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Updated on: 23 February, 2023 4:26 PM IST
ICAR-IARI का 61वां दीक्षांत समारोह

ICAR- भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान देश की कृषि अनुसंधान और शिक्षा में उत्कृष्टता का प्रतीक रहा है. संस्थान ने न केवल कृषि अनुसंधान, शिक्षा और विस्तार मंन प्रगति के लिए राष्ट्रीय कृषि अनुसंधान प्रणाली को नेतृत्व प्रदान किया है बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी मानव संसाधन विकास के लिए योगदान दिया है. संस्थान ने अफगानिस्तान राष्ट्रीय कृषि विज्ञान और प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय (एएनएएसटीयू), कंधार, अफगानिस्तान तथा उन्नत कृषि अनुसंधान और शिक्षा केंद्र (एसीएआरई), येजिन कृषि विश्वविद्यालय, म्यांमार की स्थापना में महत्वपूर्ण योगदान दिया.

भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान, नई दिल्ली का 61 वां दीक्षांत समारोह कल यानी 24 फरवरी, 2023 राष्ट्रीय कृषि विज्ञान परिसर (एनएएससी) के भारत रत्न सी. सुब्रमण्यम हॉल में आयोजित किया जाएगा. भारत के उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ दीक्षांत समारोह के मुख्य अतिथि होंगे. केंद्रीय कृषि और किसान कल्याण मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर,  दोनों कृषि और किसान कल्याण राज्य मंत्री कैलाश चौधरी एवं सुश्री शोभा करंदलाजे भी इस कार्यक्रम के दौरान सम्मानित अतिथि होंगे. इस अवसर पर डेयर के सचिव एवं महानिदेशक डॉ. हिमांशु पाठक, भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद, भा.कृ.अनु.प.- भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान के कुलपति एवं निदेशक डॉ. ए. के. सिंह, अधिष्ठाता एवं संयुक्त निदेशक (शिक्षा) डॉ. अनुपमा सिंह, संयुक्त निदेशक (अनुसंधान), डॉ. विश्वनाथन चिन्नुसामी तथा संयुक्त निदेशक (प्रसार) डॉ. रविन्द्र पडारिया भी उपस्थित रहेंगे.

402 छात्र-छात्राएं करेंगे डिग्रियां प्राप्त

दीक्षांत समारोह के दौरान 402 छात्र-छात्राएं डिग्रियां प्राप्त करेंगे, जिनमें भारत देश के अतिरिक्त अन्य देशों के छात्र-छात्राएं भी शामिल हैं. इस अवसर पर छात्रों को मेरिट पुरस्कार प्रदान किए जाएंगे.

पूसा संस्थान ने इस वर्ष स्नातकोत्तर के साथ स्नातक शिक्षण को शुरू करके अपने गौरवशाली अतीत में एक नया अध्याय जोड़ा है. नई शिक्षा नीति के तहत, IARI में 306 स्नातक छात्रों का पहला बैच और विभिन्न कार्यक्रमों को पूसा संस्थान जैसे अन्य समान्तर सहयोगी संस्थानों में शुरू करने में अहम भूमिका निभाई है. आईएआरआई नई दिल्ली, आईएआरआई झारखंड और आईएआरआई असम में छात्रों को B.Sc कृषि को प्रारम्भ किया है. आईएआरआई ने अपने सहयोगी संस्थानों के के साथ मिलकर B.Tech (इंजीनियरिंग), बीटेक (जैव प्रौद्योगिकी), और B.Sc सामुदायिक विज्ञान (ऑनर्स) के लिए यूजी कार्यक्रम भी शुरू किए है.

संस्थान ने विभिन्न किस्मों को किया विकसित

मुख्य अतिथि संस्थान के द्वारा विकसित धान, गेहूं, फल, मक्का, एवं सब्जियों की किस्में राष्ट्र को समर्पित करेंगे. इस वर्ष, सस्य फसलों में 16 किस्मों/संकरों का विकास किया गया. गेहूं में, एचडी 3406 और एचडी 3407 सहित 10 किस्में जारी की गईं, जो कि पत्ती, तना और स्ट्राइप रस्ट के लिए प्रतिरोधी हैं. इसके अलावा, एमएएस के माध्यम से विकसित एचडी 3411 को समय पर बुवाई वाली सिंचित स्थितियों के लिए जारी किया गया था. इसके अलावा, एचडी 3369, एचआई 1650 (पूसा ओजस्वी), एचआई 1653 (पूसा जाग्रति), एचआई 1654 (पूसा अदिति), एचआई 1655 (पूसा हर्ष), एचआई 8826 (पूसा पौष्टिक) और एचआई 8830 (पूसा कीर्ति) को विभिन्न कृषि-पारिस्थितिकी के लिए विकसित किया गया है. इस वर्ष के दौरान, IARI ने चावल की दो शाकनाशी सहिष्णु (इमेजेथापायर) किस्मों, पूसा बासमती 1979 और पूसा बासमती 1985, को विकसित किया गया. अंतर्निर्मित शाकनाशी सहिष्णुता के कारण, ये किस्में उत्तर-भारतीय मैदानी इलाकों में सीधी बुवाई धान की खेती के लिए उपयुक्त हैं. पूसा बासमती 1121, पूसा बासमती 1718, पूसा बासमती 6 और पूसा बासमती 1509 देश में बासमती चावल के 95% क्षेत्र पर आच्छादित है और वर्ष 2022-23 के दौरान इन किस्मों से 34,000 करोड़ रुपये निर्यात से अर्जित किये हैं .

चने में, पूसा जेजी-16 - एमएएस के माध्यम से विकसित एक सूखा सहिष्णु किस्म शुष्क क्षेत्रों के लिए जारी की गई है. इसके अलावा, पूसा सरसों-34 - कम इरूसिक अम्ल वाली एक उच्च उपज वाली किस्म भी जारी की गई है. इस वर्ष को 'अंतर्राष्ट्रीय श्रीअन्न वर्ष' के रूप में मनाया जा रहा है, इस सन्दर्भ में संस्थान का प्रमुख ध्यान पोषण सुरक्षा प्रदान करने के लिए बायोफोर्टिफाइड बाजरा की किस्मों के विकास पर है. चार बायोफोर्टिफाइड बाजरे की किस्में, पीपीएमआई 1280, पीपीएमआई 1281, पीपीएमआई 1283 और पीपीएमआई 1284 (उच्च लौह और जस्ता सांद्रता के साथ) विकसित की गईं.

बागवानी फसलों में गुलाब की दो किस्में (पूसा लक्ष्मी और पूसा भार्गव); गेंदा (पूसा पर्व और पूसा उत्सव); ग्लैडियोलस (पूसा रजत); गुलदाउदी (पूसा लोहित) और बोगेनविलिया (पूसा आकांक्षा) की पहचान की गई.

मुलायम बीज वाली अमरूद की दो किस्में पूसा आरुषि और पूसा प्रतीक्षा, क्रमशः लाल और सफेद गूदे के लिए, विकसित की गई हैं. इसके अलावा पपीते की पूसा पीत किस्म जारी की गई है जो गाइनोडाओसियस और अर्ध-बौनी है. उच्च उपज देने वाली सब्जियों की किस्मों में बैंगन की पूसा कृष्णा किस्म मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र के लिए; और गाजर की पूसा प्रतीक राजस्थान, गुजरात, हरियाणा, दिल्ली, कर्नाटक, तमिलनाडु, केरल और पुडुचेरी के लिए चिन्हित की गई है. इसके अलावा, एआईसीआरपी (वीसी) द्वारा टमाटर संकर टीओएलसीवी-6 की पहचान की गई है जिसकी उपज क्षमता 70 टन/हेक्टेयर और यह लीफ कर्ल वायरस प्रतिरोधी भी है. सीएमएस प्रणाली का उपयोग करते हुए लाल गोभी का एक संकर पूसा लाल गोभी संकर -1 विकसित किया गया है. इसी प्रकार फूलगोभी (पूसा स्नोबॉल संकर-2-) और शिमला मिर्च (पूसा कैप्सिकम-1) की भी एक-एक किस्म जारी और अधिसूचित की गई है. 

एकीकृत कृषि प्रणाली मॉडल जिसमें फसल + डेयरी + मत्स्य + कुक्कुट पालन+ बत्तख पालन + मधुमक्खी पालन + सीमा वृक्षारोपण + बायोगैस इकाई + वर्मी-कम्पोस्ट शामिल हैं, द्वारा पारंपरिक धान-गेहूं प्रणाली की तुलना में उच्चतम उत्पादकता, तथा आय  प्राप्त की गई. एकीकृत कृषि प्रणाली मॉडल से रोजगार में वृद्धि के साथ-साथ प्रति वर्ष 4.2 लाख  रुपये प्रति हेक्टेयर का शुद्ध लाभ प्राप्त होता है.

संस्थान ने शून्य बजट प्राकृतिक खेती (ZBNF) और जैविक खेती पर अध्ययन भी आरंभ किया है और इस तकनीक के अतिरिक्त सत्यापन हेतु दीर्घकालिक अध्ययन भी चल रहे हैं.

पूसा डीकंपोजर की सूक्ष्मजीवी तकनीक धान के पुआल/ठूंठों के प्रबंधन के लिए एक पर्यावरण अनुकूल समाधान है, जिसका लाइसेंस 24 निजी फर्मों को दिया गया है.

रोगजनकों को ऑन-साइट पहचानने के लिए लीफ कर्ल वायरस और बकाने रोगज़नक का पता लगाने के लिए डायग्नोस्टिक किट का  विकास किया गया है.  

भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान की प्रौद्योगिकियों का प्रसार अपने आउटरीच विस्तार कार्यक्रम के तहत देश के विभिन्न स्थानों पर किया जाता है. इसके लिए राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में एकीकृत ग्राम विकास कार्यक्रम, राष्ट्रीय विस्तार कार्यक्रम के अंतर्गत भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के चयनित संस्थानों/राज्य कृषि विश्वविद्यालयों और स्वैच्छिक संगठनों के साथ विभिन्न स्तरों पर काम किया जाता है.भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान की सभी प्रदर्शित किस्मों ने सभी स्थानों पर स्थानीय किस्मों की तुलना में काफी अधिक उपज प्राप्त हुई .

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भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान द्वारा यू-ट्यूब पर शुरू किए गए कार्यक्रम ‘पूसा समाचार’ को किसानों द्वारा बहुत सराहना मिल रही है. इसके द्वारा किसानों और अन्य हितधारकों को नवीनतम तकनीकों और विभिन्न फसलों के लिए मौसम-वार परामर्श वीडियो-आधारित सामग्री के रूप में उपलब्ध कराया जाता है. पूसा समाचार के हिंदी, तेलुगु, कन्नड़, तमिल, बांग्ला और उड़िया भाषा में यू-ट्यूब चैनल के साथ-साथ व्हाट्सएप ग्रुप के माध्यम से किसानों के बीच प्रसारित किया जाता है .  प्रत्येक एपिसोड में विशिष्ट फसल संबंधित परामर्श, किसानों की सफलता की कहानी, पूसा व्हाट्सएप सलाह और मौसम संबंधी जानकारी का प्रसारण किया जाता है.  साथ ही संस्थान द्वारा एक समर्पित पूसा व्हाट्सऐप नंबर (9560297502) भी लॉन्च किया गया है, जिसमें वैज्ञानिकों द्वारा किसानों के कृषि संबंधित प्रश्नों का तत्परता से जवाब दिया जाता है. इस समय भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान यूट्यूब चैनल के 30,000 सबस्क्राइबर हैं जिनकी कुल दर्शक तादाद 9 लाख से अधिक है.

English Summary: ICAR- 61st convocation ceremony of Indian Agricultural Research Institute, New Delhi, students will get degrees
Published on: 23 February 2023, 04:38 PM IST

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