उत्तर भारत में पराली जलाने की घटनाओं के साथ बढ़ते प्रदूषण की समस्या पर राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) ने संज्ञान लिया है. मानवाधिकार आयोग कमीशन के अधिकारियों ने कहा है कि किसानों के पराली जलाने के पीछे राज्य सरकारों की विफलता बड़ा कारण है. जब बढ़ते प्रदूषण पर मानवाधिकार आयोग ने सवाल किया तो दिल्ली, उत्तर प्रदेश, हरियाणा सरकार की विफलता को जिम्मेदार ठहराया.
एनएचआरसी ने इन राज्यों को फटकार लगाते हुए पराली जलाने की समस्या को किसानों की मजबूरी बताया. अधिकारियों ने कहा कि पराली जलाने से बढ़ते प्रदूषण के लिए सिर्फ किसानों को जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता.
राज्य सरकारों की विफलता
दिल्ली-एनसीआर में बढ़ते प्रदूषण को लेकर राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने दिल्ली, हरियाणा, पंजाब और उत्तर प्रदेश के अधिकारियों के साथ बीते दिनों बैठक की. राज्य सरकारों के जवाब पर गौर करने के बाद मानवाधिकार आयोग ने साफ किया कि किसान मजबूरी में ही पराली जला रहे हैं.
मानवाधिकार आयोग ने कहा कि पराली के उचित प्रबंधन के लिए किसानों को मशीनें उपलब्ध करानी थीं. लेकिन ये चार राज्य सरकारें किसानों को पर्याप्त संख्या में न उपकरण उपलब्ध करवा पाईं और न ही सही उपाय हुए. अब हालात ये है कि देरी होने के कारण किसान मजबूर होकर पराली जला रहे हैं, इससे प्रदूषण फैल रहा है.
सरकारें किसानों को न ठहराएं जिम्मेदार
रिपोर्ट्स के मुताबिक, मानवाधिकार आयोग ने यह भी कहा कि इन चार राज्य सरकारों की विफलता के कारण ही पराली जल रही है. और हवा में प्रदूषण बढ़ रहा है. इस समस्या के लिए कोई भी राज्य किसानों को जिम्मेदार नहीं ठहरा सकता. इस बीच चारों राज्यों को बढ़ते प्रदूषण को रोकने के लिए हलफनामा दाखिल करने का भी निर्देश दिया गया है.
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दिल्ली में प्रदूषण सूचकांक रेड अलर्ट पर
केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने आंकड़े जारी कर बताया है कि यहां हवा की गुणवत्ता बहुत खराब हालत में है. यहां वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) 249 दर्ज किया गया है. हालांकि उत्तर प्रदेश के कुछ जिलों जैसे फिरोजाबाद में एक्यूआई 61 है, यह पहले की स्थिति से काफी बेहतर है.