जिस तरह किसी शरीर के सुचारू संचालन के लिए सभी अंगों का दुरूस्त रहना अपिहार्य है. ठीक उसी प्रकार से इस संसार के सुचारू संचालन के लिए भी सभी देशों के बीच पारस्परिक शांति, सामंजस्य व शांति होना अनिवार्य है. अगर किसी एक देश को कुछ हुआ, तो बाकि देशों को भी इसका नुकसान झेलना पड़ता है. कुछ ऐसा ही आज कल अफगानिस्तान के साथ भी हो रहा है.
सर्वविदित है कि तालिबान ने अफगानिस्तान पर कब्जा कर लिया है. वहां अफरातफरी का माहौल है. तालिबानी अब खुद को अफगानिस्तान का सर्वेसर्वा घोषित कर चुका है. इस देश का भविष्य अंधकारमय है. सभी लोग वहां से बाहर निकलने की जद्दोजहद में मसरूफ हैं, लेकिन अफगानिस्तान में वर्तमान में जो कुछ भी हो रहा है, उसका असर भारत समेत अन्य देशों की अर्थव्यवस्था, कृषि, उद्योग समेत कई अन्य चीजों पर पड़ रहा है. कुछ ऐसा ही असर भारतीय कृषि व अर्थव्यवस्था पर भी पड़ रहा है. आइए, इस लेख में इस विषय विस्तार से प्रकाश डालते हैं.
अफगानिस्तान को नहीं होगी चीनी निर्यात
बता दें कि अफगानिस्तान में ताबिलान के कब्जा जमाने के बाद भारत ने वहां चीनी का निर्यात करना रोक दिया है. बहुधा भारत हर वर्ष अफगानिस्तान को 10 लाख टन चीनी निर्यात करता है, लेकिन अफगानिस्तान के राजनीतिक संकट को मद्देनजर रखते हुए भारत ने वहां चीनी निर्यात करने के फैसले को टाल दिया है.
अब ऐसे में आप सोच रहे होंगे कि इस फैसले से भारत को आर्थिक नुकसान होगा, लेकिन आपकी जानकारी के लिए बता दें कि ऐसा कुछ नहीं है, बल्कि विश्व बाजार में भारतीय चीनी की मांग अपने चरम पर है. बेशक, अफगानिस्तान के दरवाजे बंद हो चुके हो, लेकिन कई ऐसे दरवाजे खुले हैं, जहां भारत चीनी निर्यात कर सकता है. अफगानिस्तान के इतर भारत ब्राजील निर्यात कर सकता है.
वहीं, इस संदर्भ में विस्तृत जानकारी देते हुए नेशनल फेडरेशन ऑफ कॉआपरेटिव शूगर फ्रैक्ट्रिज के प्रबंधक निदेशक प्रकाश नाइकावरे ने कहा कि विगत वर्ष भारत ने 7 लाख टन चीनी अफगानिस्तान को निर्यात किया था. वहीं, इस वर्ष जब भारत में भारी मात्रा में गन्ने का उत्पादन हुआ है, तो इस वर्ष ऐसी संभावना जताई जा रही थी कि अफगानिस्तान को इस वर्ष भी भारी मात्रा में चीनी का निर्यात किया जाएगा, लेकिन अफसोस इससे पहले यह सब कुछ हो पाता कि तालिबानियों ने पूरा खेल बिगाड़ दिया.
क्या कहते हैं चीनी उद्योग
इसके साथ ही चीनी उद्योग से जुड़े लोगों का कहना है कि जब से तालिबानियों का कब्जा अफगानिस्तान में हुआ है, तब से भारत के चीनी निर्यातक सतर्क हो चुके हैं. वहीं, जब से भारतीय दूतावास का संचालन बंद हुआ है, तब से चीनी निर्यातकों ने चीनी का निर्यात काफी मात्रा में बंद कर दिया है. खैर, अब ऐसे में चीनी निर्यातकों पर इसका आगे चलकर क्या कुछ असर पड़ता है. यह तो फिलहाल आने वाला वक्त ही बताएगा. तब तक के लिए आप कृषि जगत से जुड़ी हर बड़ी खबर से रूबरू होने के लिए पढ़ते रहिए....कृषि जागरण.कॉम