जूट (Jute) एक महत्वपूर्ण रेशे वाली फसल है. देश में कपास के बाद रेशे वाली फसलों में जूट की खेती (Jute Ki Kheti) दूसरे स्थान पर की आती है. इसकी खेती कर किसान काफी अच्छा मुनाफा भी कमा रहे हैं. किसानों को इसकी खेती से और ज्यादा लाभ हो, इसके लिए केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक भी की गई. इस बैठक में सरकार द्वारा किसानों के लिए एक बड़ फैसला लिया गया है.
दरअसल, सरकार की तरफ से कहा गया है कि अनाज और चीनी की पैकिंग के लिए जूट की बोरियों का इस्तेमाल करना अनिवार्य होगा. सरकार का मानना है कि इस फैसले से जूट की खेती करने वाले किसानों और इससे संबंधित श्रमिकों को अच्छा लाभ होगा. इसके साथ ही जूट की बोरियों की सप्लाई भी किसानों की तरफ से की जाएगी.
जूट की बोरियों का इस्तेमाल करना जरूरी (It is necessary to use jute sacks)
आपको बता दें कि जब से प्लास्टिक बैग की डिमांड बढ़ी है, तब जूट का प्रयोग कम हो गया था. इस वजह से जूट की खेती करने वाले किसानों की आजीविका पर काफी बुरा प्रभाव पड़ा. किसानों की इस मुश्किल का समाधान करने के लिए केंद्र सरकार ने इसका निस्तारण करने की ठान ली. इसके बाद फैसला लिया गया कि अनाज की पैकिंग के लिए जूट की बोरियों का ही इस्तेमाल किया जाएगा.
इतना ही नहीं, पैकिंग में किसी और चीज का इस्तेमाल करने पर पूरी तरह से पाबंदी की जाएगी. इसके साथ ही चीनी की पैकिंग के लिए 20 प्रतिशत जूट की बोरियां इस्तेमाल की जाएंगी.
उत्तर प्रदेश के किसानों को भी होगा लाभ (Farmers of Uttar Pradesh will also benefit)
उत्तर प्रदेश के कुछ तराई इलाके, बाकी बिहार, बंगाल, उड़ीसा और असम मिलाकर करीब 16 लाख एकड़ जमीन में जूट पैदा किया जाता है. बता दें कि करीब 38 लाख गांठ (एक गाँठ का भार 400 पाउंड) जूट पैदा होता है. यानि सरकार के इस फैसले से उत्तर प्रदेश के हजारों किसानों को लाभ होगा.
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भारत बनेगा आत्मनिर्भर (India will become self-reliant)
मोदी सरकार का यह फैसला भारत को आत्मनिर्भर बनाने में बहुत मदद करेगा, क्योंकि देश में ही जूट पैकेजिंग का कच्चा माल तैयार होगा.
खास बात यह है कि किसानों और व्यापारियों को ऑनलाइन बाजार से जोड़ने के लिए जीईएम पोर्टल (GeM Portal) (Government e-Marketplace Portal) भी लॉन्च किया गया है. इस पोर्टल पर ही जूट की बोरियों को बेचा जा सकेगा.