एमएसपी (MSP) के जरिये किसानों को उनकी फसल से कीमत अच्छी प्राप्त होती है, लेकिन यहाँ मामला उल्टा नजर आ रहा है. जी हाँ आपको बता दें कि पर देश के कई राज्यों के किसान सरकारी केंद्रों पर अपनी फसल को नहीं बेच रहे हैं. आखिर फसलों को केन्द्रों पर एमएसपी (MSP) पर ना बेचने की वजह क्या हो सकती है?
दरअसल, केंद्र सरकार ने चना के लिए 6300 रुपए प्रति क्विंटल एमएसपी (MSP Rate Of Gram) तय की है, जो कि निजी बाज़ार में इसकी कीमत 6,400 और 6,600 रूपए प्रति क्विंटल के बीच है. खरीद केंद्रों पर फसल की बिक्री करने के लिए किसानों को केंद्र तक फसल को ले जाने में भी खर्च आता है. किसानों को पैकिंग और ट्रांसपोर्ट की व्यवस्था खुद करनी पड़ती है, वहीं व्यापारी किसान के पास से माल खुद ही ले जाते हैं.
ऐसे में किसानों अपनी उपज को बेचने के लिए स्थानीय व्यापारियों (Local Merchants) को अपनी फसल बेचना ज्यादा पसंद कर रहे हैं. तो इस वजह से ज्यादातर किसानों ने बेहतर कीमतों की उम्मीद में अपनी उपज को वापस लेने का फैसला किया है. हालांकि, पुराने स्टॉक की भारी मांग है और पिछले खरीफ सीजन के दौरान काटे गए लाल चने (Red Gram) की कीमत 7,000 रुपये प्रति क्विंटल तक जा सकती है.
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वर्ष 2021-22 खरीफ सीजन के दौरान जिले में 5.30 लाख हेक्टेयर के लक्षित क्षेत्र में लाल चना बोया गया था और बारिश के कारण उपज में प्रति एकड़ 4 क्विंटल तक की कमी आई है. दाम बढ़ने के पीछे यह भी एक वजह है. बढ़े हुए दाम से किसान नुकसान की भरपाई करने की कोशिश कर रहे हैं.