किसानों को उनकी फसल से सबसे ज्यादा नुकसान फसलों पर लगने वाले रोग और कीट (Diseases And Pests) से मिलता है. तापमान के गिरने से सरसों समेत कई फसलों की खेती में काफी नुकसान हो रहा है जिससे किसानों की मुश्किल बड़ती जा रही है और कई हिस्सों में सर्दी तथा ठंडी हवाओं के चलते आलू, चना, सरसों आदि फसलों के नुकसान होने के साथ ही उन पर रोग का खतरा बड़ता जा रहा है.
सरसों की फसल (Crop Of Mustard )की बात करें तो इन दिनों गिरते तापमान की वजह से सरसों में मरगोजा नामक रोग का खतरा दिखाई देने लगा है . बता यह रोग पौधे के विकास को रोक देता है एवं फसल को पूर्णरूप से बर्बाद कर देता है. ऐसे में छत्तीसगढ़ के बेमेतरा जिले नवागढ़ के युवा किसान किशोर राजपूत (Kisan Kishore Rajput) ने सरसों फसल में लगने वाले इस रोग के निवारण करने के लिए खड़ा नमक का इस्तेमाल कर एक सफल प्रयोग किया है.
दरअसल, पिछले साल सरसों की फसल में यह रोग लगा था तब इस समस्या से निजात पाने के लिए नवागढ़ के नवागढ़ के युवा किसान किशोर राजपूत ने नमक के घोल का छिडकाव किया जिसमें उन्हें 70 प्रतिशत इस रोग से निजात मिला उसके बाद दूसरे सीजन में फिर इसी तरह के स्प्रे से 90 प्रतिशत मरगोजा रोग से निजत मिल गया. एक एकड़ में 250 ग्राम नमक लगता है जिसकी कीमत बाजार में 10 रुपये हैं. तो ऐसे में नामक का घोल फसल में लगने वाले रोग को नियंत्रित करने में काफी सहायक होगा.
नमक घोल इस प्रकार करें तैयार (Prepare Salt Solution Like This)
किशोर राजपूत द्वारा बताया गया है कि जब फसल में मित्र कीटो और रुखड़ी यानि मरगोजा नामक रोग दिखाई देने लगे तो ऐसे में खड़े नमक का घोल तैयार कर इसका छिड्काव करें. इसके लिए सरसों की बुवाई के 25 से 30 दिन बाद 250 ग्राम नमक को 120 लीटर पानी में घोल कर तैयार कर लें. इसके बाद छिड़काव करे. इसका दूसरा स्प्रे तब किया जाना चाहिए, जब सरसों की फसल 55 से 60 दिन की हो जाए. याद रखें कि जब दूसरा छिड़काव करें, तो इसकी मात्रा बढ़ा दें. यानि तब 500 ग्राम नमक को 150 लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करें. किशोर राजपूत का दावा है कि लगातार दो सीजन में स्प्रे करने से मरगोजा की समस्या से 90 प्रतिशत तक खत्म हो जाएगी.
नामक छिड़काव करते वक्त इन बातों का रखे ध्यान (Keep These Things In Mind While Spraying)
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नमक का छिड़काव लेटफैन नोजल से किया जाना चाहिए.
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छिड़काव के समय मौसम बिल्कुल साफ होना चाहिए.
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खेत में नमी होने के साथ – साथ पौधे सूखे होने चाहिए.