केन्द्र सरकार की बहुचर्चित योजना प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना में मध्य प्रदेश में बड़ा फर्जीवाड़ा उजागर हुआ है. प्रदेश के कई जिलों में यह फर्जीवाड़ा हुआ जिसमें अपात्रों ने जाली दस्तावेज बनाकर इस योजना का लाभ ले लिया. फर्जीवाड़ा करने वालों से अब यह राशि वसूली जा रही है.
25 लाख की वसूली
प्रदेश के खंडवा जिले में कुछ लोगों ने खुद को किसान बताकर पीएम सम्मान निधि की 6-6 हजार रूपए की राशि का लाभ ले लिया. यहां करीब 23 सौ लोगों के ऐसे पंजीयन सामने आए जो जिन्होंने अपात्र होने के बाद भी योजना का लाभ उठा लिया है. इसमें कई शासकीय कर्मचारी और आयकरदाता भी शामिल है. जब अफसरों को इस बात की भनक लगी तो हंगामा हो गया. बहरहाल, फर्जीवाड़े को अंजाम देने वाले लोगों को तहसीलदार ने नोटिस जारी करके राशि वसूली करने की कवायद जारी है. अभी तक अपात्रों से 25 लाख रुपए की राशि वसूल की जा चुकी है.
रतलाम जिले में 15 हजार से अधिक
इसी तरह प्रदेश के रतलाम जिले में ऐसे अपात्रों की संख्या बेहद ज्यादा है. यहां पीएम किसान सम्मान निधि योजना का लाभ लेने वाले अपात्रों की संख्या 15,242 है. इन सभी को किसान अपात्र घोषित किया जा चुका है. इसमें जिले के सरकारी कर्मचारियों के साथ इनकम टैक्स भरने वाले भी हैं.
झाबुआ में 30 हजार
वहीं राज्य के झाबुआ जिले में 30 हजार किसान ऐसे है जो इस योजना के लिए अमान्य पाए गए है. हालांकि इसमें वे किसान भी है जिन्होंने डुप्लीकेट आधार कार्ड जमा कर दिए. भू-अभिलेख के अधीक्षक सुनील कुमार रहाणे का कहना है जिले में इस योजना का लाभ लेने वाले किसानों की सख्या 1 लाख 33 हजार है लेकिन केवल 1 लाख 3 हजार लोगों के खाते में ही यह राशि पहुंच पाई है. बहरहाल, इन 30 हजार किसानों के खाते की जांच की जा रही है.
बड़वानी में 889 अपात्र
वहीं बड़वानी जिले में योजना का लाभ लेने वाले 889 अपात्र किसान पाए गए है. यह सभी टैक्स भरने वाले लोग है जो जिनके खातों में योजना का पैसा आ गया था. भू-अभिलेख अधीक्षक मुकेश मालवीय का कहना है कि तहसीलदार के जरिए सबको राषि वसूली जाने का नोटिस जारी कर दिया गया है.
खरगोन में 86 किसान
इसी तरह खरगोन जिले में 86 अपात्र किसान मिले हैं जिन्होंने योजना का लाभ उठा लिया है. यह जिले के नौ गांवों के लोग है. वहीं अन्य गावों में ऐसे अपात्रों की तलाश जारी है. इन सभी अपात्रों से लगभग 4 लाख 44 हजार रूपए की वसूली की जाएगी. इधर, कृषि विभाग के संयुक्त संचालक आलोक मीणा का कहना है कि भू-अभिलेख विभाग की मदद से हम अपात्रों से यह राशि वसूल रहे हैं.