केंद्रीय बजट (Union Budget-2021) का काउंटडाउन अब शुरू हो चुका है, क्योंकि आम बजट 2021 पेश होने में अब कुछ ही दिन शेष बचे हैं. एक फरवरी को ये बजट पेश हो सकता है जिसके निर्माण का कार्य (Budget making) तेज गति पर है. जहां एक तरफ देश की वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण अर्थशास्त्रियों, उद्योग जगत के प्रतिनिधियों, अलग-अलग क्षेत्रों के विशेषज्ञों से सुझाव ले रही हैं, तो वहीं दूसरी तरफ ये सवाल भी सामने खड़े हो रहे है कि आखिर इस बार सरकार के सामने बजट बनाते समय कौनसी चुनौतियां हैं.
बजट के लिए अर्थशास्त्री की राय
ऐसे में कोलंबिया विश्वविद्यालय (Columbia University) में अर्थशास्त्र के प्रोफेसर और जाने-माने अर्थशास्त्री (Economist) डा. अरविंद पनगढ़िया (Arvind Panagaria) ने भी कुछ सुझाव दिए हैं. उनका कहना है कि कोरोना महामारी के बाद अब देश की अर्थव्यवसथा के लिए अच्छे दिन आने शूरू हो सकते हैं. इसके पीछे की वजह ये है कि कोरोना के टीके (Corona vaccine) का परीक्षण हो चुका है. जब लोगों के बीच टीकाकरण का अभियान चलेगा तो अर्थव्यवस्था सामान्य स्थिति लौटेगी. अर्थव्यवस्था में रौनक लौटने के साथ-साथ लोगों का आवागमन बढ़ेगा, जिससे बाजार में मांग और आपूर्ति भी बढ़ेगी. इससे ये साफ हो जाता है कि आने वाले समय में औद्योग में तेजी देखने को मिल सकती है. इसलिए सरकार को इस बजट में कारोबार पर ध्यान देने के जरूरत है. ऐसे में सरकार को सुझाव है कि उसके पास जो कारोबारियों या इंडिविजुअल का पेंडिंग टैक्स रिफंड है, उसे जारी करना चाहिए. साथ ही सरकार वित्त वर्ष 2021-22 में राजकोषीय घाटे का स्तर पिछले साल की तुलना में ज्यादा रख सकती है. अगर सरकार राजकोषीय घाटा बढ़ा देती है तो उसके पास खर्च करने के लिए ज्यादा पैसे होंगे.
टेक्स की दरें घटाना जरूरी- अर्थशास्त्री
बजट 2021 में सरकार टेक्स की दरें कम कर सकती है. पहले भी सरकार ने इसी तरह का निर्णय लिया था. अर्थशास्त्री डा. अरविंद पनगढ़िया का कहना है कि सरकार को आगामी बजट के माध्यम से सामानों पर लगने वाले टेक्स का बोझ घटाना चाहिए. इस समय सभी सामानों पर टेक्स की औसत दर 14 फीसदी है, जिसे साल 2024 तक घटाकर 10 फीसदी तक लाना जरूरी है.
सरकारी बैंकों की स्थिति मजबूत करना जरूरी
बजट के लिए सुझाव देते हुए डा. अरविंद पनगढ़िया आगे कहते हैं कि कोरानो के बाद से कमजोर पड़ी कंपनियां शायद ही उभर पाएं. ऐसे में सरकार को एडवांस पब्लिक सेक्टर बैंक (PSU Bank) में उचित पूंजी का निवेश करना चाहिए. हालांकि बैंकों ने लोन लेने वालों को कुछ समय के लिए मूल और ब्याज के भुगतान से मुक्ति दी है. इतना ही नहीं, इन दिनों बैंको की हालत भी पतली है. गौरतलब है कि कमजोर पड़ी कंपनियों के डूबने के बाद बैंकों का एनपीए बढ़ेगा. इससे बैंकों के डूबने का भी खतरा बढ़ सकता है. इसलिए सरकारी बैंकों में पूंजी डालकर मजबूत स्थिति में लाने की जरूरत है.
इस बजट में क्या रहेंगी चुनौतियां?
अर्थव्यवस्था- सभी जानते हैं कि वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Nirmala Sitharaman) ऐसे समय में यह बजट पेश करेंगी, जब कोरोना महामारी की वजह से कई आर्थिक चुनौतियां सामने हैं. खबरों की माने तो RBI के अनुमानों के मुताबिक चालू वित्त वर्ष में देश की अर्थव्यवस्था में 7.5 फीसदी की गिरावट आ सकती है जबकि अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (International Monetary Fund, IMF) और World Bank का अनुमान है कि ये गिरावट 10.3 और 9.6 प्रतिशत रह सकती है.
प्रदर्शनकारी किसानों को कैसे शांत करेगी सरकार?
नए कृषि कानूनों (New Farm Laws) को लेकर किसानों का प्रदर्शन एक महीने से ज्यादा से लगातार जारी है. सरकार से कई दौर की बैठकों के बाद भी किसान मानने को तैयार नहीं है. उनकी मांग की इन तीनों कृषि कानूनों को वापस लिया जाए, लेकिन केंद्रीय कृषि मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर कृषि कानूनों को वापस लेने की बात को इनकार कर चुके हैं. ऐसे में अनुमान लगाया जा रहा है कि सरकार आगामी बजट में किसानों के लिए कुछ ऐसा तोड़ निकाल सकती है कि कृषि कानून भी वापस ना हो और किसान भी खुश हो जाए.
किसानों की आय दोगुना करने करने की चुनौती
गौरलतब है कि पिछले बजट में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने साल 2022 तक किसानों की आय को दोगुना करने का लक्ष्य रखा था. जिसको लेकर सरकार की तरफ से कई बड़ी योजनाओं और कार्य भी किए गए. लेकिन सोचने वाली बात ये है कि बजट 2021-22 में सरकार किसानों की आय दोगुना करने वाले लक्ष्य को लेकर क्या नई घोषणाएं कर सकती है.