भारत को अगर युवाओं का देश कहा जाए, तो कोई अतिश्योक्ति नहीं होगा. वहीं,आंकड़ों के लिहाज से भारत दुनिया में सबसे ज्यादा युवा आबादी वाला देश है. यहां तक कि चीन भी उससे पीछे है. वहीं युवाओं पर देश की भविष्य निर्भर होती है, इसलिए इनको देश का कर्णधार भी कहा जाता है.
इसी के मद्देनजर कृषि जागरण ने युवाओं के साथ आज ‘टेक अडॉप्टेशन इन मॉडर्न इंडिया विथ एग्री स्टूडेंट्स’ विषय पर एक वेबिनार आयोजित किया. इस वेबिनार में कृषि जागरण एंड एग्रीकल्चर वर्ल्ड के एडिटर इन चीफ मिस्टर एमसी डॉमिनिक के अलावा, डॉ. राजेंद्र प्रसाद केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय, पूसा बिहार से विद्यार्थी जुड़ें, जोकि कृषि से संबन्धित विषयों पर चर्चा किए.
इस वेबिनार में कृषि जागरण एंड एग्रीकल्चर वर्ल्ड के एडिटर इन चीफ एमसी डॉमिनिक ने बीएससी एग्रीकल्चर के छात्रों से बात कर यह जानने की कोशिश की कि आखिर इस देश का युवा जो कृषि क्षेत्र से जुड़ा है, वो क्या सोचता है? अपने पढ़ाई के माध्यम से क्या कुछ अर्जित किया है.
इसके अलावा, वेबिनार में उपस्थित छात्रों ने एग्रीकल्चर से जुड़ी समस्याओं और उसके समाधान पर चर्चा किया. RPU के छात्र शुरुतिधर ने बताया कि कैसे हम एग्रीकल्चर के क्षेत्र में अधिक से अधिक एडवांस टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल कर श्रम और लागत की बचत कर सकते हैं. सिर्फ इतना ही नहीं, इससे किसानों को मुनाफा भी अच्छा होगा.
वहीं, सनी ने बताया कि रासायनिक खेती से ज्यादा लाभकारी जैविक खेती कैसे है. उन्होंने यह भी बताया कि इससे न सिर्फ किसान को मुनाफा होगा, बल्कि देश की आर्थिक हालत में भी बदलाव आएगा. एक जमीन पर बार-बार एक ही फसल उगाने से जमीन की उपज और उसकी क्षमता काम हो जाती है. ऐसे में किसानों के लिए भी जरुरी है की वह बदल-बदल कर खेती करें.
इसके साथ ही उपस्थित छात्रों ने फसल या फसल की बीजों के लिए सरकार से फिक्स एमआरपी की भी मांग रखी. उनके मुताबिक, जिस तरह से अन्य वस्तुओं पर उनका एमआरपी फिक्स होता है. जिस वजह से वो सामान उससे कम या ज्यादा दामों पर नहीं बिक सकता. उसी तरह फसलों और बीजों पर भी सरकार को एमआरपी फिक्स करनी चाहिए. इससे कोई भी किसान अपनी उपज को लागत से काम दामों में बेचने को मजबूर नहीं होगा.
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इसके अलावा, उन्होंने एक और सुझाव देते हुए भारत की तुलना चीन से की. छात्रों ने कहा चीन में व्यवस्थित ढंग से कोल्ड स्टोरेज की व्यवस्था सरकार के तरफ से दी गयी है, जिसके चलते वहां के किसान अपनी उपज को सुरक्षित रख उसे सही समय पर बेच सकते हैं. लेकिन हमारे यहाँ छोटे किसानों के पास ऐसे कोई व्यवस्था नहीं है, जिस वजह से उन्हें अपना फसल समय रहते और कम दामों में बेचना पड़ता है.
कृषि जागरण के माध्यम से छात्रों ने सरकार से सतत कृषि (Sustainable Agriculture) की मांग की. सतत कृषि से आशय है कि मृदा उर्वरता और पर्यावरण संतुलन को बनाए रखते हुए निरंतर कृषि करना. इसका मुख्य उद्देश्य है कि आने वाली पीढ़ी को भी वहीं उत्पादन (Yield) मिल सके, जो आज प्राप्त हो रही है.
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