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Updated on: 29 May, 2020 12:38 PM IST

आज किसान और मजदूरों को उनका हक दिलाने वाले मसीहा चौधरी चरण सिंह की 33वीं पुण्यतिथि है. उनका हर काम सुनहरा इतिहास बना गया है. उन्हें बिछड़े 33 साल हो गए हैं, लेकिन उनका हर कार्य आज भी लोगों के दिल में बसता है. किसानों के मसीहा चौधरी चरण सिंह गांव से निकलकर प्रधानमंत्री की कुर्सी तक पहुंचे थे. उन्होंने राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर कई उपलब्धियां को प्राप्त किया था. यहां तक की उन्होंने देश की आजादी के लिए अपनी जान तक की बाजी तक लगा दी थी. इस वक्त कोरोना और लॉकडाउन में गरीबों और मजदूरों का सहारा बनी अंत्योदय योजना की नींव भी चौधरी चरण ने ही रखी थी.  

पूर्व प्रधानमंत्री स्व. चौधरी चरण सिंह का जन्म 23 दिसंबर 1902 को हापुड़ की बाबूगढ़ छावनी के पास नूरपुर गांव में हुआ था. उनके पिता मीर सिंह एक बेहद साधारण किसान थे, उनकी माता नेत्रकौर धर्म परायण महिला थीं. उन्होंने साल 1926 में मेरठ से कानून डिग्री ली और गाजियाबाद से वकालत की शुरुआत की. वह फिरंगियों से देश को आजाद कराने की लड़ाई में जेल भी गए.

चौधरी चरण सिंह को 3 अप्रैल साल 1967 और 17 फरवरी 1970 में यूपी का मुख्यमंत्री भी चुना गया था. इसके बाद साल 1977-78 में उप प्रधानमंत्री और गृह मंत्री के पद पर काम किया. फिर प्रधानमंत्री की कुर्सी पर बैठकर कर किसान और मजदूरों के मसीहा बन गई. ऐसे महान शख्सियत का निधन 29 मई साल 1987 में हो गया.

किसानों का मानना है कि चौधरी चरण सिंह के ऊपर आंख बंद करके भरोसा किया जा सकता था. उन्होंने कभी किसान और मजदूरों को निराश नहीं किया. वह हमेशा किसान हितों के लिए बड़े कदम उठाते थे. उनके जैसा अर्थशास्त्र का जानकार भी नहीं है. अगर उनकी राजनीति की बात की जाए, तो वह हमेशा गरीब आदमी को ध्यान में राजनीति करते थे.

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English Summary: It is the 33rd death anniversary of Chaudhary Charan Singh, the messiah of farmers and laborers
Published on: 29 May 2020, 12:37 PM IST

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