नीम लेपित यूरिया के फायदे को ध्यान में रखते हुए कृषि मंत्रालय ने वर्ष 2004 में इसे पीसीओ में शामिल किया था. किसानों में इसके प्रयोग के बाद इसके 'एन', 'पी' एवं 'के' प्रकार के उपयोग में अच्छी वृद्धि हुई है. नीम लेपित यूरिया के विनिर्माताओं को यूरिया को लेपित करने की लागत की वसूली के लिए रसायन एवं उर्वरक मंत्रालय ने वर्ष 2008 से अनुमति दी. वहीं इसके बाद नीम लेपित यूरिया के उत्पादन में वृद्धि दर दर्ज की गई.
भारत सरकार की अधिसूचना के अनुसार कंपनी अपनी यूरिया की कुल स्थापित उत्पादन क्षमता का अधिकतम 35 प्रतिशत नीम लेपित यूरिया उत्पादित एवं विक्रय कर सकती हैं. कृषि वैज्ञानिकों के लिए न्यूट्रेंट्स का सफलतापूर्वक उपयोग कर कृषि उत्पादन को बढ़ाना एक महत्वपूर्ण कार्य है. वहीं आर्थिक स्तर पर अन्य दूसरे माइक्रोन्यूट्रेंट के साथ नाइट्रोजनों,फास्फोरस, पोटेशियम का संतुलित उपयोग करने से उपज की मात्रा अधिक हुई है. अनय न्यूट्रेंट्स के मुकाबले नाइट्रोजन पर अधिक ध्यान केंद्रित हुआ है. नाइट्रोजन अन्य प्रकार के उर्वरकों के अनुसार आसानी से परिवर्तित हो जाता है.
नाइट्रेट के रूप में नाइट्रोजन विशेषकर सिंचाई की स्थिति में अधिक गतिशील होने के कारण टपकने की प्रक्रिया में भी घुलमिल जाता है. पूरे विश्व में 50 प्रतिशत नाइट्रोजन की पूर्ति यूरिया के माध्यम से की जाती है और भारत में भी स्थिति कुछ अलग नहीं है. नाइट्रोजन से हो रहे हानिकारक परिणाम को कम रखने के लिए कृषि वैज्ञानिकों ने कई अहम कृषि संबंधई सिफारिशें भी हैं. जिसमें से कुछ प्रचलित सिफारिशें छिद्र/ड्रिल देखकर डीप प्लेसमेंट, वेंड प्लेसमेंट एवं स्पिलिट एप्लीकेशन हैं. ये सभी पद्धतियां अवशोषण के स्थान पर आवश्यकता की ठीक मात्रा उपलब्ध कराती हैं.
कृषि संबंधी प्रेक्टिस के अलावा यूएसए में विभिन्न प्रकार के नाइट्रीफिकेशन इनहीबिटर्स जैसे कि नाइट्राप्रिन(एन सर्व) एवं टेराजोल (ड्वेट) विकसित किए गए थे. यह नाइट्रीफइकेशन एजेंटस बहुत अधिक खर्चिले होते हैं और इससे भारत में फसल उत्पादन की लागत को और बढ़ाते हैं.
नेशनल फर्टिलाइजर्स लिमिटेड ने वर्ष 2002 में नीम लेपित यूरिया उत्पादन की तकनीक का पानीपत इकाई में मानकीकरण किया था तब से अब तक इसको सार्थक बनाने के लिए कई प्रयास किए गए हैं. वहीं एनएफएल भारत की पहली है जिसे भारत सरकार के द्वारा नीम लेपित यूरिया उत्पादित कर विपणन करने की अनुमति मिली. वर्तमान में कंपनी की अपनी तीनों इकाइयों नामत: बठिण्डा, पानीपत एवं विजयपुर में नीम लेपित यूरिया के उत्पादन की सुविध है . इन इकाईयों में उत्पादित नीम लेपित यूरिया उन 14 राज्यों में बेचा जाता है जहां पर कि कंपनी यूरिया का विक्रय करती है .
नीम लेपित यूरिया के लाभ (Benefits of Neem Coated Urea)
नीम लेपित यूरिया से सिर्फ उपज में ही वृद्धि नहीं होती है बल्कि धान एवं गेहूं की फसलों को इसके उपयोग से कई अन्य लाभ भी होते हैं. कई राजयों के किसानों इसके प्रयोग के बाद पाया की उनकी कई प्रकार की समस्याओं का निस्तारन हुआ है.