NSC की बड़ी पहल, किसान अब घर बैठे ऑनलाइन आर्डर कर किफायती कीमत पर खरीद सकते हैं बासमती धान के बीज बिना रसायनों के आम को पकाने का घरेलू उपाय, यहां जानें पूरा तरीका भीषण गर्मी और लू से पशुओं में हीट स्ट्रोक की समस्या, पशुपालन विभाग ने जारी की एडवाइजरी भारत का सबसे कम ईंधन खपत करने वाला ट्रैक्टर, 5 साल की वारंटी के साथ एक घंटे में 5 एकड़ खेत की सिंचाई करेगी यह मशीन, समय और लागत दोनों की होगी बचत Small Business Ideas: कम निवेश में शुरू करें ये 4 टॉप कृषि बिजनेस, हर महीने होगी अच्छी कमाई! ये हैं भारत के 5 सबसे सस्ते और मजबूत प्लाऊ (हल), जो एफिशिएंसी तरीके से मिट्टी बनाते हैं उपजाऊ Goat Farming: बकरी की टॉप 5 उन्नत नस्लें, जिनके पालन से होगा बंपर मुनाफा! Mushroom Farming: मशरूम की खेती में इन बातों का रखें ध्यान, 20 गुना तक बढ़ जाएगा प्रॉफिट! आम की फसल पर फल मक्खी कीट के प्रकोप का बढ़ा खतरा, जानें बचाव करने का सबसे सही तरीका
Updated on: 17 February, 2022 12:09 PM IST
MSP

एमएसपी (MSP)  के जरिये किसानों को उनकी फसल से कीमत अच्छी प्राप्त होती है, लेकिन यहाँ मामला उल्टा नजर आ रहा है. जी हाँ आपको बता दें कि पर देश के कई राज्यों के किसान सरकारी केंद्रों पर अपनी फसल को नहीं बेच रहे हैं. आखिर फसलों को केन्द्रों पर एमएसपी (MSP)  पर ना बेचने की वजह क्या हो सकती है?

दरअसल, केंद्र सरकार ने चना के लिए 6300 रुपए प्रति क्विंटल एमएसपी (MSP Rate Of Gram) तय की है, जो कि निजी बाज़ार में इसकी कीमत 6,400 और 6,600 रूपए प्रति क्विंटल के बीच है. खरीद केंद्रों पर फसल की बिक्री करने के लिए किसानों को केंद्र तक फसल को ले जाने में भी खर्च आता है. किसानों को पैकिंग और ट्रांसपोर्ट की व्यवस्था खुद करनी पड़ती है, वहीं व्यापारी किसान के पास से माल खुद ही ले जाते हैं.

ऐसे में किसानों अपनी उपज को बेचने के लिए स्थानीय व्यापारियों (Local Merchants) को अपनी फसल बेचना ज्यादा पसंद कर रहे हैं. तो इस वजह से ज्यादातर किसानों ने बेहतर कीमतों की उम्मीद में अपनी उपज को वापस लेने का फैसला किया है. हालांकि, पुराने स्टॉक की भारी मांग है और पिछले खरीफ सीजन के दौरान काटे गए लाल चने (Red Gram) की कीमत 7,000 रुपये प्रति क्विंटल तक जा सकती है.

इसे पढें - March से शुरू होगी MSP पर सरसों, चना और सूरजमुखी की खरीद

किसानों का कहना है कि वे अपनी फसल को निजी व्यापारियों को बेचना पसंद करते हैं, क्योंकि सरकारी खरीद केवल तभी होती है, जब गुणवत्ता मानकों से मेल खाती है और किसी को निश्चित एमएसपी मिलना सुनिश्चित नहीं होता है.

उन्हें लगता है कि मौजूदा कीमत के मुकाबले 200 से 300 रूपए प्रति क्विंटल कम मिलने के बावजूद इसे सीधे व्यापारियों को बेचना ज्यादा फायदेमंद है और सबसे महत्वपूर्ण बात, उन्हें उनका भुगतान तुरंत मिल जाएगा.

वर्ष 2021-22 खरीफ सीजन के दौरान जिले में 5.30 लाख हेक्टेयर के लक्षित क्षेत्र में लाल चना बोया गया था और बारिश के कारण उपज में प्रति एकड़ 4 क्विंटल तक की कमी आई है. दाम बढ़ने के पीछे यह भी एक वजह है. बढ़े हुए दाम से किसान नुकसान की भरपाई करने की कोशिश कर रहे हैं.

English Summary: important news: after all, why farmers are not selling gram at government procurement centers, read the news to know
Published on: 17 February 2022, 12:16 PM IST

कृषि पत्रकारिता के लिए अपना समर्थन दिखाएं..!!

प्रिय पाठक, हमसे जुड़ने के लिए आपका धन्यवाद। कृषि पत्रकारिता को आगे बढ़ाने के लिए आप जैसे पाठक हमारे लिए एक प्रेरणा हैं। हमें कृषि पत्रकारिता को और सशक्त बनाने और ग्रामीण भारत के हर कोने में किसानों और लोगों तक पहुंचने के लिए आपके समर्थन या सहयोग की आवश्यकता है। हमारे भविष्य के लिए आपका हर सहयोग मूल्यवान है।

Donate now