भारत-नेपाल सीमा पर एक बार फिर सब्सिडी वाली खाद की तस्करी जोर पकड़ने लगी है. इससे एक तरफ नेपाल में तस्करों की चांदी हो रही है, वहीं दूसरी ओर भारतीय किसान खाद के लिए भटकने को मजबूर हैं. जानकारी के मुताबिक, भारत सरकार द्वारा सब्सिडी के तहत किसानों को सस्ती दर पर यूरिया उपलब्ध कराई जाती है, लेकिन इसका लाभ अब तस्कर उठा रहे हैं.
तस्करी का खेल सुबह 4 बजे से शुरू
सीमा से 10-12 किलोमीटर अंदर बसे रमगढवा, करमहवा, दुर्गापुर, खोरिया बाजार और अड्डा बाजार जैसे इलाकों से तस्करी का यह खेल सुबह 4 बजे से ही शुरू हो जाता है. तस्कर बाइक और साइकिल पर 4-5 बोरी यूरिया लादकर नेपाल की ओर रवाना हो जाते हैं. खास बात यह है कि तस्करी मुख्य सड़कों से नहीं, बल्कि गांवों के पास मौजूद पगडंडियों और सुनसान रास्तों से हो रही है.
इन रास्तों से हो रही है तस्करी
चंडीथान, मुडिला, बोगडी घाट, आराजी सरकार उर्फ बैरियहवा और सुंडी गांव के आसपास के इलाकों में पगडंडियों के सहारे यूरिया नेपाल भेजा जा रहा है. सीमावर्ती इलाकों में तस्करों ने पूरा नेटवर्क खड़ा कर दिया है.
यूरिया भारत में सस्ता, नेपाल में महंगा
भारत में सब्सिडी के बाद यूरिया की कीमत 260 रुपये प्रति बोरी है. तस्कर इसे स्थानीय दुकानदारों से 400 से 500 रुपये में खरीदते हैं और नेपाल में यही खाद करीब 1600 रुपये (2000 नेपाली रुपये) में बेचते हैं. मोटे मुनाफे के चलते तस्करी पर लगाम लगाना मुश्किल होता जा रहा है.
किसान हो रहे परेशान
तस्करी की वजह से भारतीय किसानों को समय पर खाद नहीं मिल पा रही है. ग्रामीण इलाकों में किसान घंटों दुकानों के बाहर लाइन लगाते हैं, लेकिन उन्हें खाद के खाली हाथ लौटना पड़ता है. इससे खेती प्रभावित हो रही है.
प्रशासन ने दिए सख्ती के संकेत
इस मामले में उपजिलाधिकारी नवीन प्रसाद ने कहा कि तस्करी पर रोक लगाने के लिए पुलिस, एसएसबी (सशस्त्र सीमा बल) और कस्टम विभाग के साथ मिलकर कार्रवाई की जाएगी. सीमा के पास मौजूद अवैध गोदामों की पहचान की जाएगी और वहां से तस्करी की गतिविधियों पर नजर रखी जाएगी. इसके साथ ही खाद बेचने वाले दुकानदारों की जांच की जा रही है. यदि किसी दुकानदार के खिलाफ नियमों के उल्लंघन या तस्करों को खाद बेचने के सबूत मिलते हैं, तो उसका लाइसेंस तुरंत रद्द कर दिया जाएगा.