भारत ने पूरी दुनिया में अपनी पेठ बना ली है अब चाहे वो अमेरिका हो या ऑस्ट्रेलिया. कुछ महानहस्तियों का यह दावा है कि 21वीं सदी को भारतीय सदी के नाम से जाना जायेगा, और शायद यह सच होता भी दिखाई दे रहा है. इस कड़ी में एक कदम शिक्षा को लेकर भी उठाया गया है.
आईआईटी के बढ़ते कदम (IIT to go Global)
दरअसल, केंद्र सरकार की इंस्टीट्यूशन ऑफ एमिनेंस योजना के तहत कई विश्वविद्यालयों को इंस्टीट्यूट ऑफ एमिनेंस का दर्जा दिया गया है. आईआईटी के पूर्व प्रोफेसर डीके शर्मा के मुताबिक, भारतीय विश्वविद्यालयों में प्रवेश लेने के लिए हर साल हजारों विदेशी नागरिक देश आते हैं.
हालांकि, भारतीय संस्थानों (Indian Institutions) में विदेशी छात्रों के प्रवेश की प्रक्रिया अभी भी देश के कुछ विश्वविद्यालयों तक ही सीमित है. लेकिन अब इसे और व्यापक बनाने की कोशिश की जा रही है. इसका फायदा आपको जरूर देखने को मिलेगा.
13 भाषाओं में होगा जेईई एग्जाम (JEE Now in 13 New Languages)
गौरतलब है कि जेईई जैसी महत्वपूर्ण परीक्षाओं के लिए 13 अलग-अलग भाषाओं को मंजूरी दी गई है. इंजीनियरिंग करने के इच्छुक छात्र इस सुविधा के तहत अपनी मातृभाषा में परीक्षा दे सकते हैं.
इस साल जेईई-मेन्स (JEE-Mains) दो चरणों में जून और जुलाई में आयोजित किया जाएगा. जेईई मेन्स परीक्षा का पहला चरण 20 जून से शुरू हो रहा है. जेईई मेन्स में सफल होने वाले छात्रों के लिए जेईई एडवांस टेस्ट आयोजित किया जाएगा.
पिछले साल, जेईई-एडवांस्ड (JEE Advanced) पेपर 1 और पेपर 2 में लगभग 14,1699 उम्मीदवार उपस्थित हुए थे. लगभग 41,862 उम्मीदवारों ने जेईई-एडवांस 2021 के लिए क्वालीफाई किया था. पात्र उम्मीदवारों में से 6,452 महिलाएं थीं. साथ ही, विदेशी छात्र देश में इंस्टीट्यूट ऑफ एमिनेंस की ओर आकर्षित होते हैं.
प्रोफेसर सीएस कांडपाल के मुताबिक जेईई मेन्स के बाद जेईई एडवांस की परीक्षा कराई जाती है. जेईई एडवांस के नतीजों के आधार पर 23 आईआईटी, 31 एनआईटी, 23 ट्रिपल आईटी में 40,000 सीटें हैं.
हालांकि, कई इंजीनियरिंग कॉलेजों (Engineering Colleges) और तकनीकी शिक्षण संस्थानों (Technical Educational Institutions) में, जेईई मेन्स में प्रवेश योग्यता के आधार पर किया जाता है. ऐसे मामलों में, विदेशी और एनआरआई छात्रों को भी जेईई मेन्स परीक्षा के आधार पर प्रवेश दिया जा सकता है.