हमारे देसी आलू (Desi Potato) का स्वाद विदेशियों को किस कदर भा रहा है इसका अंदाज़ा आप इस बात से लगा सकते हैं कि देसी आलू का निर्यात 5 गुना तक बढ़ गया है. एक तरफ़ जहां आलू की बढ़ती मांग किसानों की ख़ुशी का सबब बन रही है वहीं दूसरी ओर अचानक बदलते मौसम से इस खेती में उन्हें नुक़सान भी उठाना पड़ता है. यही वजह है कि कृषि विशेषज्ञ (Agri Expert) किसानों को मॉडर्न यानि आधुनिक तक़नीकों को अपनाकर आलू की खेती (Potato Farming) की सलाह देते हैं.
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक़ हरियाणा में शामगढ़ आलू प्रौद्योगिकी केंद्र में राज्य बागवानी विभाग की ओर से आयोजित किए गए दो दिन के द्वितीय “आलू कॉनक्लेव-2023 (Potato Conclave-2023)” में किसानों को आलू की खेती की उन्नत तक़नीकों के बारे में जानकारी दी गई जिनसे आलू की खेती की लागत आधी कर के मुनाफ़ा दो गुना किया जा सकता है.
मॉडर्न टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल कर बचाएं पैसा, बढ़ाएं उत्पादन
आलू की खेती पर आयोजित इस विशेष कॉनक्लेव में किसानों को आज के आधुनिक समय में ड्रोन के ज़रिये उर्वरक व कीटनाशक छिड़काव का महत्व बताया गया. कॉनक्लेव में शामिल विशेषज्ञों ने किसानों को बताया कि कैसे ड्रोन के माध्यम से छिड़काव करने पर न सिर्फ़ वो समय की बचत कर सकते हैं बल्कि इससे खेती की लागत में भी कमी आती है. किसानों को एयरोपॉनिक्स टेक्नोलॉजी के बारे में समझाते हुए बताया गया कि कैसे बिना मिट्टी और कम पानी में किसान आलू की खेती कर बढ़िया उत्पादन पा सकते हैं.
किसानों को आलू कॉनक्लेव- 2023 में एयरोपॉनिक्स विधि के बारे में विस्तार से बताते हुए कहा गया कि, इस तक़नीक में पहले नर्सरी में अलग से पौधों को तैयार किया जाता है. नर्सरी में तैयार पौधों की विशेष एयरोपॉनिक्स यूनिट में बुआई की जाती है.
एयरोपॉनिक्स खेती करने का आधुनिक तरीक़ा है. यह तक़नीक सब्ज़ी उत्पादन के लिए बढ़िया मानी जाती है. एयरोपॉनिक्स टेक्नोलॉजी से आलू की खेती करने के लिए एयरोपॉनिक्स यूनिट को भूमि की सतह से कुछ इंच की ऊंचाई पर बनाया जाता है. इसमें पौधों को छोटे-छोटे डिब्बों में रखकर ज़मीन की सतह से कुछ ऊंचाई पर लटका दिया जाता है फिर पौधों में खाद, पानी और ज़रूरी पोषक तत्व डाला जाता है. इस तक़नीक में रोपाई से पहले विशेषज्ञों द्वारा सुझाए रसायनों से पौधों की जड़ों को उपचारित किया जाता है, इससे बुआई के बाद रोग का ख़तरा नहीं रहता है. इस तक़नीक की ख़ास बात यह है कि पारम्परिक आलू की खेती के मुक़ाबले आलू समय से पहले तैयार हो जाते हैं और उनकी गुणवत्ता भी अच्छी होती है.
अगर आप एयरोपॉनिक्स तक़नीक के बारे में विस्तार से जानना चाहते हैं तो https://hindi.krishijagran.com/farm-activities/aeroponic-potato-farming-technique/ करें.
प्रगतिशील किसानों का हुआ सम्मान
शामगढ़ आलू प्रौद्योगिकी केंद्र में आयोजित आलू कॉनक्लेव में आलू की खेती में शानदार प्रदर्शन करने वाले किसानों को सम्मानित किया गया. आलू बीज उत्पादक किसानों को आलू रत्न अवॉर्ड से नवाज़ा गया. कॉनक्लेव में कई ज़िलों के कृषकों ने भाग लिया था. द्वितीय आलू कॉनक्लेव- 2023 में दिल्ली, यूपी, हरियाणा, राजस्थान समेत कई प्रदेशों से आए कृषि विशेषज्ञों ने भाग लिया और आलू की खेती में नई तक़नीकों के प्रयोग के बारे में जागरुक किया जिससे किसान कम लागत, कम पानी और आधुनिक तरीक़ों को अपनाकर आलू की फ़सल से बढ़िया उत्पादन ले सकें.
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अगर आप भी कम संसाधनों में आलू की अच्छी फ़सल चाहते हैं तो एयरोपॉनिक्स टेक्नोलॉजी आपके लिए अच्छा विकल्प हो सकता है.
उम्मीद है आलू की खेती को लेकर हमारी ये जानकरी आपको अच्छी लगी होगी. देश और दुनिया की महत्वपूर्ण ख़बरों के लिए जुड़े रहिए कृषि जागरण के साथ.