पालन, अभियांत्रिकी और सूचना प्रौद्योगिकी, समाजिक विज्ञान और कृषि शिक्षा को सम्मिलित किया गया है. इन सभी विषयगत क्षेत्रों में कुल 32 तकनीकी सत्रों को शामिल किया जाएगा. इसके साथ ही पूरे सम्मेलन में कई तरह के सार्वजनिक व्याख्यान, किसानों के सत्र, पोस्टर प्रस्तुति, छात्र-पात्रता प्रतियोगिता और अन्य पैनल में चर्चाओं का आयोजन किया जाएगा. सभी लोग अपने -अपने कई अनुभवों को भी साझा करेंगे.
कई लोग लेंगे हिस्सा
इस तीन दिवसीय कृषि विज्ञान कांग्रेस सम्मेलन में बड़ी संख्या में शोधकर्ता, संकाय सदस्य, नीति निर्माता, उद्यमी, विकास विभाग और निजी क्षेत्र के नेतृत्वकर्ता, एनजीओ और छात्र अकादमी के इस सम्ममेलन में हिस्सा लेंगे. डॉ सिंह और डॉ मोहपात्रा ने जानकारी दी कि इस महत्वपूर्ण सम्मेलन में 2025 तक देश की आधी आबादी के लिए रोजगार और अजीविका के सुरक्षा के मुख्य स्त्रोत की संभावनाओं पर विचार किया जाएगा. इसके साथ ही सम्मेलन में व्यापर के विभिन्न अवसर, सेवा प्रदाता, उद्योग और पारिस्थितकी तंत्र की सुरक्षा को तय करने में बेहतर दिशा मिलेगी. इस सम्मेलन में हरित क्रांति से जीन क्रांति तक उत्पादकता, स्थिरता और समोविशता में सर्वागीण बढ़ोतरी के लिए नवाचारों की आवश्यकता पर बल देगी. इसमें विभिन्न प्रकार के मानव संसाधन विकास की जांच और पड़ताल भी की जाएगी.