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Updated on: 8 March, 2022 4:18 PM IST
अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस 2022

8 मार्च को हर साल अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के रूप में मनाया जाता है. इस शुभ दिन पर महिलाओं की हक की बात को महत्व दिया जाता है. आज का दिन महिलाओं के लिए किसी उत्सव से कम नहीं होती है. इस दिन दफ्तरों, स्कूल, सरकारी संस्थानों में महिलाओं के सम्मान के लिए कार्यक्रमों को आयोजित किया जाता है और साथ ही उन्हें सम्मानित किया जाता है.

इसके अलावा हर एक परिवार अपने घर की महिलाओं को भी इस दिन पर शुभकामनाएं देते हैं और धूमधाम से सबके साथ सेलिब्रेट करते हैं. आज के दिन उन सभी महिलाओं को भी याद किया जाता है, जिन्होंने अपनी मेहनत और जज्बे के साथ हर एक परेशानी का सामना किया है और अपनी एक नई पहचान बनाई.

आपको बता दें कि, कृषि जागरण आज के समय में एक ऐसा मीडिया हाउस है, जहां पर महिलाओं की हक को बेहद महत्व दिया जाता है. इस संस्थान में महिलाओं और पुरूषों को बराबर का हक दिया गया है. इसी क्रम में आज महिला दिवस के शुभ मौके पर कृषि जागरण द्वारा एक वेबिनार का आयोजन किया गया, जिसका विषय “कृषि क्षेत्र में महिलाओं की भूमिका” था. इस वेबिनार में देश के कौने-कौने से महिलाओं ने भाग लिया, जिसमें करीब 47 सद्स्य शामिल थीं और सभी ने इस वेबिनार में अपने विचार व्यक्त किए. साथ ही कृषि जागरण में काम करने वाले कर्मचारियों सहित बसकन्या जिराती, योगिता खांडेभरड़, समुजाबेन पटेल, नोबानिता दास, स्वप्नर जेम्स, सुमन शर्मा और विपोचलू ने अपने विचार व्यक्त किए.

इस वेबिनार में ऐसी महिलाएं भी शामिल हुईं, जिन्होंने अकेले अपने दम पर एक नई पहचान बनाई और आज के समय में वह कई महिलाओं को रोजगार देकर अन्य उनके हक दिलवा रही हैं. इनके इन कार्यों से प्रोत्साहित होकर देश की अन्य महिलाओं को भी आगे बढ़ने में मदद मिलेगी और नई-नई तकनीकों का उपयोग कर अपने जीवन को सुधार सके. कृषि जागरण के इस वेबिनार में महिलाओं किसानों के द्वारा किए गए कामों की सराहना की गई.

इस वेबिनार में राजस्थान के कोटा के ग्राम बलिता की रहने वाली सुमन शर्मा ने अपने विचारों को वक्ता करते हुए कहा कि वह एक एक निम्न-मध्यम वर्गीय किसान परिवार से है. वह हमेशा आत्मनिर्भर बनने के लिए आय अर्जित करने का एक बेहतर तरीका खोजती रहती थी. साल 2014 में एक छोटी सोया प्रसंस्करण इकाई की स्थापना के साथ उसका सपना सच हो गया. सुमन शर्मा आगे बताती हैं कि जब उन्होंने सोयाबीन प्रसंस्करण के उद्यम की शुरुआत 2 लाख रुपए के निवेश के साथ की थी. इसकी शुरूआत उसने अपने घर के छत के ऊपर के क्षेत्र को 20'x 15 'के हॉल में प्रसंस्करण मशीनरी और कार्य स्थान को स्थापित किया.

इस वेबिनार में राजस्थान के कोटा के ग्राम बलिता की रहने वाली सुमन शर्मा ने अपने विचारों को वक्ता करते हुए कहा कि वह एक एक निम्न-मध्यम वर्गीय किसान परिवार से है. वह हमेशा आत्मनिर्भर बनने के लिए आय अर्जित करने का एक बेहतर तरीका खोजती रहती थी. साल 2014 में एक छोटी सोया प्रसंस्करण इकाई की स्थापना के साथ उसका सपना सच हो गया. सुमन शर्मा आगे बताती हैं कि जब उन्होंने सोयाबीन प्रसंस्करण के उद्यम की शुरुआत 2 लाख रुपए के निवेश के साथ की थी. इसकी शुरूआत उसने अपने घर के छत के ऊपर के क्षेत्र को 20'x 15 'के हॉल में प्रसंस्करण मशीनरी और कार्य स्थान को स्थापित किया.

इस के बाद इस वेबिनार में मध्य प्रदेश की एक प्रगतिशील किसान महिला बासकन्या जिराती ने विचार व्यक्त किए. उन्होंने कहा कि महिलाएं अपने जीवन में कितनी बहुमुखी भूमिका निभाती हैं. इस पर प्रकार डालते हुए अपने विचारों को व्यक्त किया. बासकन्या का कहना है कि महिलाएं न केवल अपने परिवार की देखभाल करती हैं, बल्कि वे अपने पारिवारिक क्षेत्रों में भी महत्वपूर्ण योगदान देती हैं. उन्होंने आगे कहा कि महिलाओं को विज्ञान और खेल जैसे कई क्षेत्रों में पहचाना जाता है, लेकिन कृषि के क्षेत्र में उनके योगदान पर किसी का ध्यान नहीं जाता है इसलिए, उन्हें इस क्षेत्र में भी प्रोत्साहित करने के लिए और अधिक प्रयास किए जाने चाहिए.

केरल की प्रगतिशील किसान स्वप्ना जेम्स ने भी इस वेबिनार में अपने विचारों को व्यक्त करते हुए कहा कि वहकेरल के पलक्कड़ में रहने वाली एक अदम्य मेहनती महिला हैं. वह 19 एकड़ जमीन के क्षेत्र में खेती करते हैं. जिसमें आधे क्षेत्र में रबड़ की खेती की जाती है और शेष क्षेत्र में नारियल, सुपारी, कोको, जायफल, कॉफी, कटहल आदि के लिए आरक्षित है.

इसके बाद असम के जोरहाट जिले में रहने वाली नबनिता दास जो एक युवा, ऊर्जावान और गतिशील प्रगतिशील महिला किसान हैं. उन्होंने अपनी  हाई स्कूल लर्निंग सर्टिफिकेट परीक्षा उत्तीर्ण करने के बाद एक सहायक नर्स के रूप में प्रशिक्षण लिया. हालाँकि, एक किसान की बेटी होने के नाते; हमेशा से वह एक 'किसान' बनना चाहती थी. कुछ वर्षों के बाद उन्होंने जोरहाट के एक सरकारी अस्पताल से नर्सिंग पेशा छोड़कर खेती को अपना व्यवसाय चुना और साल 2010 से जैविक खेती करना शुरू किया. अब वह एक सफल किसान है और साथ ही "नबनिता ऑर्गेनिक फार्म" की मालिक भी हैं. इस तरह वेबिनार में शामिल तमाम महिला किसानों ने अपने विचार व्यक्त किए.

English Summary: Krishi Jagran explained the role of women in the agri sector through webinar
Published on: 08 March 2022, 04:22 PM IST

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