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Updated on: 25 September, 2021 5:44 PM IST
Krishi Jagran Team

कृषि जागरण पत्रिका के किसानों के संवाद के सफर में आज का दिन यानि 25 सितम्बर,  बड़ा ही ऐतिहासिक दिवस है. इस माह के आरम्भ में यानि की 5 सितम्बर, 2021 को ही कृषि जागरण ने पत्रिका को किसानों का मूल मुखपत्र होते हुए निर्बाध रूप से 25 साल पूरे किये. इस दिवस को कृषि जागरण ने रजत जयंती के रूप में उत्सव भी मनाया गया.

मोदी जी के एक कथन स्वरूप आजादी के इस अमृत महोत्सव के अवसर पर कृषि जागरण का किसानों को ग्रामीण भारत में पत्रकार की भूमिका पर एक वेबिनार का आयोजन किया गया.  मेहनतकश कृषक जब खेत में हल, ट्रैक्टर के बाद कलम और टीवी कैमेरे परअपने माथे का पसीना पोंछते हुए कृषक साथियों, फसलों की बात करते हुए जमीन, पानी बीज को शब्दों में बांधता है, तो मिटटी की सोंधी खुशबू को भी अपने वक्तव्य में परोसता है, तो यही काम कृषि जागरण ने पिछले 25 वर्षों में किया है.

किसान परिवार के युवा सदस्यों ने खेती - किसानी के अलावा भी जब-जब अपने साथियों को अपने दर्द को परोसा है, एक अलग से समां बना है. इस वर्चुअल वेबिनार में किसान, वैज्ञानिक, प्रशासनिक अधिकारी, कृषि विकास केंद्र एवं प्रकाशन व इलेक्ट्रॉनिक मीडिया जैसे कि डी डी किसान, किसान संघ के प्रधान एवं मध्य प्रदेश राज्य के कृषि कल्याण मंत्रालय मंत्री कमल पटेल जी के आशीर्वचनो से हुआ. आदरणीय कमल पटेल जी ने कृषि जागरण के संस्थापक एवं मुख्य प्रधान संपादक एम.सी. डॉमिनिक का आभार व्यक्त किया और इस बात पर बल दिया कि यही उचित समय है जब हम किसान को समझते हुए किसानों के कल्याण के लिए उनकी अपनी  भाषा में संवाद का मौका प्रदान करें. पटेल ने अपने मध्य प्रदेश राज्य में किसानों के लिए क्या किया जा रहा है और क्या आवश्यकता है, यही समय कि मांग भी है. श्री पटेल के शब्दों ने वेबिनार में भाग लेने वालों सभी को ग्रामीण पत्रकारिता जो कि ग्लैमर कि चकाचौंध से हटकर वास्तविकता के आधार पर एक मजबूत धरातल प्रदान करने का प्रयास किया.

कृषि मंत्री कमल पटेल ने क्या कुछ कहा -

फॉर्मर द जर्नलिस्ट कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कमल पटेल ने कहा कि कृषि जागरण की मुहिम से गांव में रहने वाले और खेती करने वाले लोगों का विकास होगा. भारत किसानों का देश है. महत्मा गांधी ने भी कहा है कि असली भारत गांव में बसता है और गांव में होने वाली खेती से ही देश का विकास होगा. यह हमारा दुर्भाग्य है कि आजादी के बाद जितना ध्यान कृषि पर देना चाहिए था, उतना नहीं दिया, कृषि व ग्रामीण क्षेत्र की उपेक्षा की गई, इसलिए आज विकास हुआ, तो सिर्फ शहरों का हुआ. शहरो में सड़क, बिजली, पानी, शिक्षा समेत अन्य क्षेत्र में विकास हुआ, लेकिन ग्रामीण क्षेत्र की ना सड़क बनी ना कृषि को बढ़ावा मिला.

इस मौके पर कमल पटेल ने पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी को याद किया, साथ ही पंडित दीनदयाल उपाध्याय की जयंती के अवसर पर उन्हें याद करते हुआ कहा कि वे मानव समाज के मार्गदर्शक थे, जो हमेशा कहते थे कि विकास के पथ की अंतिम पंक्ति पर खड़े हुए व्यक्ति को पहले नंबर पर नहीं लाएंगे और गरीब की सेवा नहीं करेंगे, तब तक देश आगे नहीं बढ़ेगा. उन्होंने आगे कहा कि कृषि जागरण पंडित दीनदयाल उपाध्याय की जयंती के अवसर पर फॉर्मर द जर्नलिस्ट की अहम पहल कर रहा है. इससे किसानों व कृषि का विकास होगा, साथ ही किसानों की खेती से जुड़ी नई तकनीकों की जानकारी मिलेगी.

कमल पटेल ने उन्होंने आगे कहा कि देश के पीएम नरेंद्र मोदी ने आजादी के कई साल बाद स्वामित्व योजना लागू की गई, जिसके जरिए गांव का विकास होगा. अब सरकार किसान को हर क्षेत्र में अपनी पहचान बनाने के लिए सक्षम कर रहे हैं. मध्य प्रदेश के किसानों के लिए सरकार तमाम योजनाएं चला रही है, ताकि उनकी तरक्की हो सके.

वेबिनार के प्रारम्भ में कृषि जागरण के संस्थापक एवं प्रधान संपादक एम.सी. डॉमनिक ने समय कि मांग को देखते हुए वेबिनार के उद्देश्य पर प्रकाश डाला. चर्चा को आगे बढ़ाते हुए भारतीय बीज उद्योग एवं कृषि नवाचार की संस्था के एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर डॉक्टर शिवेंद्र बजाज ने क्लाइमेट चेंज कि चर्चा की और ऐसे में किसानों को क्या करना चाहिए व नयी जानकारी में जीन एडिटिंग कि बात करते हुए पूरे समर्थन देने की अपनी तरफ से आश्वासन भी दिया.

चेयरमैन ऑफ़ बोर्ड मैनेजमेंट, एग्रीकल्चर फाइनेंस कारपोरेशन ऑफ़ इंडिया लिमिटेड के अध्यक्ष डॉक्टर सी डी मायी ने किसानों कि दुर्दशा पर प्रकाश डालते हुए हुए विकास की नयी परिभाषा की आवश्यकता पर गौर करने की सिफारिश भी की एवं एग्रीकल्चर लिटरेसी को बढ़ाने में सहयोग देते हुए श्री डॉमिनिक को कृषि पत्रकारिता का मसीहा बना दिया. 

अपनी बात को बल देने के लिए कई सारे उदहारण भी प्रस्तुत किया. दक्षिण से किसान  फेडरेशन के प्रधान गौड़ा जी ने वर्तमान की बात करते हुए 5जी की चर्चा भी की व क्रन्तिकारी तकनीकों को अपनाने की बात पर भी बल दिया. केंद्रीय आलू अनुसन्धान स्टेशन, मेरठ के डॉक्टर मनोज कुमार ने किसानों को जागरूक करने और लेखक के तौर पर कैसे तैयार किया जाये एवं इस प्रयास में श्री डोमिनिक के प्रयासों की प्रशसा करते हुए अपनी सेवाओं का आश्वासन भी दिया.

डी डी किसान के वरिष्ठ पत्रकार अतोनु टिकेत ने लाइव प्रेजेंटेशन देते हुए पराली से ऐसे बरसात के मौसम में कैसे खाद बनायीं जाये और किसानों के लिए खेत से सीधे लाइव प्रसारण का उद्धारहण भी पेश किया. चर्चा को और आगे बढ़ाते हुए अमर उजाला के कंटेंट हेड जयदीप कार्णिक ने पत्रकारों को  आइना दिखाते हुए वास्तविकता को समझने और एक्शन लेने की बात की.

प्रगतिशील किसान क्लब के अध्यक्ष बृजेन्द्र दलाल ने किसानों के हित में किसानों के लिए इस मुहीम की सरहाना करते हुए किसानों के कष्ट की बात को उठाते हुए नई किस्म 1501 एवं रेट पर एमएसपी की जगह एमआरपी पर अधिक बल दिया. एफ़पीओ पर भी सुझाव को साझा किया. ऐसे समय में जायद की बुवाई में सीड ड्रिल के इस्तेमाल से फसलों को जोन में बांटने की भी बात की. 

किसानों की बात हो रही हो और किसान न बोलें, ऐसा कैसे हो सकता है ! विशाल सिंह ने आईआईटी में पढाई और अनुसन्धान एवं विकास को मुद्दा बनाते हुए कृषि जागरण की मुहीम को चार चाँद लगा दिए. प्रोफेसर से किसान बन कर किसानों की जरूरतों को अच्छी तरह से समझा और साझा भी किया. एक और एफ़पीओ के उमेश पाटीदार ने भी अपने अनुभवों का साझा किया. इसी कड़ी में दुसरे किसान जगमोहन राणा, रजनीश कुमार एवं सुधांशु कुमार भी अपने अपने अनुभवों के साथ इस मुहीम में योगदान दिया. 

डॉक्टर ए के सिंह, उप महानिदेशक ,एग्रीकल्चर एक्सटेंशन, आईसीआर के आशीर्वचनों के बिना अधूरी रह जाती. डॉक्टर सिंह ने केवीके के उधारण से व अपनी संस्था दवारा एक ऐसी शोध को भी साझा किया की किसानों को क्या और कैसे चाहिए जिस और कृषि जागरण के प्रयासों की भूरी भूरी प्रशंसा की गयी. कृषि जागरण के शुभ चिंतक वेद प्रकाश जी ने भी कृषि जागरण के प्रयासों की सरहाना की एवं अपने सुझाव भी साझा किये. 

वेबिनार में सभी प्रतिभागियों का आभार प्रकट करते हुए कृषि जागरण के प्रेजिडेंट, गवर्नमेंट अफेयर्स चन्दर मोहन जी ने सभी वक्ताओं का आभार प्रकट करते हुए इस वेबिनार से जुड़े सभी कृषि जागरण के साथियों का भी आभार प्रकट करते हुए समय की मांग के अनुसार अकबर इलाहाबादी का एक शेर :
खींचों न कामना को, न तलवार निकालो
गर तोप मुकाबिल हो तो अख़बार निकालो
और आगे Pen is Mighter than Sword वक्तव्य के साथ कार्यक्रम को समाप्त किया.

वेबिनार में अतिथि वक्ता

इस वेबिनार में अतिथि वक्ता के रूप में डॉ. सी.डी.माई, बोर्ड प्रबंधन अध्यक्ष, कृषि वित्त निगम इंडिया लिमिटेड, फॉर्मर चेयरमैन ऑफ़ इंडियन एग्रीकल्चरल साइंटिस्ट्स रिक्रूटमेंट बोर्ड एंड डायरेक्टर ऑफ़ आई.सी.ए.आर.सेंट्रल इंस्टिट्यूट ऑफ़ कॉटन रिसर्च, नागपुर

डॉ. ए के सिंह, उप महानिदेशक, कृषि विस्तार, भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद,

डॉ. मनोज कुमार, संयुक्त निदेशक, केंद्रीय आलू अनुसंधान केंद्र, मेरठ,

डॉ. शिवेंद्र बजाज, कार्यकारी निदेशक, फेडरेशन ऑफ सीड इंडस्ट्री ऑफ इंडिया और एलायंस फॉर एग्री इनोवेशन,

एटोनी टिकैत सीनियर जर्नलिस्ट, दूरदर्शन किसान,

जयदीप कर्णिक, हेड ऑफ कंटेंट और एडिटर, अमर उजाला वेब सर्विसेज प्राइवेट लिमिटेड,

बृजेंद्र सिंह दलाल, अध्यक्ष, प्रगतिशील किसान क्लब,

विशाल सिंह, सह-संस्थापक, कैवल्य विचार सेवा समिति,

उमेश पाटीदार, निदेशक, सर्वोत्कर्ष किसान उत्पादक कंपनी,

जगमोहन राणा, फॉर्मर और फाउंडर यमुना वैली, उत्तरकाशी, उत्तराखंड

रजनीश कुमार, फॉर्मर और फाउंडर , पराक्वा कल्चर इंटरप्राइजेज, उत्तर प्रदेश

सुधांशु कुमार, फॉर्मर और फाउंडर आर्चर्ड्स ऑफ़ नयानगर,

English Summary: Krishi Jagran launched Farmer the Journalist
Published on: 25 September 2021, 05:51 PM IST

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