हिंदुस्तान की सियासत में हमेशा से किसानों का किरदार अहम रहा है. कोई भी सियासी सूरमा अन्नदाताओं को खफा करके अपनी सियासी क्षति नहीं करवाना चाहता है. इस दिशा में हर सरकार कोशिश करती हुई आई है. अब इस दिशा में सरकार एक ऐसा ही कदम उठा रही है, जिससे कि किसानों का मन मुग्ध रहे. अब इस कड़ी में सरकार ने किसानों को मुफ्त में बिजली देने का प्लान बनाया है.
सरकार ने अपनी तरफ से एक नियम निर्धारित किया है, जिसके तहत किसानों को मुफ्त में बिजली देने का प्रावधान किया गया है. हालांकि, ऐसा पहली बार नहीं है कि जब किसानों को मुफ्त में बिजली देने की बात कही गई हो, बल्कि इससे पहले भी सरकार इस तरह की बातें कह चुकी है, मगर अफसोस आर्थिक तंगहाली को मद्देनजर रखते हुए सरकारें हमेशा अपने कदम पीछे खींचना ही मुनासिब समझती हुई आई है. खैर, चलिए इस रिपोर्ट हम आपको सरकार के हालिया प्लान के बारे में बताने जा रहे हैं.
क्या कहते हैं विशेषज्ञ
इस संदर्भ में विशेषज्ञ जानकारी देते हुए कहते हैं कि 2003 की धारा 65 के अनुसार निर्धारित किए गए टैरिफ में किसी भी उपभोक्ता या किसान को कोई सब्सिडी दे सकता है. कुछ सरकारें किसानों को सब्सिडी प्रदान करती हैं.
लेकिन, अब हो रहा है विरोध
मगर, कल तक जिस अधिनियम के तहत किसानों को मुफ्त में बिजली देने का प्रावधान बना हुआ था. अब उसी प्रावधान का विरोध अपने चरम पर पहुंच चुका है. बता दें कि बिजली संशोधन विधेयक 2020 का मसौदा तैयार कर लिया गया है. इस मसौदे के तहत किसानों को कृषि कार्य के लिए असीमित बिजली देने के प्रावधान पर रोक लगा दी गई, लेकिन हां...इस मसौदे के तहत किसानों को बेशक असीमित बिजली देने पर रोक लगा दी गई हो, मगर राज्य सरकारों की तरफ से सब्सिडी देने का प्रावधान किया गया है.
यह प्रावधान इसलिए किया गया है, ताकि किसानों के ऊपर पड़ने वाले आर्थिक बोझ को कम किया जा सके, मगर किसानों को सरकार का यह प्रस्ताव रास नहीं आ रहा है, लिहाजा वे इसका लगातार विरोध कर रहे है. खैर, अब इस पर सरकार की क्या प्रतिक्रिया रहती है. यह तो फिलहाल आने वाला वक्त ही बताएगा.