देशभर में बिजली की खपत कम हो इसके लिए सरकार कई सारी योजनाएं ला रही है. इसी कड़ी में हरियाणा (Haryana) में एक प्रोजेक्ट शुरू किया गया है, जिसका सीधा फायदा किसानों (Farmers) को पहुंचेगा. अब हरियाणा के गावों में पायलट प्रोजेक्ट (Pilot Project) के तहत तालाबों के किनारे सोलर सिस्टम (Solar System) लगाने की कवायद तेज हो गई है.
इन सोलर सिस्टम से पाइपलाइन (Pipelines) के जरिए आस-पास के खेतों में पानी पहुंचाया जाएगा. इससे किसान आसानी से बिना बिजली खर्च किए अपने खेतों में लगी फसलों की सिंचाई कर सकेंगे. जहां एक ओर इससे बिजली(Electricity) की खपत कम होगी जिससे पर्यावरण सुरक्षित रहेगा. वहीं दूसरी ओर किसानों को फसलों की सिंचाई के लिए बिजली पर निर्भर नहीं रहना पड़ेगा.
तालाबों के किनारे सोलर सिस्टम लगाने की कवायद तेज (Efforts to install solar system on the banks of the pond intensified)
दरअसल, हरियाणा सरस्वती धरोहर विकास बोर्ड(Haryana Sarasvati Heritage Development Board) के उपाध्यक्ष धुमन सिंह किरमच (Dhuman Singh Kirmach) ने बताया कि राज्य में तालाब के किनारे सोलर सिस्टम लगाएं जाएंगे और इन सोलर सिस्टम से पंप चलाकर तालाबों के आस-पास खेतों की सिंचाई का काम किया जाएगा. इस योजना के तहत पायलट प्रोजेक्ट गांव किरमच में लगाया गया है. इस काम को हरियाणा तालाब प्राधिकरण के साथ मिल कर किया जा रहा है और ये प्रोजेक्ट काफी सफल हो रहा है.
बता दें कि सरस्वती धरोहर विकास बोर्ड के उपाध्यक्ष धुमन सिंह किरमच ने तालाब प्राधिकरण के उपनिदेशक एसपी शर्मा सहित पंचायती राज संस्थाओं के अधिकारियों ने गांव किरमच का तालाब निरीक्षण करके सोलर सिस्टम का निरीक्षण किया. इस दौरान धुमन सिंह किरमच ने कहा कि गांव किरमच में तालाब के किनारे पायलट प्रोजेक्ट के तहत 100 एकड़ जमीन की सिंचाई करने के लिए सोलर सिस्टम लगाया गया है. किरमच ने आगे कहा कि अब इस सोलर सिस्टम को अपग्रेड करके 200 एकड़ की सिंचाई करने का प्रयास किया जाएगा.
गांवों में पानी के ओवर फ्लो की समस्या से मिलेगा छुटकारा (Will get rid of the problem of water overflow in villages)
आपको बता दें कि प्रदेश के मुख्यमंत्री मनोहर लाल की तरफ से इस प्रोजेक्ट को पूरे प्रदेश भर में शुरू किया जाएगा. इसके तहत सोलर सिस्टम को सभी तालाबों के किनारे लगाया जाएगा, ताकि सोलर सिस्टम से पंप चलाकर सिंचाई के लिए पानी का इस्तेमाल किया जा सके. इससे गांवों में पानी के ओवर फ्लो की समस्या से भी छुटकारा मिल पाएगा. साथ ही ये किसानों के लिए एक फायदे का सौंदा होगा और पर्यावरण के लिहाजें से भी अच्छा साबित होगा.