पूरी दुनिया कोरोना के कहर से त्राहि-त्राहि कर रही है. आलम यह है कि कल तक लोगों की आमद से गुलजार रहने वाली गलियां आज एक बार फिर से खामोश हो चुकी हैं. कल तक खिलखिलाते चेहरे एक बार फिर उदास हो चुके हैं. वजह है, प्रतिदिन बढ़ता कोरोना का कहर. कोरोना का कहर अपने चरम पर पहुंचने पर आमादा है. आए दिन संक्रमितों की संख्या अपने पूर्ववर्ती रिकॉर्ड को ध्वस्त करने पर आमादा हो चुकी है. यकीनन, हालात बेहद संजीदा हैं. यह समय एहतियात बरतने का है. बता दें कि बीते गुरुवार को कोरोना के 3 लाख 30 हजार मामले सामने आए हैं, जिसे जानकर हर कोई हैरत में हैं. इससे पहले बुधवार को 3 लाख 15 हजार मामले सामने आए थे. वहीं, भारत में कोरोना के बढ़ते प्रकोप को ध्यान में रखते हुए चीन ने बड़ा ऑफर दिया है.
जी हां...यह वही चीन है, जिसके यहां से कोरोना का जन्म हुआ और आज पूरी दुनिया बर्बादी के कागार पर पहुंच चुकी है. यह वही चीन है, जहां से इस वायरस के पल्लवित होने से समस्त मानव समुदाय के सिर पर खतरा मंडरा रहा है. जिस चीन को अपने किए पर शर्मिंदा होना चाहिए आज वही चीन भारत को मदद की पेशकश कर रहा है. भला यह क्रांतिकारी परिवर्तन कहां से आया? कहीं इसमें भी ड्रैगन की कोई चाल तो नहीं? कल तक हर मसले को लेकर भारत को आड़े हाथों लेने वाला चीन भला आज हमारी मदद करने को क्यों बेकरार है? कभी सीमा पर तनाव तो कभी कूटनीतिक मोर्चे पर भारत को मझधार में खड़ा करने वाला ड्रैगन भला भारत की मदद करने के बारे में सोच भी कैसे सकता है? कुछ तो दाल में जरूर काला है.