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Updated on: 14 March, 2023 5:00 PM IST
मीठे पानी की मछली के रोगों का टीका

वैक्सीन निर्माता इंडियन इम्यूनोलॉजिकल्स लिमिटेड ने मीठे पानी की मछलियों में होने वाले रोग रक्तस्रावी सेप्टिसीमिया के टीके के वाणिज्यिक विकास के लिए भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) संस्थान और भुवनेश्वर स्थित सेंट्रल इंस्टीट्यूट ऑफ फ्रेशवाटर एक्वाकल्चर (सीआईएफए) के साथ साझेदारी की है.

एरोमोनास सेप्टिसीमिया जिसे अल्सर रोग या रेड-सोर रोग के नाम से भी जाना जाता है. रक्तस्रावी सेप्टिसीमिया मीठे पानी की मछली में एरोमोनास हाइड्रोफिला, एक अवसरवादी रोगजनक जीवाणु के कारण होने वाला एक संक्रमण है.

भारत में रोहू, कतला, मृगल, सिल्वर कार्प, ग्रास कार्प, कॉमन कार्प, मीडियम कार्प, चैनल कैटफ़िश और ईल जैसी सभी मीठे पानी की मछलियों की प्रजातियों में इस बीमारी का संक्रमण पाया जाता है. यह रोग दुनिया भर में ताज़ा और खारे पानी की मछली पालन में संकट का कारण बन रहा है. आईआईएल ने कहा कि पिछले कुछ दशकों में भारतीय जलीय कृषि में एक महत्वपूर्ण आर्थिक समस्या के रूप में उभरा है.

हाइड्रोफिला जीवाणु रोगों को नियंत्रित करने के लिए एंटीबायोटिक्स और कीमो-थेराप्यूटिक्स का उपयोग किया गया है, आईआईएल ने बताया कि जीवाणु रोगजनक अब इन रसायनों के लिए प्रतिरोधी बन गए हैं क्योंकि कुछ रसायनों के साथ एक विस्तारित अवधि में उपयोग पर्यावरण को भी प्रभावित कर रहा है. यही कारण है कि मछली में रोग नियंत्रण के लिए टीकाकरण सबसे आशाजनक और पर्यावरण की दृष्टि से सुरक्षित विकल्प के रूप में उभरा है.

आईआईएल के प्रबंध निदेशक डॉ. के आनंद कुमार ने कहा, भारत में मछली के रोगों के लिए टीका बनाने वाला पहला देश है. हम पहले से जुड़ी चुनौतियों से अवगत हैं और कई अन्य पशुधन टीकों के लिए काम कर रहे हैं. हम भारत में मछली के टीकों के व्यावसायिक विकास के लिए रास्ते परिभाषित करने में कई मोर्चों पर काम कर रहे हैं.

ये भी पढ़ेंः कैसे करें मीठे पानी में मछली पालन, क्या सावधानियां रखें

आईसीएआर-सीआईएफए के निदेशक डॉ. प्रमोदा कुमार साहू ने कहा कि वर्तमान में भारत में एक्वाकल्चर संक्रमण को रोकने के लिए वाणिज्यिक पैमाने पर मछली के टीके उपलब्ध नहीं हैं. मुझे खुशी है कि आईआईएल इस टीके के व्यावसायिक विकास के लिए आगे आया है.

English Summary: IIL joins hands with ICAR-CIFA to develop freshwater fish vaccine against Hemorrhagic Septicemia
Published on: 14 March 2023, 03:02 PM IST

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